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satish chandra
प्यार- दुखों का बाजार प्रेमी- दुखों का खरीदार प्रेमिका -दुखों की दुकानदार माता-पिता -बीच की दीवार बहन- सलाहकार भाई -पिटने को तैयार यही है प्यार का बिग बाजार ©satish chandra प्यार का बिग बाजार
प्यार का बिग बाजार #विचार
read moreJai Prakash
@छोटा सा गांव मेरा पूरा बिग बाजार था एक नाई, एक मोची, एक कालू लुहार था छोटे छोटे घर थे, हर आदमी बड़ा दिलदार था.. कही भी रोटी खा लेते,हर घर में भोजन तैयार था. गांव की हरी सब्जियां बड़े मजे से खाते थे,जिसके आगे शाही पनीर भी बेकार था.. दो मिनट की मैगी ना,झटपट दलिया तैयार था..नीम की निम्बोली और सहतूत सदाबहार था, छोटा सा गांव मेरा पूरा बिग बाजार था.. मुल्तानी माटी से तालाब नहा लेते,साबुन और स्विमिंग पूल बेकार था.. दादी और नानी की कहानी सुन लेते,कहा टेलीविजन और अख़बार था.. भाई भाई को देख कर खुश था, सभी लोगों में बड़ा प्रेम (प्यार ) था.. छोटा सा गांव मेरा पूरा बिग बाजार था..🙏 ©Jai Prakash #story @छोटा सा गांव मेरा पूरा बिग बाजार था..🙏
#story @छोटा सा गांव मेरा पूरा बिग बाजार था..🙏
read moreShiv Sankar
आप 18 वर्ष में कहे के मै गरीब हूं ..तो कोई। बात नहीं,लेकिन आप 28 वर्श में कहे के मै गरीब हूं,तो। वो पूरा आपकी गलती है। बिग thoght
बिग thoght
read moreगौरव दीक्षित(लव)
*छोटा सा मोहल्ला मेरा,* *पूरा बिग बाजार था!* *एक नाई, एक मोची, एक सुनार,* *एक कल्लू लुहार था.* *छोटे छोटे घर थे पर,* *हर आदमी बङा दिलदार था.* *कहीं भी रोटी खा लेते थे,* *हर घर मे भोजऩ तैयार था.* *बड़ी, गट्टे की सब्जी मजे से खाते थे,* *जिसके आगे शाही पनीर बेकार था.* *ना कोई मैगी ना पिज़्ज़ा...* *झटपट पापड़, भुजिया, आचार, या फिर दलिया तैयार था.* *नीम की निम्बोली और बेरिया सदाबहार था.* *रसोई के परात या घड़े को बजा लेते,* *नीटू पूरा संगीतकार था.* *मुल्तानी माटी लगा पोखर में नहा लेते,* *साबुन और स्विमिंग पूल सब बेकार था.* *और फिर कबड्डी खेल लेते,* *हमें कहाँ क्रिकेट का खुमार था.* *अम्मा से कहानी सुन लेते,* *कहाँ टेलीविज़न और अखबार था.* *भाई-भाई को देख के खुश था,* *सभी लोगों मे बहुत प्यार था. *छोटा सा मोहल्ला मेर पूरा बिग बाजार था.* G@ur@v ✍️✍️🙏 *छोटा सा मोहल्ला मेरा,* *पूरा बिग बाजार था!* *एक नाई, एक मोची, एक सुनार,* *एक कल्लू लुहार था.*
*छोटा सा मोहल्ला मेरा,* *पूरा बिग बाजार था!* *एक नाई, एक मोची, एक सुनार,* *एक कल्लू लुहार था.* #कविता
read moreगौरव दीक्षित(लव)
*छोटा सा मोहल्ला मेरा,* *पूरा बिग बाजार था!* *एक नाई, एक मोची, एक सुनार,* *एक कल्लू लुहार था.* *छोटे छोटे घर थे पर,* *हर आदमी बङा दिलदार था.* *कहीं भी रोटी खा लेते थे,* *हर घर मे भोजऩ तैयार था.* *बड़ी, गट्टे की सब्जी मजे से खाते थे,* *जिसके आगे शाही पनीर बेकार था.* *ना कोई मैगी ना पिज़्ज़ा...* *झटपट पापड़, भुजिया, आचार, या फिर दलिया तैयार था.* *नीम की निम्बोली और बेरिया सदाबहार था.* *रसोई के परात या घड़े को बजा लेते,* *नीटू पूरा संगीतकार था.* *मुल्तानी माटी लगा पोखर में नहा लेते,* *साबुन और स्विमिंग पूल सब बेकार था.* *और फिर कबड्डी खेल लेते,* *हमें कहाँ क्रिकेट का खुमार था.* *अम्मा से कहानी सुन लेते,* *कहाँ टेलीविज़न और अखबार था.* *भाई-भाई को देख के खुश था,* *सभी लोगों मे बहुत प्यार था. *छोटा सा मोहल्ला मेर पूरा बिग बाजार था.* G@ur@v ✍️✍️🙏 *छोटा सा मोहल्ला मेरा,* *पूरा बिग बाजार था!* *एक नाई, एक मोची, एक सुनार,* *एक कल्लू लुहार था.*
*छोटा सा मोहल्ला मेरा,* *पूरा बिग बाजार था!* *एक नाई, एक मोची, एक सुनार,* *एक कल्लू लुहार था.* #कविता
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