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Stories related to सप्तमेश द्वितीय भाव में

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Yogesh Kumar Mishra"yogi

वर्तमान में भाव...... #Poetry

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ज्ञान कहाँ है ध्यान कहाँ?
अब धर्म कहाँ है राहों में,
शर्म कहाँ है हया कहाँ?
लिखकर भूले सब पोथों में।।
रिश्ते भी क्या नाते है,
सम्बन्धों के भी तो ताते है।
बहन कहाँ किसकी बेटी,
भूल गए सब गृह गुहाओं में।।

योगेश कुमार मिश्र"योगी" वर्तमान में भाव......

Dinesh Kumar

कविता के भाव में #AugustCreator

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अभि जी

tप्रभू चरणो में समर्पित भाव #समाज

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प्रेम प्रकाश

द्वितीय शायरी के रूप में मुझे सुने....

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Kajalife....

प्रेम का भाव स्वतंत्रता में है #kajalife....

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प्रेम एक स्वतंत्र भाव है 
इसको बांधा नहीं जा सकता 
जो बांधा गया तो फिर  
यह भाव ही खत्म हो जाएगा

©Kajalife.... प्रेम का भाव स्वतंत्रता में है
#Kajalife....

Ek villain

#जिंदगी में हमेशा सहयोग का भाव रखें #Society

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समाज में साहूकार उसे मानते हैं जो भौतिक संपदा से युक्त होता है वह रुपए पैसे लोगों में बैठता है तथा भी आज भी लेता है इसी तरह बैंक भी ऋण बांटते हैं कई बार साहूकार ऋण वापस के लिए आवंटित तरीकों का इस्तेमाल करते हैं बैंक भी कानूनी कार्रवाई कर ऋण लेने वाले की जमीन जायदाद तथा अन्य अचल संपत्ति ले लेते हैं इसे स्पष्ट होता है कि ऋण लेने वाला उसकी अध्याय या कि नहीं कर पाता तो उसके पास अपनी जो कुछ संपत्ति पहले से या पूर्वजों के जमाने से थी उसे भी उसे हाथ धोना पड़ता है

©Ek villain #जिंदगी में हमेशा सहयोग का भाव रखें

Sumit Mgr

शायद रद्दी के भाव में बिक जाऊंगा

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अखबार हूं
औकात ही क्या हैं मेरी
पर शहर में आग लगाने के लिए
अकेला ही काफी हूं शायद रद्दी के भाव में बिक जाऊंगा

Arun Malhotra

ज़ख्म बेचता हूं मोहब्बत के भाव में।

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 ज़ख्म बेचता हूं मोहब्बत के भाव में।

Arora PR

महाभारत द्वितीय #कविता

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Pankaj K Mahto

भाव को समझो लिखावट में क्या रखा है

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यह मोह माया की नगरी है यहां सभी को बेसब्री है यहां जात पात का भेदभाव जगह जगह पर ठहरी है। भाव को समझो लिखावट में क्या रखा है
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