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Abeer Saifi

जो तुम रुकोगे मैं ठहरा हुआ हूँ तुम जो चलोगे मैं चलता रहूँगा जायज़ मुहौबत में गर कुफ़्र "सैफ़ी" वो अब ख़ुदा है मैं बन्दा #yqtales #yqquotes #yqlove #cinemagraph

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उसने  कहा  था कि सुनता रहेगा
मैने  कहा  था  कि  कहता रहूँगा

उसकी  निशानी  है सारी जराहत
सो  उम्र  भर  मैं  ये  सहता रहूँगा

वो  ख़ुश  रहे  ये  दुआ है ख़ुदा से 
मैं  तो   बहर-हाल   मरता  रहूँगा

लेकिन  मिरी जां हक़ीक़त यही है 
दिल  में  कहीं तो मैं चुभता रहूँगा 

अब  चश्म  से  अश्क़  गिरते रहेंगे
काग़ज़ को अश्क़ो से भरता रहूँगा

वादा  है  तुमसे  कभी  जो ना टूटे
जब  भी  मिलोगे  मैं हँसता रहूँगा
 जो  तुम  रुकोगे  मैं  ठहरा हुआ हूँ 
तुम   जो  चलोगे  मैं  चलता रहूँगा 

जायज़  मुहौबत में गर कुफ़्र "सैफ़ी"
वो   अब  ख़ुदा  है  मैं  बन्दा

Abeer Saifi

जो तुम रुकोगे मैं ठहरा हुआ हूँ तुम जो चलोगे मैं चलता रहूँगा जायज़ मुहौबत में गर कुफ़्र "सैफ़ी" वो अब ख़ुदा है मैं बन्दा #yqtales #yqquotes #yqlove #cinemagraph

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उसने  कहा  था कि सुनता रहेगा
मैने  कहा  था  कि  कहता रहूँगा

उसकी  निशानी  है सारी जराहत
सो  उम्र  भर  मैं  ये  सहता रहूँगा

वो  ख़ुश  रहे  ये  दुआ है ख़ुदा से 
मैं  तो   बहर-हाल   मरता  रहूँगा

लेकिन  मिरी जां हक़ीक़त यही है 
दिल  में  कहीं तो मैं चुभता रहूँगा 

अब  चश्म  से  अश्क़  गिरते रहेंगे
काग़ज़ को अश्क़ो से भरता रहूँगा

वादा  है  तुमसे  कभी  जो ना टूटे
जब  भी  मिलोगे  मैं हँसता रहूँगा
 जो  तुम  रुकोगे  मैं  ठहरा हुआ हूँ 
तुम   जो  चलोगे  मैं  चलता रहूँगा 

जायज़  मुहौबत में गर कुफ़्र "सैफ़ी"
वो   अब  ख़ुदा  है  मैं  बन्दा

Abeer Saifi

की  ज़ख्म  कैसा  आपने उसको दिया  वो   उम्र   भर  रोता  रहा  शाइर  यहाँ रामा  सुनो  वो  मस्जिदों  को तोड़ कर  नादाँ   बनाते   हैं   तिरा   म

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आए  मुहब्बत  में सनम आख़िर यहाँ 
मैं  दर-ब-दर  हूँ आप के ख़ातिर यहाँ 

जो तुम नहीं हो याद आया अब ख़ुदा 
मुद्दत  तलक  मैं भी रहा काफ़िर यहाँ

जो मुस्करा के मिल रहा हूँ जा-ब-जा
होता  ग़म-ए-पिन्हाँ  नहीं ज़ाहिर यहाँ

बार-ए-ख़ुदा  से हुक्म हो तब भी नहीं 
वो लौट कर ना आएगा अब फ़िर यहाँ 

रोज़-ए-क़यामत  या  ख़ुदा ऐलान  हो
हों   बेवफ़ा-ओ-बे-इमाँ   हाज़िर  यहाँ 

माना  कि  हम थे प्यार में नौसिख्खिए 
पर  आप  तो  थे इश्क़ के माहिर यहाँ  की  ज़ख्म  कैसा  आपने उसको दिया 
वो   उम्र   भर  रोता  रहा  शाइर  यहाँ

रामा  सुनो  वो  मस्जिदों  को तोड़ कर 
नादाँ   बनाते   हैं   तिरा   म

Abeer Saifi

की  ज़ख्म  कैसा  आपने उसको दिया  वो   उम्र   भर  रोता  रहा  शाइर  यहाँ रामा  सुनो  वो  मस्जिदों  को तोड़ कर  नादाँ   बनाते   हैं   तिरा   म

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आए  मुहब्बत  में सनम आख़िर यहाँ 
मैं  दर-ब-दर  हूँ आप के ख़ातिर यहाँ 

जो तुम नहीं हो याद आया अब ख़ुदा 
मुद्दत  तलक  मैं भी रहा काफ़िर यहाँ

जो मुस्करा के मिल रहा हूँ जा-ब-जा
होता  ग़म-ए-पिन्हाँ  नहीं ज़ाहिर यहाँ

बार-ए-ख़ुदा  से हुक्म हो तब भी नहीं 
वो लौट कर ना आएगा अब फ़िर यहाँ 

रोज़-ए-क़यामत  या  ख़ुदा ऐलान  हो
हों   बेवफ़ा-ओ-बे-इमाँ   हाज़िर  यहाँ 

माना  कि  हम थे प्यार में नौसिख्खिए 
पर  आप  तो  थे इश्क़ के माहिर यहाँ  की  ज़ख्म  कैसा  आपने उसको दिया 
वो   उम्र   भर  रोता  रहा  शाइर  यहाँ

रामा  सुनो  वो  मस्जिदों  को तोड़ कर 
नादाँ   बनाते   हैं   तिरा   म
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