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INDRAJEET KUMAR,
बचपन में जो देखा है वो सपना कब आयेगा जो रात सदियों से है वो अंधेरा कब जायेगा यू बदलते रहते हैं दिन को रात में पर सदियों तक सबेरा कब आयेगा नया सबेरा कब आयेगा
नया सबेरा कब आयेगा #कविता
read morevishal patil
पता नही वोह दिन कब आयेगा,हमारा दिल जिस नाजमी के लिए धड़कता है उसका भी हमारे लिए धड़क जायेगा,पता नही वोह दिन कब आयेगा हमारे साँसे जिसके लिए चलती है उसी के साँसों से हमारे प्यार का आगाज आयेगा, पता नही वोह दिन कब आयेगा...पर कहते है ना की अगर किसी चीज को तुम पूरी शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हे उनसे मिलाने के कोशिश में लग जाती है इसीलिए जानते है कि....वोह दिन जरूर आयेगा vishu...sheru... #NojotoQuote पता नही वोह दिन कब आयेगा
पता नही वोह दिन कब आयेगा
read moreKumar Rain
जिंदगी में बदलाव तब आ सकता हैं, जब सुबह का सूरज हमारी सोच के अनुसार हमारे जीवन में...रोज उदय हो🌟 ©Kumar Rain जीवन में बदलाव कब आयेगा 🤔
जीवन में बदलाव कब आयेगा 🤔 #प्रेरक
read moreshuchi
#पगली #इंतज़ार #प्यार तेरा #ख़त कब आयेगा
HARSHIT369
ख्याबो कि नगरी को छोड़कर असल कि दुनिया मे जायेगें वो दिन कब आयेगा..? ख्यालो की रोशनी को छोड़कर असल कि रोशनी मे आयेगें, वो दिन कब आयेगा..? कब तक रात की तन्हाईयो मे जीयें सुनहरी धूप मे खिलखिलायेगें वो दिन कब आयेगा..? मै बेताब हू उस दिन के लिये जब मेरे सपने जवा होगे, दुनिया की नजरो मे हम भी बादशाह होगे अखिर वो दिन कब आयेगा..? ©Shreehari Adhikari369 #वो दिन कब आयेगा..? #मेरा सपना,मेरा लक्ष्य
Darshan chorasiya
मुझे तेरा साथ जिंदगी भर नहीं चाइए। बल्कि जब तक तू साथ है. तब तक साथ चाइए। ©Darshan chorasiya #Love ना जाने कब वो दिन आयेगा😔
Love ना जाने कब वो दिन आयेगा😔 #Shayari
read moresarika
जो आज हैं वो कल नही होगा कहते हैं,इक दिन सब ठीक होगा ©sarika और वो इक दिन न जाने कब आयेगा
और वो इक दिन न जाने कब आयेगा #विचार
read moresuper star
Scattered Hair पता नही वो दिन कब आयेगा जब वो चशमिश इन हाथो मे फुल थमायेगा तब मै सब को छोड बस उसका हाथ थमाउगी #पता नही वो दिन कब आयेगा😊😊😃
#पता नही वो दिन कब आयेगा😊😊😃
read moreUsha Dravid Bhatt
हम तुम कभी चले थे साथ - साथ मीलों दूर का सफर पता तक नहीं चला, फिर धीरे - धीरे शब्द खामोश होने लगे उदासी और खामोशी का कारण भी नहीं मिला । समझ नहीं आया यूं हरे पेड़ों के पत्तों का अचानक पीला हो जाना , देखती रही बहते आंसुओं की तरह पत्तों का टूटकर बिखर जाना , हम तुम चलते रहे साथ एक दूसरे से बेखबर , एक ही शिला पर बैठ जाते गुमसुम पीठ फेर कर । डूबा जा रहा था सबकुछ अंधेरे में , दूर चांद की रोशनी में पेड़ों के झुरमुट में चिडियों के कोहराम ने सन्नाटा चीर निष्प्राण तन्द्रा झकझोर दी , सूखे पत्तों के चरमराते ढेर में स्पन्दन हो उठा , हाथ बढ़ा कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया मैं तो थी ही तुम्हारी परछाई बाहों में थाम लिया , तुम्हारा नींद से जाग कर पश्चाताप में रो देना , मेरा हाथ पकड़ घरोंदे में वापस लौट आना जैसे कभी उदासी थी ही नहीं , क्योंकि हम से तुम हो और तुम से हम हम कभी अलग थे ही नहीं सिर्फ तुम और हम । स्वरचित और वास्तविक usha ©Usha Dravid Bhatt जीवन में कब कैसा समय आयेगा पता नहीं चलता । #Twowords