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Stories related to कब बरसेगी

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Dayal "दीप, Goswami..

घनघोर घटा बरसेगी,,, #कविता

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घिर आई है ,घनघोर घटा काली  काली,
अब होगी फिर वर्षा फुहारों वाली ,
बिखरेगी गीली मिट्टी की सुगंध न्यारी न्यारी,
चारों ओर फैलेगी प्रकृति की छटा प्यारी प्यारी ।

प्रकृति का सौंदर्य बढ़ेगा,हरित रूप धरा धरेगी,
कृषक मन आनंदित हो, अपने वह कर्म करेगा,
 वन वन मयूर का अब मन मोहक नृत्य होगा,
 वन उपवन कोकिल का कोमल स्वर गूंजेगा ।

कहीं ये मानव के लिए वरदान बन बरसेगा,
कहीं ले रौद्र रूप , मानव के लिए दानव रूप धरेगा,।

©Dayal "दीप, Goswami.. घनघोर घटा बरसेगी,,,

Shayar E Badnaam

जब तीर निकलेगा आसमान की कमान से,
फिर मौत बरसेगी वो भी शान से.... #तीर
#आसमान
#कमान
#शान
#मौत
#बरसेगी

SUFIYAN"SIDDIQUI"

#sad_poetry ....बरसेगी रातभर फिर खत्म हो जाएगा,,,,, #sunkissed #कोट्स

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छा गया देखो फिर यादो का बादल ,
बरसेगी  रात भर फिर खत्म हो जाएगा,
✍......
सुफियान सिद्दीकी 
अररिया बिहार

©SUFIYAN"SIDDIQUI" #sad_poetry ....बरसेगी रातभर फिर खत्म हो जाएगा,,,,,

#sunkissed

Raj Jaiswal

कब लिखेगे कब लिखेगे

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 कब लिखेगे कब लिखेगे

Saudagar Mastud

#Holi होली कब है, कब है होली, कब... #Poetry

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Priyanshu Mishra

कब कब देश को लूटोगे।।

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अब मैं बैठ नही सकता।
खुद को सीसे में देख नही सकता।
समाज यही हैं अपना,
जहां बेटियों को आज़ादी नही,
क्या ये देश की बर्बादी नही।
बैचैन कब तक रहू,
मैं अपनी गुहार किससे कहु,
माँ है, बेटी है, बेहेन है
वो अपनी
मैं इन दरिंदों को देख अब देख नही सकता।
फाँसी की बात, कम हैं अब
यहां सजाएं मौत कम हैं अब
इनका हस्सल ये कर जाओ
कि कोई देख न सके।
फिर इन जैसा कोई अपनी माँ बेटी बहनो 
पट बुरी क्या
अच्छी नज़रो भी फेक न सके।
बस हो गया अब 
तुम संकल्प लो
तुम प्रण लो
तुम अपने देश की इज़्ज़त बचाओ।। कब कब देश को लूटोगे।।

tasleem ansari meaning psychology expert

कब

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दीपावली हर साल आती है
लेकिन दिलवाली पता नहीं
कब आयगी 
real fact
writer tasleem कब

गौरव गोरखपुरी

अपनी नाकामयाबियों को छुपा कर
खुद से कहां तक - कब तक छिपोगे
कभी तो आइने से नजर मिल ही जाएगी
कितने कांच तोड़ोगे , कितने आइने लिपोगे

नकाब - मुखौटे सब घिस जाते है , सच्चाई चीज है ऐसी
फट कर जाल हो गई है उम्मीदें तुम्हारी
अब नए ख्वाब बुनो, 
अरे ! पुरानी यादें कितना सीलोगे

पुरानी यादें को दफन करो अब
नए ख्वाब जिंदा करो
अरे पत्थर तो पत्थर है
हीरा समझ कर कब तक घिसोगे

आखिर सच कड़वी क्यों लग रही है
कितने जबानो पर ताला लगाओगे
कितनो के मुंह सिलोगे
कितने मुंह की बात छिनोगे
#Poetic_Pandey #कब

नन्हीं कवयित्री sangu...

#कब ? #Poetry

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विजय

कब

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सविंधान बचाने निकले थे
देश बचाने कब निकलोगे
दीन की चिंता करनेवाले
दीन का सुध तुम कब लोगे

बिरयानी की दावत देने वाले
भूखे को रोटी कब दोगे
देश को तुम जगाने वाले
नींद से खुद तुम कब जागोगे

मानव-अधिकार के रक्षक थे
मानव की रक्षा करने कब निकलोगे
हर शख्स को नसीहत देने वाले
फैली महामारी पर नसीहत कब दोगे

हर शहर शाहीन बनाने वाले
मजलूमों को छत तुम कब दोगे
जमात में पैसा बरसाने वाले
खैरात में पैसा तुम कब दोगे

सवाल सिर्फ पूछने वाले
अपनो को जवाब कब दोगे
ख़ुदा को तुम चाहने वाले
ख़ुदा के बंदों को कब चाहोगे

                   By:-VIJAY कब
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