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Stories related to संजीवनी तडेगावकर

Babli Gurjar

संजीवनी

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वशिष्ठ जी महराज गुरूजी vashishth ji mahraj guruji

अध्यात्म ज्ञान संजीवनी

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​💐😊सदा मुस्कुराते रहो 😊💐​
®​​​​​​🙏 *꧁!! Զเधॆ Զเधॆ !!꧂*🙏​​​​​​®
            
*"मनुष्य के पास सबसे बड़ी पूंजी 'अच्छे विचार' हैं!*
*क्योंकि धन और बल किसी को भी गलत राह पर ले जा सकते हैं।*

*किन्तु  'अच्छे विचार' सदैव अच्छे कार्यो के लिए ही प्रेरित करेंगे!!*
                                  
*◆●स्वयं विचार करें​●◆*
                          
वशिष्ठ जी महाराज गुरुजी अध्यात्म ज्ञान संजीवनी

Sudha Bhardwaj

#मेरी संजीवनी बूटी

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Sanjay

राम नाम संजीवनी

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Rajesh Sharma

संजीवनी बनकर वैक्सीन आयी #ZeroDiscrimination

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संजीवनी बनकर वैक्सीन आयी
देश वासियो को लाखों बधाई

दुनिया मे परचम फहराई
कोविड की अब तय है विदाई

वैक्सीन लगवाओ जान बचाओ
इसमें है हम सब की भलाई

आओ मिलकर अलख जगाए
कोरोना को देश से भगाए

संजीवनी बनकर वैक्सीन आयी
देश वासियो को लाखों बधाई

राजेश शर्मा✍️

© Rajesh Sharma संजीवनी बनकर वैक्सीन आयी

#ZeroDiscrimination

Ravinder Sharma

समन्दर भी साहिल बन जाता है
 लहरों से लड़कर तूफान भी वापिस आता है 
राह भटके को भी चलकर रास्ता मिल ही जाता है 
डूबते को तिनके का सहारा ही काफी जो उसकी संजीवनी बनकर यमराज से भी प्राण वापिस ले आता है ।।।।
Ravinder Sharma #Sea #डूबते #तिनका #संजीवनी 

#Red

Ganesh B. Ijagaj

माय मराठी! - संजीवनी मराठे #krishna_flute

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HP

जीवन संजीवनी है इच्छा-शक्ति

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👉 Jeevan Sanjevani 
जीवन संजीवनी है इच्छा-शक्ति

ज्ञान और क्रिया के मध्य की स्थिति को इच्छा शक्ति के नाम से जाना जाता है। ज्ञान जब तक कार्य रूप में परिणत नहीं होता, तब तक वह अनुपयोगी और अपूर्ण ही कहा जायेगा। उसे पूर्ण और उपयोगी बनाने के लिए इच्छा शक्ति की आवश्यकता अनुभव की जाती है। संसार में जितने भी महान् कार्य हुए हैं, वे मनुष्य की प्रबल इच्छा शक्ति का संयोग पाकर ही हुए। दृढ़ इच्छा-शक्ति सम्पन्न व्यक्ति ही महान् कार्यों का संचालन करते हैं। वही नवसृजन व नवनिर्माण करने में समर्थ होते हैं। अपने और दूसरों के कल्याण, विकास एवं उत्थान का मार्ग खोजते हैं। जीवन का सुख, स्वास्थ्य सौन्दर्य, प्रसन्नता, शांति उसके सदैव साथ रहते हैं। जीवन की विरोधी परिस्थितियाँ उसकी मनःस्थिति को नहीं डिगा पातीं।

मन की प्रचण्ड शक्ति सामर्थ्य के अस्तित्व को अब सर्वत्र पृथक् सत्ता के रूप में स्वीकारा गया है। नवीन विचारधारा के मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि शरीर के भीतर कोई स्वतंत्र सत्ता भी क्रियाशील है, जिसे मन कहा जाता है। शरीर की समस्त गतिविधियों का संचालन उसी के इशारे पर होता रहता है। इच्छाशक्ति और संकल्प शक्ति का उद्गम स्रोत भी वही है।
   
वियना के प्रसिद्ध मनः चिकित्सक डॉ. विक्टर फ्रैंक्ल ने लम्बे समय तक हिटलर के यहूदी बन्दी शिविरों में रहकर क्रूरतापूर्ण अत्याचारों को झेला है। उनके समूचे परिवार को उन्हीं के समक्ष गैस-चैम्बरों में झोंककर मार डाला गया था। मृत्यु निरंतर सिर पर मँडराते हुए भी उनने अपने जीवन को उपेक्षणीय नहीं समझा। इच्छा-शक्ति के बलबूते वे जीवन विरोधी परिस्थितियों में भी अध्ययनरत बने रहे। फलतः उन्होंने साहित्य, वक्तृत्व और चिकित्सा के क्षेत्र में विशिष्ट योग्यता अर्जित कर दिखाई। उनके कथनानुसार जीवन की सफलता असफलता उत्कर्ष-अपकर्ष, उन्नति-अवनति, उत्थान-पतन सब मनुष्य की इच्छा शक्ति की सबलता और निर्बलता के ही परिणाम है। सशक्त दृढ़ इच्छा शक्ति सम्पन्न लोगों  को कुविचार, कुकल्पनाएँ, भयानक परिस्थितियाँ और उलझनें भी विचलित नहीं कर सकतीं। वे अपने निश्चय पर दृढ़ रहते हैं। उनके विचार स्थिर और निश्चित होते हैं। प्रबल इच्छा-शक्ति से शारीरिक पीड़ा भी उन्हें नहीं डिगा सकती। ऐसे व्यक्ति हर परिस्थिति में रास्ता निकाल कर आगे बढ़ते रहते हैं। अपने व्यक्तिगत हानि-लाभ से भी प्रभावित नहीं होते।
   
जन समूह के समक्ष सत्यवादी और धर्म परायण होने का दिखावा करना एक बात है और उसे स्वेच्छा से जीवन-व्यवहार में उतारना सर्वथा दूसरी। यश की कामना से तो अधिकांश जनसमुदाय परमार्थ प्रवृत्तियों को अपनाने में निरत रह सकता है, लेकिन अंतःप्रेरणा के उभरने पर संभवतः कोई विरले ही ऐसा कर पाते हैं। मनुष्य की महानता इसी में है कि वह स्वेच्छापूर्वक सत्प्रवृत्ति संवर्धन की बात को गले उतारे। उत्कृष्ट जीवन की रीति-नीति भी यही हो सकती है। जब टिटिहरी और गिलहरी जैसे नगण्य एवं तुच्छ प्राणी विशाल समुद्र को सुखा देने, पाट देने की योजना को सफल बनाने का प्रयत्न कर सकते हैं, तो मनुष्य जैसे सर्वश्रेष्ठ प्राणी की तो अपनी इच्छा- शक्ति का प्रमाण परिचय पूरी तरह देने में क्या संकोच होना चाहिए, मनुष्य जब यह दृढ़ निश्चय कर बैठता है कि  वह विशृंखलित मन रूपी सागर को भी सुखा कर अपने  वश में कर सकता है, तो इच्छा-शक्ति स्वयंमेव उभर कर आती है। बुद्धि भी उसकी साथी-सहयोगी बन जाती है। जो अपनी प्रबल इच्छा-शक्ति को जगाते और अपनी क्षमताओं का सदुपयोग लोकहित में करने लगते हैं, ईश्वर भी उनकी सहायता हेतु सदैव तत्पर रहता है। जीवन संजीवनी है इच्छा-शक्ति

Priya Shekhar (@कृष्णप्रिया)

#माहेरा संजीवनी बोकील यांची कविता #SADFLUTE

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वशिष्ठ जी महराज गुरूजी vashishth ji mahraj guruji

अध्यात्म ज्ञान संजीवनी (वशिष्ठ जी महाराज)

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प्रकृति की चार अवस्थाये है
1-पदार्थ अवस्था(मिट्टी मणि धातु,)
2-प्राण अवस्था-(वृक्ष बनस्पति)
3-जीव अवस्था(जीव जानवर)
4-ज्ञान अवस्था-(मानव )
इनमे से ऊपर के तीन अवस्थाये मानव को सहयोग करती है, निश्चित सन्तुलित आचरण है।जबकि मानव नाम मात्र का ज्ञान रखता है,वह सभी अवस्थावो एवम मानव के साथ असन्तुलित है।मानव को इस विषय पर विचार करना होगा। अध्यात्म ज्ञान संजीवनी
(वशिष्ठ जी महाराज)
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