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Stories related to रामदास अाठवले

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Ramdas Patel

रामदास #stopcorruption

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Vithalapara Bharat

कवि रामदास गुर्जर

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दोस्तों की दुआ 
मेरे, आगे, मौत खड़ी थीं,!
पण में डरा नहीं,!!
कियू, की, मेरे आगे, मेरा दोस्त खड़ा था,




ठाकुर भारत सिंह कवि रामदास गुर्जर

Vithalapara Bharat

कवि रामदास गुर्जर

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"પ્રેમ એટલે કે,!
મારી, હસ્તી, ખેલતી,
જિંદગી ની, પથારી, ફેરવી નાખી,
એટલે, પ્રેમ,,💔

ઠાકોર ભરત સિંહ कवि रामदास गुर्जर

Vithalapara Bharat

कवि रामदास गुर्जर

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कीशी,अपनेको खोकर हमं,मरते नहीं,
बस,जिना सोड देते है,,





ठाकुर भरत सिंह कवि रामदास गुर्जर

KAVI RAMDAS GURJAR

मेरी प्यारी परेशानियों  तुम जरूर आना।
अगर आप न होती तो मैं यहाँ नहीं होता।
कवि रामदास गुर्जर #nojoto#कवि#रामदास#गुर्जर

Sushil

KAVI RAMDAS GURJAR

चल रहे थे कुछ लोग समय के सफर में हमसफ़र बनकर मगर एक वक्त के मोड पर  मुझे न जाने क्यों छोड़ गए।
कवि रामदास गुर्जर #Rok_nahi_paye 
#कवि#रामदास #गुर्जर

KAVI RAMDAS GURJAR

काशी हम चाय होतेरामदास #शायरी

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काश की हम चाय हो जाते, तो वो हमें शौक से पी लेगी।
हमें भी छोड़ देगी तो ,
 वो उसके सहारे ही जी लेगी।।
कवि रामदास गुर्जर काशी हम चाय होते#रामदास

KAVI RAMDAS GURJAR

# कसमें और वादे# कवि रामदास गुर्जर #कविता

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झूठे थे वादे झूठी थी कसमें सारी।
झूठा था प्यार तेरा  झूठी थी यारी।।
दिल तोडना ही था तो,फिर हमसे लगाया क्यों।
नजरें मिलाकर हमसे,फिर आज चुराया क्यों।।
क्या यही तरीका था,तेरा मोहब्बत करने का ।
झूठा था वादा संग जीने मरने का।।
कवि रामदास गुर्जर # कसमें और वादे# कवि रामदास गुर्जर

KAVI RAMDAS GURJAR

मेरा गाँव भाग - 1 #कवि#रामदास #गुर्जर #कविता

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रस्ता और गाँव न पहले से लोग रहे, न पहले सा गाँव रहा।
बहती गंगा प्यार प्रीत की, अब न पहले सा भाव रहा।।

हर एक गाँव में भाई, बड़ी चौपालें होती थी।
सब लोगों की आपस में,कुशल क्षेम की बातें होती थी।।
एक दूजे के सुख दुःख में सब हाथ बटाया करते थे।
करता था कोई गलत काम यदि,तो उसको भी समझाया करते थे।।
डेड हाथ का घूंघट करती पहले, अब खुले मुह से डोल रही।
सासु पाय लागू की जगह,आज हैलो मौम ये बोल रही।।
हुए गुलाम पश्चिम के सब,न मर्यादा न मान रहा।
बहती गंगा प्यार प्रीत की अब न पहले सा भाव रहा।।
मात पिता के फटे हुये कपड़े,बेटा फैसन में घूम रहा।
घर में नहीं है खाने को खाना,बेटा यारा संग झूम रहा।।
अच्छा काम करे कोई अब,उस पर दांत पीसते हैं।
कोई बढ न जाये आगे,आपस में टांग खीचते हैं।।
पहले थी माँ बहनों की इज्जत, अब न पहले सा आव रहा।
बहती गंगा प्यार प्रीत की, न पहले सा भाव रहा।।

कवि रामदास गुर्जर मेरा गाँव 
भाग  - 1 
#कवि#रामदास #गुर्जर
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