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Pawar Kamlesh
तु काहाकरती थी मे तुम्हारा साथ कभी छोड के नाही जाऊंगी ओर आज वक्त एैसा है तू मेरे साथ नाही यादे ऊस वक्त की
यादे ऊस वक्त की #विचार
read moreSushil Singh
कभी पहलू में आओ तो बताएँगे तुम्हें, हाल-ए-दिल अपना तमाम सुनाएँगे तुम्हें, काटी हैं अकेले कैसे हमने तन्हाई की रातें, हर उस रात की तड़प दिखाएँगे तुम्हें। ©Sushil Singh ऊस रात कि तड़प दिखाएंगे
ऊस रात कि तड़प दिखाएंगे #Love
read moreMoin Khan Silawat
फुरसत नही है मुझको "बाद ए सबा" अंजाम चाहिए मुझको फिर से मुस्कुराने की वजह चाहिए मिले कही तो ये बता देना जो रखे हो खत सम्भाल के अब तक हो सके तो फिर जला भी देना written by moinkhan खत खत
खत खत
read moreRadhey Ray
👉24/2/2024 पता है तुम्हे, तुमसे बिछड़ने के बाद जो मेरे दिल मे सबसे पहला ख्याल आया था वो था मै मर जाऊंगा , क्या ही करूँगा अब जी के l लेकिन जब तुमने भी यही कहा था जाओ मर जाओ मुझे कोई फर्क नही पड़ता l जब हम आखरी बार बात कर रहे थे l तब मेरे दिमाग मे ये खयाल आया क्यु मरूंगा, मै तुम्हारे लिए ..लेकिन मै गलत थाl मै अब भी जी नही पा रहा हु... तुम बिन जी तो रहा हु, मगर जायदा जी नही पाऊंगा राधे.... lll 🚫ADDICTED ©Radhey Ray एक खत... एक खत रोज
एक खत... एक खत रोज #Poetry
read moreAnita Prajapati10
मेरे प्यारे दादा दादी आप की बहुत याद आती हे, दादा दादी की कहानियां जब में बच्ची थी सुना करती खूब हंसती थी वो कहानी पर जब दादा दादी अपनी कोई कहानी कहते तो लगता था की इतने बड़े लोगो को कोई तकलीफ ही नही होती होगी पर आज में दादी बन गई हूं तो बात समझ आई हे कि बड़े लोगो के संघर्ष, परिश्रम, ओर पसीना की वजह से तो हमारी जिंदगी संवरती थी।। यूंही उम्र नही बढ़ती हे, उम्र के साथ अनुभव भी बड़ा होता था।। जो आज हमे बहुत कुछ सिखाते गए हे।। ली..आप की पौती अनिता.. का दिल❤️ से प्रणाम🙏🙏 ©Anita Prajapati10 #खत #merepyaredadadadi #खत #merepyaredadadadi #deargrandparents
Kuldeep Shrivastava
💕💕नजर की स्याही से लिखेंगे तुम्हें हजार खत ...!! ❤️❤️❤️❤️ बस तुम दिल के लिफाफे पे अपनी चाहत का टिकिट जरूर चिपका देना. ©Kuldeep Shrivastava #खत
Kuldeep Shrivastava
फीका ये चांद दिखता है , जब तेरा खत पढ़ते हैं हर लफ्ज़ में नूर झलकता है , जब तेरा खत पढ़ते हैं ©Kuldeep Shrivastava #खत
पूर्वार्थ
"यहाँ सब कुशल है आशा करता हूं वहा भी सब कुशल होगा".. "बड़ों को प्रणाम, छोटो को आशीर्वाद"। इन्हीं शब्दों से शुरुआत होने वाले पत्रों में लोग उकेर देते थे अपने एहसास.. और उन एहसासों को व्यक्त करने के लिए भी मुहल्ले के पढ़ाकू लगाए जाते थे.. एक पत्र में महीनों की कहानियां, घर, गृहस्थी सब पर विस्तार से चर्चा होती थी। कभी तार आ जाये तो सब ऐसे व्यग्र हो जाते जैसे किसी सुनामी आने की आहट हो.. दौर बदला तो एहसासों को कहने, सुनने, समझने का तरीका भी बदल गया.. हाँ एक प्रमुख बात यह भी जो पत्र पढ़ लेता वो विद्यार्थी उस समय अपने पढ़ाई के लिए भी मुहल्ले में जाना जाता था.. तो क्या आप बता सकते हैं आखिरी बार आपने कब पत्र लिखा था?🤔 ©पूर्वार्थ #खत