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Stories related to ऐक्यं बलं समाजस्य

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अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् | पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् || इस श्लोक के अनुसार दुर्योधन के पास अपरिमेय शक्ति हो #yqdidi #bhagwadgitaquotes

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अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् |
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् ||

इस श्लोक के अनुसार दुर्योधन के पास अपरिमेय शक्ति होती है जो पितामह द्वारा भली-भांति संरक्षित होती है साथ ही पांडव की शक्ति भीम द्वारा भली-भांति संरक्षित होती है !
एक तरफ दुर्योधन के पास बलशाली सेना और अनुभवी लोग दूसरी तरफ पांडवों के पास सेना और संसाधन की अपार कमी साथ ही एक कम अनुभवी भीम द्वारा संरक्षण का प्राप्त होना!
 भगवत गीता की यह श्लोक हमें साफ संदेश देती है कि हमें किसी को भी छोटा नहीं समझना चाहिए हमें ऊंच-नीच धन-दौलत जात-पात से ऊपर उठकर लोगों की सेवा करनी चाहिए अगर नहीं करेंगे तो हमारी हाल भी कौरवो जैसी होगी और हमें हराने वाला भी पांडवों जैसा ही होगा..
आज गीता जयंती के शुभ अवसर पर आपको एवं आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं साथ ही भगवान कृष्ण की असीम कृपा हम सभी पर बनी रहे...
राधे राधे 🌹🌹🌹 अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् |
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् ||

इस श्लोक के अनुसार दुर्योधन के पास अपरिमेय शक्ति हो

Divyanshu Pathak

तेजोअसि तेजो मयि धेहि।वीर्यमसि वीर्यं मयि धेहि। बलमसि बलं मयि धेहि।ओजोअस्योजो मयि धेहि। मन्युरसि मन्युं मयि धेहि।सहोअसि सहो मयि धेहि। यजुर् #yqdidi #yqhindi #पाठकपुराण

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यां मेधां देवगणाः पितृश्चोपासते।
तया मामद्य मेधयाअग्ने मेधाविनं कुरु स्वाहा।।

(यजुर्वेद अ.- 32 मंत्र-14)

जिस बुद्धि की उपासना देवता और हमारे पूर्वजों ने की है उसी ज्ञानरूप अग्नि को हमें देकर मुझे विद्वान बनाओ। तेजोअसि तेजो मयि धेहि।वीर्यमसि वीर्यं मयि धेहि।
बलमसि बलं मयि धेहि।ओजोअस्योजो मयि धेहि।
मन्युरसि मन्युं मयि धेहि।सहोअसि सहो मयि धेहि।

यजुर्

Vikas Sharma Shivaaya'

☀️सूर्य नमस्कार🙏 सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है..., #समाज

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☀️सूर्य नमस्कार🙏
सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है...,
इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है...,
'सूर्य नमस्कार' स्त्री, पुरुष, बाल, युवा तथा वृद्धों के लिए भी उपयोगी बताया गया है...,
आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥
(जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है...)...,

             मन्त्र चक्र आसन...
               बीज नमस्कार
1 ॐ ह्रां ॐ मित्राय नमः अनन्तचक्र- प्रणामासन
2 ॐ ह्रीं ॐ रवये नमः विशुद्धिचक्र- हस्तोत्थानासन
3 ॐ ह्रूं ॐ सूर्याय नमः स्वाधिष्ठानचक्र- हस्तपादासन
4 ॐ ह्रैं ॐ भानवे नमः आज्ञाचक्र- एकपादप्रसारणासन
5 ॐ ह्रौं ॐ खगाय नमः विशुद्धिचक्र- दण्डासन
6 ॐ ह्रः ॐ पूष्णे नमः मणिपुरचक्र- अष्टांगनमस्कारासन
7 ॐ ह्रां  ॐ हिरण्यगर्भाय नमः स्वाधिष्ठानचक्र-भुजंगासन
8 ॐ मरीचये नमः विशुद्धिचक्र- अधोमुखश्वानासन
9 ॐ ह्रूं ॐ आदित्याय नमः आज्ञाचक्र- अश्वसंचालनासन
10 ॐ ह्रैं ॐ सवित्रे नमः स्वाधिष्ठानचक्र- उत्थानासन
11 ह्रौं ॐ अर्काय नमः विशुद्धिचक्र- हस्तोत्थानासन
12 ॐ ह्रः ॐ भास्कराय नमः अनन्तचक्र- प्रणामासन
13 ॐ श्रीसवितृसूर्यनारायणाय नमः अनन्तचक्र-प्रणामासन
14 ॐ हे भो हरे नमः

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 550 से 561 नाम
550 कृष्णः कृष्णद्वैपायन
551 दृढः जिनके स्वरुप सामर्थ्यादि की कभी च्युति नहीं होती
552 संकर्षणोऽच्युतः जो एक साथ ही आकर्षण करते हैं और पद च्युत नहीं होते
553 वरुणः अपनी किरणों का संवरण करने वाले सूर्य हैं
554 वारुणः वरुण के पुत्र वसिष्ठ या अगस्त्य
555 वृक्षः वृक्ष के समान अचल भाव से स्थित
556 पुष्कराक्षः हृदय कमल में चिंतन किये जाते हैं
557 महामनः सृष्टि,स्थिति और अंत ये तीनों कर्म मन से करने वाले
558 भगवान् सम्पूर्ण ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य जिनमें है
559 भगहा संहार के समय ऐश्वर्यादि का हनन करने वाले हैं
560 आनन्दी सुखस्वरूप
561 वनमाली वैजयंती नाम की वनमाला धारण करने वाले हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' ☀️सूर्य नमस्कार🙏
सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है...,
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