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Haleema Ali

बात वही छपती है जो मशहूर होती है,,,
वरना
गोपनीय बात तो दीवार के कानों से भी दूर होती है,,,!!
हलीमा✍ #NojotoQuote #विरोधाभास #अलंकार
#अखबार #में #छपकर #तो #कुछ #भी #गोपनीय #नहीं #रहता

Author Munesh sharma 'Nirjhara'

(विरोधाभास अलंकार:- जहाँ दो बातों में विरोध की स्थिति हो! यहाँ जागते हुए सोना, सोते हुए जागना, रोते हुए हँसना, हँसते हुए रोना,एक-दूसरे के #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #RzHiWriMo #RzHiWriMo23

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प्रियतम मेरे,
जागते हुए मैं सोती हूँ
सोते हुए मैं जागती हूँ
यह तुम्हारे प्रेम की लगन है 
मैं हँसते हुए रोती हूँ
और 
रोते हुए हँसती हूँ
स्वीकार करो
दिल के चोर मेरे
मैं हृदय अर्पण तुम्हें करती हूँ..!
🌹 
(विरोधाभास अलंकार:- जहाँ दो बातों में विरोध की स्थिति हो!
यहाँ जागते हुए सोना, सोते हुए जागना, 
रोते हुए हँसना, हँसते हुए रोना,एक-दूसरे के

साहस

नमस्ते लेखकों🌸 कल के "मेरे जीवन का वृतांत" के विजेता हैं: स्वर्ण पदक- Umakshi Kaushik🥇 रजत पदक- Sarita Gaba Bathla🥈 कांस्य पदक- Yashoda Dev #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #RzHiWriMo #RzHiWriMo23

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मगर के झाग से नीला पीला हो गया।
देखते ही देखते वो लाल शिला हो गया।। नमस्ते लेखकों🌸

कल के "मेरे जीवन का वृतांत" के विजेता हैं:
स्वर्ण पदक- Umakshi Kaushik🥇
रजत पदक- Sarita Gaba Bathla🥈
कांस्य पदक- Yashoda Dev

Sangeeta Patidar

**थोड़ा- बहुत, आज- कल, क़रीब- दूर, पूरा- अधूरा, छाँव- धूप नमस्ते लेखकों🌸 कल के "मेरे जीवन का वृतांत" के विजेता हैं: स्वर्ण पदक- Umakshi Ka #yqdidi #YourQuoteAndMine #sangeetapatidar #yqrestzone #collabwithrestzone #RzHiWriMo #RzHiWriMo23

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मानूँ क्यों तेरी बात, जब आती नहीं तुझे याद,
थोड़ा-थोड़ा कर बहुत ज़्यादा भुलाया है मुझे।

आज-2 बोल, देते रहे लम्बे इंतज़ार का कल, 
थोड़ा-थोड़ा कर बहुत ज़्यादा रुलाया है मुझे। 

किसी को क़रीब रख,मुझे दिल से दूर किया, 
थोड़ा-थोड़ा कर बहुत ज़्यादा हटाया है मुझे। 

एहसास पूरे थे,फिर भी दास्ताँ अधूरी ही रही, 
थोड़ा-थोड़ा कर  बहुत ज़्यादा गँवाया है मुझे।

माँगी थी सुकून-छाँव, मिली तन्हाई-धूप 'धुन' 
थोड़ा-थोड़ा कर बहुत ज़्यादा जलाया है मुझे।  **थोड़ा- बहुत, आज- कल, क़रीब- दूर, पूरा- अधूरा, छाँव- धूप

नमस्ते लेखकों🌸

कल के "मेरे जीवन का वृतांत" के विजेता हैं:
स्वर्ण पदक- Umakshi Ka

Parasram Arora

विरोधाभास #विचार

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Parasram Arora

विरोधाभास.....

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वो फुटपाथ की 
बाला
औंधे मुँह
नंगी पटरी पर
मखमली  सपनो मे
खोई थीं
और मै
अपने वातानुकूलित  कमरे मे
नर्म सुखद  गद्दे पर लेटा
फुटपाथी  सपनो को
टटोल  रहा  था

©Parasram Arora विरोधाभास.....

पूर्वार्थ

Parasram Arora

विरोधाभास.....

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भारत एक विबूचन है
एक विरोधाभासी  देश है
इसमें जितने गगनभेदी  स्वर्ण. शिखर है
उतनी ही गहरी अंधीयारी  घाटीया  भी
एक तरफ प्रज्ञा की  उच्चत्म अवस्थाये है
दूसरी तरफ. अज्ञान. में लिपटी  हुई
मूर्छित
 मानवता
इन दोनों के बींच  कैसे सामंजस्य  हों?

©Parasram Arora विरोधाभास.....

Kaushal Kumar

          

    .......विरोधाभास.......

शहरों में मकान महँगे हैं,
घर कैसे बनाया जाय ?

गाँवों में जमीन सस्ती है,
मकान कैसे बनाया जाय ?

शहरों में हवा-पानी अशुद्ध है,
स्वस्थ कैसे रहा जाय ?

गाँवो में खान-पान शुद्ध है,
इलाज कैसे कराया जाय ?

विद्यालयों के भवन बहुत अच्छे हैं,
प्रवेश कैसे पाया जाय ?

पाठशालाओं में शुल्क बहुत कम है,
बच्चों को क्या पढ़ाया जाय ?

शरीर का सौष्ठव व सौंदर्य अच्छा है,
वस्त्र कैसे पहना जाय ?

पहनने को पर्याप्त कपड़े नही हैं,
शरीर कैसे ढका जाय ?

जिंदगी में सब कुछ हासिल है,
जीवन कैसे जिया जाय ?

जीने का कोई उद्देश्य नही है,
जीवन कैसे जिया जाय ?

                             ............कौशल तिवारी




.

©Kaushal Kumar #विरोधाभास

Parasram Arora

विरोधाभास #विचार

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जीवन का  अस्तित्व विरोधाभासो  मे है
मै स्वयं भृमित हूँ  लेकिन मै अपने भ्रमों . के साथ
मज़े मे हूँ... सुख से हूँ
मै अपनी विसगतियों  के साथ आराम से हूँ
इसलिए मै तनावग्रस्त भी नहीं अवसाद ग्रस्त भी नहीं हूँ
मेरे आंसुओ क़ो  देखो मेरे रुदन क़ो. देखो
मै बिलकुल  आराम से हूँ 
 विश्राम  क़ो उपलब्ध हूँ
मै अपने आनद मे हूँ

©Parasram Arora विरोधाभास
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