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Anuradha Vishwakarma
01मई विश्व मजदूर दिवस -अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस को अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस और मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है -जो अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संघ को प्रचारित और बढ़ावा देने के लिये --अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। -इसे पूरे विश्व भर में 1 मई को मनाया जाता है -लगभग 80 देशो में अवकाश होता है. jhankiom vishwakarma #Morning 01मई विश्व मजदूर दिवस -अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस को अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस और मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है -जो अंतरराष्
#Morning 01मई विश्व मजदूर दिवस -अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस को अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस और मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है -जो अंतरराष्
read moreAmrendra Kumar Srivastav
हिंदी ही पहचान बने अब , हो इस भाँति प्रचारित हिंदी दिव्य प्रकाश से पोषित होकर ,हो उर मध्य समाहित हिंदी हिंदी का गुणगान करें और देश में हो वि
हिंदी ही पहचान बने अब , हो इस भाँति प्रचारित हिंदी दिव्य प्रकाश से पोषित होकर ,हो उर मध्य समाहित हिंदी हिंदी का गुणगान करें और देश में हो वि
read moreAnkita Tripathi
अफ़जल गुरू की मौत को ये नमूनें शहादत बताते हैं खुद को नापाक आजादी का ये मसीहा भी जताते हैं ये भले ही खुद को उसकी मौत पे शर्मिंदा बताते हैं पर इन जैसों गिरगिटों को ही विश्व में ग़ददार बुलाते हैं कड़वा सच कि हम आज भी कुछ विकृत मानसिकता वाले लोगों को अपनें देश पर उंगलियां उठानें दे रहे हैं..... आज एक पोस्ट पढ़ी जो एक नौजवान कश्मीरी युव
कड़वा सच कि हम आज भी कुछ विकृत मानसिकता वाले लोगों को अपनें देश पर उंगलियां उठानें दे रहे हैं..... आज एक पोस्ट पढ़ी जो एक नौजवान कश्मीरी युव
read moreSachin Ratnaparkhe
“अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च: l” - महाभारत (अर्थात् यदि अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है।) महात्मा गांधी जी से तथा उनकी ज़िंदगी से हम प्रेरणा लेते रहें है तथा लेते रहेंगे। लेकिन इस कथन को कि अहिंसा परमो धर्मः” (यह गलत हे, पूर्ण नह
महात्मा गांधी जी से तथा उनकी ज़िंदगी से हम प्रेरणा लेते रहें है तथा लेते रहेंगे। लेकिन इस कथन को कि अहिंसा परमो धर्मः” (यह गलत हे, पूर्ण नह
read moreSamar Shem
गावों कि लड़कियों का ड़र social media गाँव वालों के साथ एक दिक्कत होती है। सिर्फ़ मेरे नहीं हर गाँव वालों के साथ यह दिक्कत है। उन्हें लगता है फ़ेसबुक पर कुछ जाने का मतलब है ग़लत प्र
गाँव वालों के साथ एक दिक्कत होती है। सिर्फ़ मेरे नहीं हर गाँव वालों के साथ यह दिक्कत है। उन्हें लगता है फ़ेसबुक पर कुछ जाने का मतलब है ग़लत प्र
read moreNaresh Chandra
बाबा बर्फानी का पौराणिक इतिहास कृपया कैप्शन मे अवलोकन करें 🙏🙏 ©Naresh Chandra पैगंबर मोहम्मद साहब का जब जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ गुफा में हो रही है पूजा-अर्चना! इसलिए इस झूठ को नकारिए कि अमरनाथ गुफा की खोज एक
पैगंबर मोहम्मद साहब का जब जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ गुफा में हो रही है पूजा-अर्चना! इसलिए इस झूठ को नकारिए कि अमरनाथ गुफा की खोज एक
read moreRakesh frnds4ever
(व्यंग्य) || वेलिडिटी उर्फ़ बिना रिचार्ज तुम जिंदगी में जारी नहीं रह पाओगे... || मैं अच्छा खासा स्वस्थ था और शहर के बड़े-बड़े बहुप्र #दुनिया #भारत #समाज #सरकार #हॉस्पिटल #स्वास्थ्य #corona #Corona_Lockdown_Rush #लोकतान्त्रिक #UnlockSecrets
read moreRakesh frnds4ever
(व्यंग्य) || वेलिडिटी उर्फ़ बिना रिचार्ज तुम जिंदगी में जारी नहीं रह पाओगे... || मैं अच्छा खासा स्वस्थ था और शहर #Science #Future #विकास #bharat #समाज #gulami #aazadi #corona #Corona_Alert #Corona_Lockdown_Rush #UnlockSecrets
read moreYashpal singh gusain badal'
तेरा और मेरा सत्य हर किसी का सच उसकी अनुभव एवं इसके द्वारा अर्जित ज्ञान और उसकी विवेक क्षमता पर होती है । जैसे यदि मैं यह कहूं कि पृथ्वी घूमती है तो एक साधारण व्यक्ति उसको सिरे से खारिज कर देगा और एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति कहेगा कि हां मैंने पढ़ा है किताबों में । लेकिन एक वैज्ञानिक उसे सिद्ध करके दिखाएगा कि पृथ्वी घूमती है बल्कि वह यह भी बताएगा कि सूर्य भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। इस प्रकार तीन तरह के इंसानों के तीन उत्तर सकते हो सकते हैं । इसी प्रकार हमारे कई रूढ़िवादी सोच रीति रिवाज धार्मिक तौर तरीके हमारे आस्था और विश्वास से अर्जित ज्ञान को हमारे विचारों में समाहित करके हमारे सत्य के रूप में प्रतिष्ठित कर देते हैं । हालांकि वह पूर्ण सत्य नहीं होते मगर हम उन्हें सत्य मानकर ही चलते हैं इसी सत्य को हम जब वैज्ञानिकों प्रबुद्ध जनों विद्वानों एवं गुरुओं के द्वारा परिष्कृत की हुई भाषा में सुनते हैं तब हम समझ पाते हैं की वास्तविक सत्य क्या है । क्योंकि विद्वान लोग किसी भी विचार को उसके मूल रूप में स्वीकार नहीं करते जब तक वह इसे अपने विवेक से परिष्कृत न कर लें वे अपने हर विचार का अपने विवेक से मंथन करते हैं तदुपरांत वह मूल सत्य तक पंहुचते हैं । आज की सबसे बड़ी समस्या यही अर्ध सत्य है जो हमारे अंदर परिस्थितियों लोकाचारों, आस्था और विश्वास ,रीति रिवाज के द्वारा डाल दी जाती है और हम इन्हीं को अंतिम सत्य मानकर अपने विचार बना लेते हैं क्योंकि हर किसी का विचार उसके रीति रिवाज, आस्था -विश्वास, परिस्थितियों ,लोकाचारों, का परिणाम है . इसलिए वैचारिक भिन्नता के कारण आपस में द्वेष और कलह की स्थिति बन जाती है । और अन्ततः यही संघर्ष का कारण होता है । कुछ लोगों का इन आस्था विश्वास और रीति -रिवाज ,परंपराओं पर इतना अधिक अटूट विश्वास होता है कि वह हर रोज इसे अंतिम सत्य के रूप में प्रचारित करते हैं और इसमें किसी भी तरह का अविश्वास नहीं देखना चाहते हैं । और इसके लिए वे सबकुछ खत्म करने तक आ जाते हैं वह कभी नहीं चाहते कि इस विचार में कोई संशोधन हो या इस को परिष्कृत किया जाए। इसी से कट्टरवाद का जन्म होता है । इसी तरह तेरा सच मेरा सच का यह विवाद हमेशा अनवरत चलता रहता है । आज इंसान और इंसानों के बीच जो संघर्ष है और देश और देशों के बीच जो संघर्ष है । इसका मूल कारण विचार भिन्नता ही है । दुनिया का हर संघर्ष इसी विचार भिन्नता सत्यता - असत्यता, तेरा सच मेरा सच के कारण फल फूल रहा है। अब समस्या यह है कि अंतिम सत्य तक कैसे पहुंचा जाए और कैसे सभी को इससे जोड़ा जाए । ताकि सत्य को सम्यक विचार विचार बनाया जा सके ताकि सब का सत्य एक ही सत्य हो ताकि विश्व में जो भी वैचारिक संघर्ष है उसको खत्म किया जा सके । यदि विश्व के सारे वैचारिक संघर्ष वैचारिक भिन्नता खत्म हो जाएंगी तो विश्व में अंततः शांति स्थापित हो सकेगी । मेरे विचार मेरी कलम से - यशपाल सिंह बादल ©Yashpal singh gusain badal' तेरा और मेरा सत्य हर किसी का सच उसकी अनुभव एवं इसके द्वारा अर्जित ज्ञान और उसकी विवेक क्षमता पर होती है । जैसे यदि मैं यह कहूं कि पृथ्वी घूम
Divyanshu Pathak
‘या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्ये, नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नम: ॥’ हे दुर्गे! हे प्रकृते! तेरे तीनों गुण- सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण क्रमश: सुख, दु:ख और मोह स्वभाव वाले हैं ! प्रकाशक, प्रवर्तक एवं नियामक भी हैं। सत्वगुण का कार्य प्रकाश (प्रकट) करना, रजोगुण का कार्य प्रवर्तन करना तथा तमोगुण नियमन कर्ता है। तेरी शक्ति से ही शिव भिन्न-भिन्न रूप में विश्व बनता है। तेरे से बाहर विश्व में चेतन-अचेतन कुछ नहीं है। ( कैप्शन देख ही लें) क्रमशः-----01 (#या देवी सर्व भूतेषु ) हे दूर्गे ! हे शक्ति ! आजादी के समय देश ने कुछ सपने देखे थे। राष्ट्र का संचालन हमारे चिन्तन और संस्कृति के अनुकूल होगा। इसी के अनुरूप ज्ञान