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मजबूर हूँ इस कदर जिंदा हूँ मगर जिंदगी से दूर हूँ , बिन गुनाह किये गुनहगार बनाया किससे कहूँ कि बेकसूर हूँ ... ©Arsh.... मजबूर हूँ इस कदर जिंदा हूँ मगर जिंदगी से दूर हूँ , बिन गुनाह किये गुनहगार बनाया किससे कहूँ कि बेकसूर हूँ ... jhanvi Singh Riti sonkar Bee
मजबूर हूँ इस कदर जिंदा हूँ मगर जिंदगी से दूर हूँ , बिन गुनाह किये गुनहगार बनाया किससे कहूँ कि बेकसूर हूँ ... jhanvi Singh Riti sonkar Bee #SAD
read moreAuthor Shivam kumar Mishra (Shivanjal)
एक वक़्त हुआ करता था जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था जब मैं स्कूल जाया करता था अजीब सा नशा था बारिश के मौसम का मैं सालों साल इंतजार किया करता था क्या कहूँ उन दिनों की बारिश का कुछ अलग ही बात थी उन दिनों बारिश की बूंदों में भिंग कर एक अजीब सा सुकून मिलता था अब वो बारिश कहाँ अब वो बारिश नसीब कहाँ अब तो बारिश कीचड़ के समान लगती है बिन बुलाए मेहमान की तरह लगती है ©Author Shivam kumar Mishra एक वक़्त हुआ करता था जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था
एक वक़्त हुआ करता था जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था #kavita #कविता #nojotohindi #baarish
read moreNaveen
White लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी भूल नही पाउँगा वो लम्हा जब तुमने दिल की धड़कने सुनाई थी ये बिछड़ना-मिलना यह तो शायद मोहब्बत है अपने प्यार को वो दे देना जिसकी उसको जरूरत है हम दोनों थे कैद कही अपनी समझ की सलाखों में तुमने ऐसा रिहा किया खुद आज़ादी शर्मायी थी जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी मिलेंगे हम ये वादा है रोज रात को चाँद के जरिये मैं भेजूंगा पैगाम तुझे इस बहती हवा के जरिये साथ रहेंगे एक सोच के जरिये नाजुक नाजुक यादों में तुम कहना एक ज़िद्दी पडोसी अपने घर भी आया था लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है चलो बहुत हुआ अब चुप रहूँगा चुपी में मज़मून है ज्यादा तुम जैसा बनना कहूँगा बस मेरा इतना ही है वादा इससे ज्यादा कहूंगा कुछ तो फूट पड़ेगी रुलाई भी लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी ©Naveen लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी भूल नही पाउँगा वो लम्हा जब तुमने
लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी भूल नही पाउँगा वो लम्हा जब तुमने #SAD
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- ज़िन्दगी से जो शिकायत होगी गम छुपाने की भी आदत होगी प्यार की जब भी जरूरत होगी सोने चाँदी की न कीमत होगी मिल जायेंगे तुम्हें गुरुवर अच्छे जब तुम्हें ज्ञान की चाहत होगी बात मानें शिष्य जो गुरुवर की दावा है मेरा न दिक्कत होगी जो उछलते हैं पाकर दौलत को सच कहूँ पास न दौलत होगी क्या बुरा क्या भला वे क्या जानें जिनमें झूठी ही नसीहत होगी मत करो चर्चा वफ़ा का हमसे सब समझता क्या हक़ीक़त होगी महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- ज़िन्दगी से जो शिकायत होगी गम छुपाने की भी आदत होगी प्यार की जब भी जरूरत होगी सोने चाँदी की न कीमत होगी
ग़ज़ल :- ज़िन्दगी से जो शिकायत होगी गम छुपाने की भी आदत होगी प्यार की जब भी जरूरत होगी सोने चाँदी की न कीमत होगी #शायरी
read moreDevesh Dixit
उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। दुनिया में है ये विष कितना, बिन पिये मुरझा हम तो रहे। बाजू में छूरी हैं रखते, मुख से श्री राम पुकार रहे। अपराधों की है भीड़ लगी, ले खंजर अब वे भोंक रहे। चैनो अमन है कैसे कहें, वे तो विपदा में झोंक रहे। अब कैसे हो विश्वास यहांँ, संशय में जीवन डोल रहा। जो टूट गये विश्वास यहाँ, रिश्तों में है जंग बोल रहा। मानवता को है चोट लगी, शैतानी जज़्बे जाग उठे। संस्कारों की भी बली चढ़ी, अब देख तमाशा भाग उठे। उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो
#उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो #Poetry #sandiprohila
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