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Yogesh Kumar Mishra"yogi
ज्ञान कहाँ है ध्यान कहाँ? अब धर्म कहाँ है राहों में, शर्म कहाँ है हया कहाँ? लिखकर भूले सब पोथों में।। रिश्ते भी क्या नाते है, सम्बन्धों के भी तो ताते है। बहन कहाँ किसकी बेटी, भूल गए सब गृह गुहाओं में।। योगेश कुमार मिश्र"योगी" वर्तमान में भाव......
वर्तमान में भाव...... #Poetry
read moreअभि जी
तेरा रास्ता निहारू श्याम बताओ तुम कब आओगे क्यों छोड़ गए हमे इस अंधेरो में बीना तेरे मन अब रुकता भी नहीं है कहा गए अब बता दो हमे कब याद करोगे तेरा रास्ता निहारू श्याम बताओ तुम अब कब आओगे तेरी ये सुंदर सुरतिया ,भूले न कभी ये तेरी मुरलिया तूझसे शुरू है ,तुझमें ये जीवन अब मिटेगा तेरा नाम लेकर ही सब कुछ छूटेगा मेरे प्यारे श्याम दुलारे, क्यों अब हमे न मिल पाओगे तेरा रास्ता निहारू बोलो श्याम अब कब आओगे हमे इस जीवन में बस तेरा ही ध्यान रहे जहा भी रहे तू ही बस साथ रहे बंशी बताओ कहा अब तो बजाओगे तेरा रास्ता निहारू श्याम बोलो अब कब आओगे ©छोटे अभियंता @Abhi tप्रभू चरणो में समर्पित भाव
tप्रभू चरणो में समर्पित भाव #समाज
read moreKajalife....
प्रेम एक स्वतंत्र भाव है इसको बांधा नहीं जा सकता जो बांधा गया तो फिर यह भाव ही खत्म हो जाएगा ©Kajalife.... प्रेम का भाव स्वतंत्रता में है #Kajalife....
प्रेम का भाव स्वतंत्रता में है #kajalife....
read moreEk villain
समाज में साहूकार उसे मानते हैं जो भौतिक संपदा से युक्त होता है वह रुपए पैसे लोगों में बैठता है तथा भी आज भी लेता है इसी तरह बैंक भी ऋण बांटते हैं कई बार साहूकार ऋण वापस के लिए आवंटित तरीकों का इस्तेमाल करते हैं बैंक भी कानूनी कार्रवाई कर ऋण लेने वाले की जमीन जायदाद तथा अन्य अचल संपत्ति ले लेते हैं इसे स्पष्ट होता है कि ऋण लेने वाला उसकी अध्याय या कि नहीं कर पाता तो उसके पास अपनी जो कुछ संपत्ति पहले से या पूर्वजों के जमाने से थी उसे भी उसे हाथ धोना पड़ता है ©Ek villain #जिंदगी में हमेशा सहयोग का भाव रखें
Sumit Mgr
अखबार हूं औकात ही क्या हैं मेरी पर शहर में आग लगाने के लिए अकेला ही काफी हूं शायद रद्दी के भाव में बिक जाऊंगा
शायद रद्दी के भाव में बिक जाऊंगा
read moreArora PR
White एक बार फिर सुनाई पढ़ने लगी है आतत्ताई कोरवो की दहाड़े...... लगता है एक नया महाभरत फिर जन्म लें रहा है लेकिन हथियार दोनों पक्षों के ( तल वार भाले बंदूके और तिर्कमान ) आदि क़ो तो जंग लग चुका है लगता है अब तो केवल रसायनिक हथियारों से ही युद्ध लड़ना पड़ेगा जो सक्षम है आदमी और उसकी आने वाली नस्लों का संहार करने में और ये भी संभावना नही रही कि इस युद्ध में कृष्ण भी आकर भाग लेंगे क्योंकि उनका सुदर्शन चकर भी जंग खाकर तिथि बाहय हो चुका है ©Arora PR महाभारत द्वितीय
महाभारत द्वितीय #कविता
read morePankaj K Mahto
यह मोह माया की नगरी है यहां सभी को बेसब्री है यहां जात पात का भेदभाव जगह जगह पर ठहरी है। भाव को समझो लिखावट में क्या रखा है
भाव को समझो लिखावट में क्या रखा है
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