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Stories related to कल्पनेतील जग चित्र

Nirupama Mishra

#चित्र #चरित्र #नज़र मोटिवेशनल कोट्स हिंदी कोट्स इन हिंदी

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White पानी में चित्र और वाणी में चरित्र नज़र आता है....

©Nirupama Mishra #चित्र #चरित्र #नज़र   मोटिवेशनल कोट्स हिंदी कोट्स इन हिंदी

Praveen Jain "पल्लव"

#Ram_Navmi देखी जग ने इनकी मर्यादा,इसलिये हर युग मे पूजे जाते है #nojotohhindi

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White पल्लव की डायरी
आदर्श व्यकित्व था श्री राम का
कर्तव्य हमेशा निभाते थे
नही चिंता की कभी अधिकारों की
राजपाट तज,वन को जाते है
देखी जग ने इनकी मर्यादा 
इसलिये हर युग मे
  राम ही युगपुरुष कहलाते है
कल्पना राम राज्य की सब करते है
 उनके पदचिन्हों को आदर्श बनाना चाहते है
राम राम का स्वर सबके मुख से उच्चरता
ह्रदय ह्रदय में जाप चलता है
जग की वैतरणी पार करने में
आधार राम का ही लेना पड़ता है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Ram_Navmi देखी जग ने इनकी मर्यादा,इसलिये हर युग मे पूजे जाते है
#nojotohhindi

Ankit Singh

सब रूठा तो जग रूठा 👈👈👈👈🤘🤟🤘🤟❤❤❤

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GoluBabu

जिस-जिस को जग हंसा। उस-उस इतिहास रचा।। #Spreadlove #waiting

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Praveen Jain "पल्लव"

#Sad_Status शाकाहार पनपे जग में, मूक प्राणी भी जीवित रह पाये #nojotohindi

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White पल्लव की डायरी
सब जीवों पर करुणा दया ही
जीवन की सारभौमिक्ता है
शाकाहार पनपे जग में
निरीह और मूक प्राणी को
मांसाहारीयो से बचाना है
नामीबिया के सूखे का संकट
घोषणा पशुओं के कत्ल की सरकारी है
जैन समाज की पहल,मदद वहाँ पहुँचती है
वहाँ की सरकार अपना आदेश वापस करती है
उठ खड़े हो जाये सारे समाज और धर्म
माँसाहार बंद कर,पशुओं पक्षियों के
प्राणों की रक्षा हो सकती है
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Sad_Status शाकाहार पनपे जग में, मूक प्राणी भी जीवित रह पाये
#nojotohindi

ब्रJESH Chanद्रा

स्वार्थ भरा यह जग सारा Anshu writer Mysterious Girl sing with gayatri ℘ґѦℊѦ†ї Internet Jockey

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दुनिया में अजनबी बनकर जिओ 
ऐसे भी अपना स्वार्थ के बिना कहां जीता

©ब्रJESH Chanद्रा स्वार्थ भरा यह जग सारा 
 Anshu writer  Mysterious Girl  sing with gayatri  ℘ґѦℊѦ†ї  Internet Jockey

dimple

#मिट्टी #जग #दुनिया #सोना #उड़ान #प्यार #आसमान #भाग #थक शायरी हिंदी में दोस्ती शायरी शायरी हिंदी में शायरी दर्द लव शायरी

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मैं  भी  मिट्टी,  तू  भी  मिट्टी l
चलता फिरता जग सारा मिट्टी ll

मिट्टी  से  बने,  मिट्टी  में  पले,
इक दिन फिर हो जाएंगे मिट्टी l

जग का पेट भरने की खातिर,
बीज को चाहिए पानी मिट्टी l

नारियल के खोल में जैसे गिरि,
आत्मा है कंचन, शरीर मिट्टी l

कंक्रीट, एसी से तपते घरों को,
शीतलता देगी फिर से मिट्टी l

सांसों का खेल है सारा,
सांसें बंद, शरीर मिट्टी l

चाहे उड़ो सातवें आसमान पर,
याद रखो होना है इक रोज़ मिट्टी l

जीते जी बन जाओ सोना,
मर कर फिर होना है मिट्टी l

भागते भागते थक जाऊंगा जब,
गोद में अपनी सुला लेगी मिट्टी ll
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September 2024

©Dimple Kumar #मिट्टी #जग #दुनिया #सोना #उड़ान #प्यार #आसमान #भाग #थक  शायरी हिंदी में दोस्ती शायरी शायरी हिंदी में शायरी दर्द लव शायरी

Ashraf Fani

दर्द शोला है, उमड़कर उग रहा है सीने में मौन था अब तक उभरकर जग रहा है सीने में #ashraffani #Sad_Status

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deepmala kumari

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

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गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष
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