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Laxman Sapkale
जिवन जगत अस्तांना मज "भान" नसावे मला डोळ्यासमोर नाय "स्वप्न" जेव्हा कोणी नव्हतं मला ! दिवसाच्या आणि रातिच्या काळात माझ "जग" काळ होत ! संवेदना जास्त आणि पोटात इवलंस माज "बाळ" होत भयभित मन माझ आता काळजी करत बसत होत ! पोटातल्या जिवाला आठवत मन कासनी धरत होत कारण गरीब तुझी माय म्हणत डोळ्यात पाणी येत होत ! इवलंस माझ बाळ तरी हसत "खांदा" मला देत होत त्याला बघून काळ जग आता हसत फुलत होत ! गरीबी जगत दुःख आमच प्रेमात सरत होत लहान जिवाला पण माय शिवाय सगळ फिक होत ! डोळ्या समोर स्वप्न घेऊन बाळासाठी जगण होत मोठं झाल्यावर बाळ माझ भविष्य घडवणार होत ! ✒_लक्ष्मण सपकाळे @ भुसावळ बाळ माझ
बाळ माझ
read moreVickram
अजीब से ख्वाब है मेरे यहां कोई शोर नहीं है,,, मेरी तरह ये शहर भी खामोश ओर खुश लगता है,, मैं अपने अंदर ही हर चीज ढूढ लेता हूं अक्सर,, यहां का हर शख्स ख्वाबों में ही र हता है हमेशा ©Vickram छोटा सा शहर,,,
छोटा सा शहर,,, #शायरी
read moreकुलदीप सभ्रवाल
वो दिल को लगने वाली बात ऐसी कह गया हद तो तब हुई जब वो जाते-जाते इस बात को छोटा सा मजाक किया था ये कहते कह गया ©कुलदीप सभ्रवाल छोटा सा मजाक
छोटा सा मजाक #शायरी
read moreAnita Najrubhai
हमने छोटा सा मजाक क्या किया वोह तो हम पर गुस्सा होने लगें हँसाने के लिए कितनी ही कोशिश करो पर वोह हंसने के बजाये ओर भी ज्यादा गुस्सा करते हैं ©Anita Najrubhai छोटा सा मजाक
छोटा सा मजाक
read moreAnil kumar
एक प्यारा सा झूठ बोलता हूँ ok पता है इस दुनिया में अगर किसी को सच्चे दिल से प्यार करो ना तो वो आपको कभी नहीं छोड़कर जायेगा छोटा सा झूठ
छोटा सा झूठ
read moreVijay Milind
क्या रखा है रुसने मनाने में। छोटी सी जिन्दगानी है। क्या रखा है ऐसे रोने रुलाने में। छोटी सी जिंदगानी है। अरे जितना जीना है हँस के जीओ, क्या पता इस जनाजे में किस की कहानी है ©Vijay Milind #छोटा सा जीवन
#छोटा सा जीवन
read moreDEVENDRA KUMAR
छोटा सा राजकुमार कुछ वर्षों पहले की बात है, हमारे घर में जन्मा था, एक छोटा सा राजकुमार, बहुत ही सोच समझकर बड़े ही चाव से, मैंने उसका नाम रखा था, "श्रेष्ठ कुमार" । वो बचपन से बहुत ज्यादा चंचल है और बहुत ही कोमल है, उसका स्वभाव, उसे घर में सबका प्यार और स्नेह मिलता है, शायद उसी का है ये प्रभाव । अपने नाना - नानी और अपने दादा जी से, उसको बहुत ज्यादा, मिलता रहता था प्यार, लेकिन वे अब इस दुनिया में नहीं हैं, इसलिए हमें ही देना है उसे, उनके हिस्से का भी प्यार । जब "श्रेष्ठ" पैदा हुआ था तो, ख़ुशी से झूम उठा था, हमारा सारा परिवार, नौ महीने अपनी माँ के पेट में पलकर, जब वो आया था, निकलकर बहार । वो बहुत ही सुंदर पैदा हुआ था, गोल - मटोल थे, उसके गाल, उसकी माँ ने बचपन से ही रखा है, उसका हरदम, बहुत ख्याल । उसकी जरा सी तबियत खराब हो जाए तो, वो हो जाती है दुखी, आख़िर उसकी माँ है वो और उसे देखना चाहती है हरपल सुखी । अब तो "श्रेष्ठ" समय के अनुसार बड़ा हो रहा है, बहुत कुछ सीख रहा है और हो रहा है समझदार, उसकी इतनी अच्छी परवरिश का श्रेय, उसकी माँ को जाता है, क्योंकि वही है उसकी सच्ची हकदार। मैं भी उसका पिता होने के नाते, उसके प्रति, अपने कर्तव्यों का ध्यान रखता हूँ, घर में उसकी और सभी की जरूरतों को पूरा करने का, खुद में, साहस रखता हूँ । - Devendra Kumar(देवेंद्र कुमार) # छोटा सा राजकुमार
# छोटा सा राजकुमार #कविता
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