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Shivnath Sharma
Kisi Ne Khoob kaha hai ki networking Mein Paisa hai lekin Usi ke liye hai jo nikamme log hai ©Shivnath Sharma शिवनाथ शर्मा
शिवनाथ शर्मा #स्पोर्ट्स
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काव्य महारथी शिवनाथ सिंह शिव, रायबरेली, उत्तरप्रदेश कविताएं हिंदी कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी प्रेम कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- तुम प्रेम का मंदिर बनाओ आज इस संसार में । फिर खूबसूरत रंग भर दो तुम इसी गुलजार में ।। प्रेम का मंदिर बनाओ.... मानो हमारी बात तो इंसान निशिदिन हारता । जो जीत का भरता रहे दम वह नही कुछ जीतता ।। ये ही लिखा शिवनाथ ने इंसान के अधिकार में । तुम प्रेम का मंदिर बनाओ ... वो देख मीरा ने किया है प्रेम में अर्पण जहाँ । शिवनाथ ने पारण किया तू देख ले विष को यहाँ ।। तू आज बतला दे हमें अब कौन जीता प्यार में । तुम प्रेम का मंदिर बनाओ ..... यह प्रेम तो इक साधना है त्याग जो है माँगती । बलिदान जो अब दे सके सच्चा बने शर्णारथी ।। तू अब बता दे आज यह क्या चाहिए संसार में । तुम प्रेम का मंदिर बनाओ ..... तुम प्रेम का मंदिर बनाओ आज इस संसार में । फिर खूबसूरत रंग भर दो तुम इसी गुलजार में ।। ३१/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम प्रेम का मंदिर बनाओ आज इस संसार में । फिर खूबसूरत रंग भर दो तुम इसी गुलजार में ।। प्रेम का मंदिर बनाओ.... मानो हमारी बात तो इंस
गीत :- तुम प्रेम का मंदिर बनाओ आज इस संसार में । फिर खूबसूरत रंग भर दो तुम इसी गुलजार में ।। प्रेम का मंदिर बनाओ.... मानो हमारी बात तो इंस #कविता
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आज अयोध्या मग्न है , प्रकट हुए रघुनाथ । दर्शन की इच्छा लिए , द्वार खडे़ शिवनाथ ।।१ नगर नगर क्यों ढूंढते , कहाँ नहीं है राम । मन में अपने खोज तो , मिल जायेंगे राम ।।२ नगर अयोध्या सब चलो , पहुँच गये हनुमान । दशरथ नंदन राम का , जो करते गुणगान ।।३ दशरथ नंदन राम के , व्याकुल है अब नैन । मिलें भक्त हनुमान तो , पा जायेंगे चैन ।।४ पुरुषों में उत्तम रहें , पुरुषोत्तम श्री राम । शीश झुकाऊँ मैं सदा , जिधर लिखा हो नाम ।।५ जिनके दुर्गम काज को , करता जगत प्रणाम । ऐसे दीना नाथ के , चरणों में सुख धाम ।।६ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आज अयोध्या मग्न है , प्रकट हुए रघुनाथ । दर्शन की इच्छा लिए , द्वार खडे़ शिवनाथ ।।१ नगर नगर क्यों ढूंढते , कहाँ नहीं है राम । मन में अपने ख
आज अयोध्या मग्न है , प्रकट हुए रघुनाथ । दर्शन की इच्छा लिए , द्वार खडे़ शिवनाथ ।।१ नगर नगर क्यों ढूंढते , कहाँ नहीं है राम । मन में अपने ख #कविता #NojotoRamleela
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दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति यह , वे ही थामें हाथ ।। कैसे मानूँ मैं यहाँ ,हूँ मैं एक अनाथ । चलते भोलेनाथ जी , थामें मेरा हाथ ।। सोम-सोम उपवास कर , भर मन में विश्वास । हरे व्याधि शिवनाथ जी , रखना इतनी आस ।। रिश्तों में विश्वास ही , हुए मनुज के प्राण । अगर नहीं विश्वास तो , मधुर वचन भी बाण ।। मातु-पिता भगवान हैं , कर भी लो विश्वास । उनसे ही तो पूर्ण है, जीवन की हर आस ।। गुरुवर होते देव हैं , देते समुचित ज्ञान । जिसको पाकर शिष्य सब , बन जाते इंसान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति य
दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति य #कविता
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