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'मनु' poetry -ek-khayaal

pramod malakar

#बूंद बूंद करके #कविता

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बूंद बूंद करके
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 बूंद बूंद  करके जो मिलता है  ज्ञान तुम्हें 
दिल    में   समेट      लिया     करो।
चांद  की रोशनी  मिलती है अगर,
अमावस्या    की    रात    भी,
आंखों में समेट लिया करो।
मंद मंद हवाएं बहती है अगर तुम्हारे करीब से,
अपनी   सांसों   में   पीरोलिया  करो।
कहानी किस्मत की ऐसे ही नहीं लिखी जाती,
खुशी और  गम को  चुपचाप पी  लिया  करो।
तुम  भी   शबनम   हो   इस    कायनात   के,
मुस्कुराते   हुए   हर   पल   जी   लिया  करो।
ख्वाहिशें  तो   बहुत  होगी   दिल  में ,
फटे लम्हों को मन के धागों से सी लिया करो ।
आसमान  भी और जगह  ढूंढ रहा है ,
सपनों को  दायरे में समेट लिया करो।
 बूंद बूंद करके जो मिलता है ज्ञान तुम्हें,
दिल में समेट लिया करो।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

©pramod malakar #बूंद बूंद करके

hãmräj jhâ

बूंद बूंद 😛+ #Twowords

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कांच के बाहर की परत
मुझ जैसी है।

बूंद जैसी तुम
छूकर गुजरती रहती हो।
न तुम रुकती हो,
न मेरा मन भरता है।

-

©hãmräj jhâ बूंद बूंद 😛+

#Twowords

Kumar Ravishankar

# बूंद बूंद से घड़ा भर #समाज

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AADESH KUMAR GOTA

बूंद #लव

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Mamta Kumari

अकेलेपन का एहसास उस बूंद से पूछिए जो, 
गिरती तो हज़ारों बूंदों के साथ है... बारिश बनकर!
पर..बारिश के बाद अकेली...लटकती रह जाती है..
उस तार पर!!

©Mamta Kumari #बूंद

ankit saraswat

एक बूंद सा जीवन मेरा, 
तेरे प्यार के सागर में खो गया।
अकेला था तो बूंद था,
तुझमें मिला तो सागर हो गया।। 
#अंकित सारस्वत # #बूंद

अविरल अनुभूति

बूंद #Poetry

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अविरल बूंद ये ओस की, पड़े जो सागर तीर।
बूंद मिटी सागर भई, दोनों में एकही नीर।।

©अविरल अनुभूति बूंद

Manmohan Dheer

बूंद

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तुम कीचड़ में हो कमल माना
स्वाति नक्षत्र की हूँ बूँद मैं भी बूंद

निधि नारायन

# बूंद

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कुछ तो चाहत रही होंगी उन बूंदों की भी 
वरना कौन छूता है इस जमी को आसमा से टूटकर 
कई ठोकरें मिली होंगी सफर में,
 फिर भी चला आता है बादलों की गोद से उतर कर

©निधि नारायन # बूंद
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