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Ramya Prabhu
ಕನವರಿಕೆಯಲೂ ನಿನ್ನೊಲವ ರಾಗ ಕೇಳುತಿರೆ ಕಷ್ಟಗಳೆಲ್ಲಾ ಇಷ್ಟಗಳಾಗಿ ನೆಮ್ಮದಿಯ ನಿದ್ರೆಗೆ ಜಾರಿರೇ ನಗುನಗುತ್ತ ಹಾಯಾಗಿ ನಿನ್ನ ಮಡಿಲಲಿ ಮಗುವಾಗಿ ಮಲಗಿದೆ ನನ್ನೊಲವೇ...... ©Ramya Prabhu #Yaari
kalam_shabd_ki
पहले नगर बदलते हैं, फिर लोग बदल जाते हैं, कुछ स्थल स्थिर रहते हैं, पर वृत्तांत बदल जाते हैं। वो अंतिम पान की चाय, वो अतीत की मधुर स्मृतियाँ, नई भीड़ में विलीन होते हैं जन, शेष रह जाते हैं बस संवेदनाएँ। - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki #Yaari
Prerna Singh
मकसद जब पुरी न हो कोशिश तड़प में बदल जाती हैं। जिस्म मर जाती हैं रूह प्यासी भटकती हैं। ©Prerna Singh #Yaari
billu
Goodnight हम वेबफा न थे। तुमने वेबफा बना दिया। हम इन्तज़ार करते रहे। तुने रास्ता दिखा दिया। रास्ते का तो हमे भी इन्तज़ार था। तूने आसा बना दिया। तो हमने भी रास्ते पर चलना स्वीकार किया। ©billu #Yaari लव शायरी
#Yaari लव शायरी
read moreFarooq Farooqui
बे-वफ़ा है तो क्या मत कहो बुरा उसको,की जो हुआ सो हुआ खुश रखे खुदा उसको,नजर ना आए तो उसकी तलाश मव रहना,कहि मिले तो पलट कर ना देखना उसको---!! ©Farooq Farooqui #Yaari
Durga Gautam
एक शादी_शुदा स्त्री, जब किसी पुरूष से मिलती है उसे जाने अनजाने मे अपना दोस्त बनाती है तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो सकती है और न ही वो उसका हो सकता है वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती.. फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है.... तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती? क्या वो अपने सीमा की दहलीज को नही जानती? जी नहीं वो समाज के नियमो को भी मानती है और अपने सीमा की दहलीज को भी जानती है मगर कुछ पल के लिए वो अपनी जिम्मेदारी भूल जाना चाहती है कुछ खट्टा... कुछ मीठा आपस मे बांटना चाहती है जो शायद कही और किसी के पास नही बांटा जा सकता है वो उस शख्स से कुछ एहसास बांटना चाहती है जो उसके मन के भीतर ही रह गए है कई सालों से थोडा हँसना चाहती है खिलखिलाना चाहती हैं वो चाहती है की कोई उसे भी समझे बिन कहे सारा दिन सबकी फिक्र करने वाली स्त्री चाहती है की कोई उसकी भी फिक्र करे... वो बस अपने मन की बात कहना चाहती है जो रिश्तो और जिम्मेदारी की डोर से आजाद हो कुछ पल बिताना चाहती है जिसमे न दूध उबलने की फिक्र हो,न राशन का जिक्र हो....न EMI की कोई तारीख हो आज क्या बनाना है, ना इसकी कोई तैयारी हो बस कुछ ऐसे ही मन की दो बातें करना चाहती है कभी उल्टी_सीधी ,बिना सर_पैर की बाते तो कभी छोटी सी हंसीओर कुछ पल की खुशी... बस इतना ही तो चाहती है आज शायद हर कोई इस रिश्ते से मुक्त एक दोस्त ढूंढता है जो जिम्मेदारी से मुक्त हो....❤️ ©Durga Gautam #Yaari
shrikant yadav
रिश्तों के उलझन में उलझे जग के सब नर नारी हैं, पर सुना है आज भी मित्रता सब रिश्तों पर भारी है। ©shrikant yadav #Yaari
Gyansagar Chaudhari
White यार भी राह की दीवार समझते हैं मुझे मैं समझता था मिरे यार समझते हैं मुझे नेक लोगों में मुझे नेक गिना जाता है और गुनहगार गुनहगार समझते हैं मुझे।। ©Gyansagar Chaudhari #sad_shayari #Yaari