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विध्वंस
White स्त्री को समझाना शायद मुश्किल हो परंतु पुरुष को समझने की मंशा नहीं रखता समाज💔 ©Basdillachchahai #love_shayari स्त्री को समझाना शायद मुश्किल हो परंतु पुरुष को समझने की मंशा नहीं रखता समाज💔 आज का विचार सुप्रभात अनमोल विचार बेस्ट सुव
#love_shayari स्त्री को समझाना शायद मुश्किल हो परंतु पुरुष को समझने की मंशा नहीं रखता समाज💔 आज का विचार सुप्रभात अनमोल विचार बेस्ट सुव
read moreSatish Kumar Meena
White स्त्री का दर्जा समाज में भले ही कम हो पर पुरुष को बल और सहयोग स्त्री से ही मिलता है इस प्रकार दोनों को ही बराबर महत्व देना स्वीकार्य होना चाहिए। ©Satish Kumar Meena स्त्री और पुरुष
स्त्री और पुरुष #विचार
read morezindagi ko aawaz
आखिर कैसे मालूम चलेगा कि कोई पुरुष सही है या गलत?? 🌻❤️ urdu poetry poetry poetry in hindi poetry quotes hindi poetry #Poetry
read moreamnewsnational
White छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की पुलिस इतनी बेकार हो चुकी है की क्या बोला जाए। एक महिला और एक पुरुष थाने मे जाते है। महिला ने थाने के (Ghanshyam sahu) जो की एक फुल वाला पुलिस कर्मी है। वो पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोला की तुम बेकुफ और चुतीया इन्सान हो। ये कहेना है उस पुलिस कर्मी का जिसका नाम है (ghanshyam sahu) है। ये पुलिस कर्मी का कार्य नही होता है। दोनो पक्ष की बात सुनकर फैसला देना चाहिए। लेकिन ये पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोलता है की तेरे उपर (fir) दर्ज़ कर के जेल भेजूगा। लेकिन ये पुलिस कर्मी जिस पुरुष को ये सब बोल रहा है वो ये नही जानता है की वो पुरुष एक पत्रकार है। वो इसकी बात को क्यु चुप चाप से सुन रहा था। अब आप ही देखीये की पुलिस कर्मी किस प्रकार से अपना कार्य कर रहे है। ये पुलिस कर्मी (ghamshayam sahu) अपने आप को थाना प्रभारी समझने लगते है। ©amnewsnational छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की प
छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की प #विचार
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छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की पुलिस इतनी बेकार हो चुकी है की क्या बोला जाए। एक महिला और एक पुरुष थाने मे जाते है। महिला ने थाने के (Ghanshyam sahu) जो की एक फुल वाला पुलिस कर्मी है। वो पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोला की तुम बेकुफ और चुतीया इन्सान हो। ये कहेना है उस पुलिस कर्मी का जिसका नाम है (ghanshyam sahu) है। ये पुलिस कर्मी का कार्य नही होता है। दोनो पक्ष की बात सुनकर फैसला देना चाहिए। लेकिन ये पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोलता है की तेरे उपर (fir) दर्ज़ कर के जेल भेजूगा। लेकिन ये पुलिस कर्मी जिस पुरुष को ये सब बोल रहा है वो ये नही जानता है की वो पुरुष एक पत्रकार है। वो इसकी बात को क्यु चुप चाप से सुन रहा था। अब आप ही देखीये की पुलिस कर्मी किस प्रकार से अपना कार्य कर रहे है। ये पुलिस कर्मी (ghamshayam sahu) अपने आप को थाना प्रभारी समझने लगते है। ©amnewsnational छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की प
छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की प #olympics
read moreRameshkumar Mehra Mehra
पुरूष का कंधा................. और स्त्री की गोद बो...! सुकून भरा सिरहना है....!! जहाँ उन दिनो कि न जाने......!!! कितनी पेरशानियां,बेचैनियाॅ बिश्राम लेती है.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # पुरुष का कंधा,और स्त्री की गोद बो,सुकून,परेशानियाँ,बेचैनियाॅ,बिश्राम लेती है.....
# पुरुष का कंधा,और स्त्री की गोद बो,सुकून,परेशानियाँ,बेचैनियाॅ,बिश्राम लेती है..... #Quotes
read moreAnjali Singhal
"बात-बात पर दिया जाता हमें दुत्कार, प्रेम का पौधा सींचकर भी, नारी ही क्यूँ दे अग्नि परीक्षा हर बार? पुरुष! पहले तू अपने अंदर झाँक, समर्पण अब #Quotes #AnjaliSinghal
read moreपूर्वार्थ
White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है तुम थोड़ा सा "प्यार_देना" ————————————————————— पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ। मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।" पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।" जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता। क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।" मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना" अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना" बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम उदास देखना,तो बिना सवाल अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना सब ठीक हो जाएगा क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना" ©पूर्वार्थ #पुरुष
Andy Mann
White पुरुष भी ढूढ़ते है कंधा , रोने के लिये, दर्द को जताने के लिए, ढूढ़ते है वह भी, जिसके समक्ष बैठ निकाल सके अपने भीतर समाहित कुंठा को, हाँ! भरा होता है इक सैलाब , उनमें भी, भावनाओं का, जो छिपा लेते है वह, अपनी सख़्त स्वभाव में, सख्त स्वभाव , जो बना दी गयी है, पहचान उनकी, उनके पौरुषत्व की, क्योंकि आदमी हैं, रोते नही है, उन्हें पीड़ा होती नही है .... ©Andy Mann #पुरुष Sangeet... - @Hardik Mahajan vineetapanchal MRS SHARMA Santosh Narwar Aligarh