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Ravendra
बहराइच के रूपईडीहा रेंज में वन्य जीव पर अयोजित चित्र कला व निबन्ध प्रतियोगिता #न्यूज़
read moreDR. SANJU TRIPATHI
जीवन में सत्य अहिंसा को अपनाकर अपना जीवन सफल बनाओ। होती है सदा अहिंसा से भलाई इसमें ना कभी कोई संशय दिखाओ। अंग्रेजों को अहिंसा के दम पर ही भारत छोड़ने पर मजबूर था किया। सादा जीवन उच्च विचार की विचारधारा को लाने का प्रयास किया। सीधे सादे से थे पहनते थे धोती कुर्ता पर इरादे हमेशा ही रखते थे फौलादी। लाठी के दम पर गांधी जी ने अंग्रेजों की जड़े हिलाकर दिला दी आजादी। प्रतियोगिता का द्वितीय चरण। (२ अक्टूबर) विषय - कविता, ग़ज़ल, पत्र, निबन्ध इत्यादि। 🔹पंक्ति बाध्यता नहीं है। 🤗 #ProverbsWorld.in #yqdidi #
प्रतियोगिता का द्वितीय चरण। (२ अक्टूबर) विषय - कविता, ग़ज़ल, पत्र, निबन्ध इत्यादि। 🔹पंक्ति बाध्यता नहीं है। 🤗 #ProverbsWorld.in #yqdidi # #yqbaba #YourQuoteAndMine #PWchallenge #PWcontest #pwजयन्ती #PW2ndOctR2
read moreAnil Prasad Sinha 'Madhukar'
२ अक्टूबर १८६९ को आप अवतरण हुए, हम नमन आपको करते हैं, हे भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, हम श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। दांडी मार्च के पर्यवेक्षक, आपने शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाया, अपनी अभिव्यक्ति की आजादी पाने को, आमरण अनशन सिखलाया। प्रेम अहिंसा दया तप त्याग बलिदान, ये सभी गुण आपके अंदर थे, बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो, बुरा मत कहो, आपके ही तीन बंदर थे। जब दुस्साहसी गोरों ने चलती ट्रेन से आपको, निकालकर बाहर किया, उसी समय गोरों को भारत से निकालने का, हे महात्मन आपने प्रण किया। ना बंदूक चलाई ना कोड़े बरसाए, बस आपने अपनी औकात को दिखलाई, अधनंगा शरीर जैसे कोई फकीर, हर भारतीय को गांधीगिरी सिखलाई। साहस नहीं था किसी भी गोरे अफसरों में, जो सामना आपका कर पाए, रधुपति राघव राजा राम, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, हर धर्म को बतलाए। ३० जनवरी १९४८ को, जब हिंसा ने सत्य अहिंसा पर गोलियाँ बरसाई, लज्जित हुआ था विश्व सारा, पर निर्लज्ज को तनिक भी दया नहीं आई। प्रतियोगिता का द्वितीय चरण। (२ अक्टूबर) विषय - कविता, ग़ज़ल, पत्र, निबन्ध इत्यादि। 🔹पंक्ति बाध्यता नहीं है। 🤗 #ProverbsWorld.in #yqdidi #
प्रतियोगिता का द्वितीय चरण। (२ अक्टूबर) विषय - कविता, ग़ज़ल, पत्र, निबन्ध इत्यादि। 🔹पंक्ति बाध्यता नहीं है। 🤗 #ProverbsWorld.in #yqdidi # #yqbaba #YourQuoteAndMine #PWchallenge #PWcontest #pwजयन्ती #PW2ndOctR2
read moreThe Khushi Dhangar
#Pehlealfaaz बात तब की है जब मैं सातवीं कक्षा मैं थी, और मुझे पता भी नहीं था कि मेरे अंदर एक छोटी सी कवियित्री छिपी हुई है, हाल ही में हुए निबंध लेखन की प्रतियोगिता में सिर्फ उन्हीं विद्यार्थियों के निबन्ध की प्रशंसा हुई, जिन्होंने अपना निबन्ध किसी और से लिखवाया था। मुझे उस बात का बहुत दुःख हुआ, अगले दिन छुट्टी थी, मैं छत पर गई, सोचने लगी कि इस बार तो किसी ने तारीफ ही नहीं की, काश अगली बार कविता लेखन की प्रतियोगिता हो, लेकिन फिर अचानक से मन में आया कि कविता तो मुझे भी नहीं लिखनी आती, तब लिखी मैंने अपनी पहली कविता, " यदि प्रकृति है हमारा जीवन, तो होगा अब खुशहाली का आगमन " लेकिन ना जाने किस संकोच और जिझक में मैंने वो कविता किसी को नहीं दिखाई, बल्कि अपनी एक कॉपी में छुपा के रख दी। जब मैं दसवीं कक्षा में अाई तो हिन्दी की क्लास में मैडम ने पहले पाठ के बाद ही तुकबंदी करने का होम वर्क दिया, तब सोचा कि इस ही कविता को ही दिखा देती हूं। अगले दिन क्लास में मैडम ने बहुत तारीफ की, दोस्तों ने कहा कि तुम तो कवियित्री निकली, घर पर सबने बहुत तारीफ की। मैं बहुत खुश हुई। तब से ही मैंने लिखना शुरू किया। सुनने में अजीब है, पर सच है, कुछ यूं ही मुलाकात हुई मेरी " मेरे पहले अल्फ़ाज़ " से। #Pehlealfaaz " मेरे पहले अल्फ़ाज़ "............. बात तब की है जब मैं सातवीं कक्षा मैं थी, और मुझे पता भी नहीं था कि मेरे अंदर एक छोटी सी
#Pehlealfaaz " मेरे पहले अल्फ़ाज़ "............. बात तब की है जब मैं सातवीं कक्षा मैं थी, और मुझे पता भी नहीं था कि मेरे अंदर एक छोटी सी #Challenge #Sach #Competetion #writer #poetess #thekhushidhangar #मेरेपहलेअल्फ़ाज़ #merepehlealfaaz #itsreality
read moreMahima Jain
मेरी सबसे पसंदीदा किताब है "डार्क हॉर्स"। डार्क हॉर्स के लेखक है नीलोत्पल मृणाल जो कभी I.A.S. की तैयारी के लिए दिल्ली के फेमस मुखर्जी नगर में रहा करते थे। इस किताब के प्रकाशक है वेस्टलैंड पब्लिकेशन लिमिटेड,चेन्नई। उन्होंने अपने जिंदगी के कुछ कीमती साल I.A.S. की तैयारी में दिए| इस दौरान उन्होंने यहाँ की दुनिया, यहाँ की जिंदगी को बडी ही नजदीकी से देखा। इसलिए उन्होंने अपने जिंदगी के पहले उपन्यास में अपने यही अनुभव साझा किये है| उन्होंने यहाँ के अनुभव को जस का तस उतारा है| उसमे कोई भी साहित्यिक ताना–बाना नहीं डाला गया है| यहाँ तक के चरित्रों की बोली भी उन्होंने वही रखी है| यहाँ लोग अपने साथ कितने सपने लेकर आते है| उन सपनो को पूरा करते वक्त उनको किस–किस परेशानियों से गुजरना पड़ता है। इसका बड़े ही बारीकी और संवेदनशीलता के साथ उन्होंने वर्णन किया है। लगता है जैसे हम भी वही मुखर्जी नगर में कही आसपास मौजूद हो। दिल्ली के कुछ जाने–माने इलाको का नाम बार–बार उपन्यास में आता है। वहां रह चुके लोगो को अपने पुराने दिन याद आये बगैर नहीं रहेंगे। किसी–किसी को तो अपने कॉलेज और हॉस्टल के दिन याद आ जायेंगे। कहते है कॉलेज और हॉस्टल के दिन हमारे जीवन के सुनहरे पलो में से एक होते है जिसे हम बार–बार जीना चाहते है तो इस किताब को पढ़ते वक्त आप अपने उस दौर में पहुँच जायेंगे। सचमुच लेखक ने किताब बहुत अच्छी लिखी है। •| संक्षिप्त निबन्ध |• विषय :- मेरी पसंदीदा किताब मेरी पसंदीदा किताब "डार्क हॉर्स" है। डार्क हॉर्स के लेखक है नीलोत्पल मृणाल जो कभी I.A.S.
•| संक्षिप्त निबन्ध |• विषय :- मेरी पसंदीदा किताब मेरी पसंदीदा किताब "डार्क हॉर्स" है। डार्क हॉर्स के लेखक है नीलोत्पल मृणाल जो कभी I.A.S. #YourQuoteAndMine #darkhorse #day8 #favouritebooks #ssqmq #shortessays #ssqmqeassy #ssqmqessay8
read moreMahima Jain
इस कोरोना काल में जहां घर से निकलना लगभग बंद हो गया, वहां आज मुझे उन जगहों के बारे में लिखना हैं, जहां मैं जाना चाहती हूं। एक सच बात बताऊं मैं आज तक ट्रेन में नहीं बैठी। दिल्ली से बाहर 2-3 बार जाना हुआ और हर बार कैब से। बचपन से स्कूल में जब सब छुट्टियों में अपनी घूमने की कहानियां बताते थे, मैं बस चुपचाप सुनती थी। ऐसे तो मेरी कोई बहुत बड़ी लिस्ट नहीं है पर हां बचपन से सिर्फ़ एक जगह है जहां मुझे हर हाल में जाना ही है। जब पहली बार *3 इडियट्स* में उस जगह को देखा था, उसकी सुन्दरता की मैं कायल हो गई थी। फिर *जब तक है जान* तो पूरी फ़िल्म ही वहां दर्शाई गई है। जी हां वो है "लद्दाख"। नीला पानी, आकाश को चूमते पर्वत और सीधा एवं सरल जीवन, कितनी शांति है ना वहां। पहले लद्दाख जाना आसान लगता था, लगता था एक दिन अपना ये सपना ज़रूर पूरा करूंगी। मैंने तो बुलेट चलानी भी सीखी थी। पर पिछले साल उसके केंद्र शासित प्रदेश बनने और उसके बाद हो रहे निरंतर हो रही जंग के बाद पर्यटकों का वहां जाना थोड़ा नामुमकिन सा ही है। इसके अलावा मुझे मौका मिला तो केरल और केदारनाथ भी जाना चाहती हूं। पर वहां भी कुछ सालों पहले कुदरत अपना कहर दिखा चुकी है, जिसकी वजह से वहां भी काफ़ी कुछ नष्ट हो चुका है। अब देखतें है भविष्य में क्या होता है। पहले तो कोरोना कहीं जाए, तब ही हम कहीं जा पाएंगे।। •| संक्षिप्त निबन्ध |• विषय - जिन स्थानों पर आप जाना चाहते हैं। इस कोरोना काल में जहां घर से निकलना लगभग बंद हो गया, वहां आज मुझे उन जगहों
•| संक्षिप्त निबन्ध |• विषय - जिन स्थानों पर आप जाना चाहते हैं। इस कोरोना काल में जहां घर से निकलना लगभग बंद हो गया, वहां आज मुझे उन जगहों #day4 #DreamDestination #YourQuoteAndMine #kedarnath #Laddakh #ssqmqessay #ssqmqessay4
read moreInsprational Qoute
के विषय मे गांधी जी को पत्र✍️ कृपया अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏🙏 सहृदय आभार प्रिय बापू जी, आपको शतबार सप्रणाम, वंदन🙏🙏 प्रिय राष्ट्रपिता आप मेरे सर्वप्रथम प्रिय व अभिप्रेरक रहे हैं, आपकी जीवनगाथा मेरे लि
सहृदय आभार प्रिय बापू जी, आपको शतबार सप्रणाम, वंदन🙏🙏 प्रिय राष्ट्रपिता आप मेरे सर्वप्रथम प्रिय व अभिप्रेरक रहे हैं, आपकी जीवनगाथा मेरे लि #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #PWchallenge #ProverbsWorld #PWcontest #pwजयन्ती #PW2ndOctR2
read moreDR. SANJU TRIPATHI
निबन्ध- "कोरा काग़ज़ की विशेषताएं " भावों की अभिव्यक्ति का जरिया है कोरा कागज, लेखक को लेखन में पारंगत बनाता है कोरा कागज। 👇👇शेष निबन्ध कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें 👇👇👇 रचना क्रमांक -5 18/10/2022 निबन्ध लेखन "कोरा काग़ज़ की विशेषताएं " भावों की अभिव्यक्ति का जरिया है कोरा कागज, लेखक को लेखन में पारंगत बनात
रचना क्रमांक -5 18/10/2022 निबन्ध लेखन "कोरा काग़ज़ की विशेषताएं " भावों की अभिव्यक्ति का जरिया है कोरा कागज, लेखक को लेखन में पारंगत बनात #collabwithकोराकाग़ज़ #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKHBD2022 #KKजन्मदिन_5
read moreAprasil mishra
"उदारवाद बनाम रुढ़िवाद : एक जीवट समावेशी संस्कृति के सन्दर्भ में " 1.सांस्कृतिक अंतर्परिवर्तन- संस्कृति के बाहर किसी अन्य में संस्कृति में होने वाले बदलाव. 2.सांस्कृतिक अंत:परिवर्तन- किसी संस्कृति के भीतर हो