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Best पंखों Shayari, Status, Quotes, Stories

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Mukesh Poonia

#UskeSaath #ऊंचा उठने के लिए #पंखों की #जरूरत तो #पक्षियों को पड़ती है #इंसान तो की जितना नीचे #झुकता है उतना ही #ऊपर जाता है

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Mukesh Poonia

#Free जब तक #मन में #उड़ान का #हौसला न हो #पंखों की कोई #अहमियत नहीं होती

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AASHISH SONRAT

पंखों को अपने खोल उड़ना 
तुम अपने सपनो के आसमान मैं 
कभी मैं गिरी तो मैं थाम लूंगा ।

©AASHISH SONRAT #पंख #पंखों #प्यार #प्रेम

Patil MS

#पंखों को जिंदा करने के लिए दिल में आग जलाना पड़ता है।

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Wings and Fire  The fire has to be lit in the heart to bring the wings alive. #पंखों को जिंदा करने के लिए दिल में आग जलाना पड़ता है।

Rajesh Kothari

Do_not_judge_me_ lifestyle life story haters struggle Boy love Like share comments mystory

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...Do not judge me...
वक्त से लड़कर मेरा वक्त बना है यार
क्यों चिढ़ते हो मेरे इस वक्त से तुम यार
खाली नहीं पहुंचा हूं यहां तक
मैंने भी देखी है जिंदगी ओ यार
झूठा नहीं हूं मैं ना ही झूठे मेरे इरादे
मेरे सपने हैं फौलादी मेरे पंखों में है जान
जा छोड़ दे अकेला
फिर भी उड़ जाऊंगा ऊंचे आसमानों में ओ यार
वक्त से लड़कर मेरा वक्त बना है यार
क्यों चिढ़ते हो मेरे इस वक्त से तुम यार
आज यहां हूं कल कहां था
जब कुछ देखा ही नहीं तो क्यों बोलते हो यार
कैसे बीते पलों को गुजार कर यहां तक आया हूं ओह यार
झूठा नहीं हूं मैं ना ही झूठे मेरे इरादे
मेरे सपने हैं फौलादी मेरे पंखों में है जान
जा छोड़ दे अकेला
फिर भी उड़ जाऊंगा ऊंचे आसमानों में ओ यार... #Do_not_judge_me_ #lifestyle #life #story #haters #struggle #Boy #love #Like #share #comments #mystory

@Devidkurre

वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला

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किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? 
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है 
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है 
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है 
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है 
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला
शासन के घोड़े पर वह भी सवार है 
उसी की जनवरी छब्बीस 
उसीका पन्द्रह अगस्त है 
बाकी सब दुखी है, बाकी सब पस्त है 
कौन है खिला-खिला, बुझा-बुझा कौन है 
कौन है बुलंद आज, कौन आज मस्त है 
खिला-खिला सेठ है, श्रमिक है बुझा-बुझा 
मालिक बुलंद है, कुली-मजूर पस्त है 
सेठ यहां सुखी है, सेठ यहां मस्त है 
उसकी है जनवरी, उसी का अगस्त है 
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है 
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है 
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है 
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
मास्टर की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
मज़दूर की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
घरनी की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
बच्चे की छाती में कै ठो हाड़ है! 
देख लो जी, देख लो, देख लो जी, देख लो 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! 
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है 
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है 
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है 
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है 
महल आबाद है, झोपड़ी उजाड़ है 
गऱीबों की बस्ती में उखाड़ है, पछाड़ है 
धत् तेरी, धत् तेरी, कुच्छों नहीं! कुच्छों नहीं 
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है 
ताड़ के पत्ते हैं, पत्तों के पंखे हैं 
पंखों की ओट है, पंखों की आड़ है 
कुच्छों नहीं, कुच्छों नहीं 
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! 
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है! 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है! 
सेठ ही सुखी है, सेठ ही मस्त है 
मंत्री ही सुखी है, मंत्री ही मस्त है 
उसी की है जनवरी, उसी का अगस्त है।

#बाबा_नागार्जुन वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है 
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? 
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है 
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है 
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है 
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है 
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला

माही मुन्तज़िर

#सोनचिरैया #केंद nojoto Dr. Asha Singh Sikarwar

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सोन चिरैया ना बनाओ मुझे ...
किसी पिंजरे में ना सजाओ मुझे ...
अभी तों अपने पंखों को फैलाना 
शुरू किया ही था मेंने ,
 मेरे पंखों से जुदा ना कराओ मुझे ...
यें नील गगन ही घर हैं मेरा , 
अभी तों मुझे अपने घर में चहचहाना था ...
आज़ाद कर दो इस केंद से , 
किसी कुएं का मेंढ़क ना बनाओ मुझे ... #सोनचिरैया #केंद #nojoto  Dr. Asha Singh Sikarwar

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 11 - वीरता का लोभ शरद् की सुहावनी ऋतु है। दो दिन से वर्षा नहीं हुई है। पृथ्वी गीली नहीं है; परंतु उसमें नमी है। आकाश में श्वेत कपोतों के समान मेघशिशु वायु के वाहनों पर बैठे दौड़-धूप का खेल खेल रहे हैं। सुनहली धूप उन्हें बार-बार प्रोत्साहित कर जाती है। पृथ्वी ने रंग-बिरंगे पुष्पों से अंकित नीली साड़ी पहन रखी है। पतिंगे के झुण्ड दरारों में से निकल कर आकाश में फैलते जा रहे हैं। आमोद और उत्साह के पीछे मृत्यु के काले भयानक हाथ भी छिपे हैं, इसका

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
11 - वीरता का लोभ

शरद् की सुहावनी ऋतु है। दो दिन से वर्षा नहीं हुई है। पृथ्वी गीली नहीं है; परंतु उसमें नमी है। आकाश में श्वेत कपोतों के समान मेघशिशु वायु के वाहनों पर बैठे दौड़-धूप का खेल खेल रहे हैं। सुनहली धूप उन्हें बार-बार प्रोत्साहित कर जाती है। पृथ्वी ने रंग-बिरंगे पुष्पों से अंकित नीली साड़ी पहन रखी है। पतिंगे के झुण्ड दरारों में से निकल कर आकाश में फैलते जा रहे हैं। आमोद और उत्साह के पीछे मृत्यु के काले भयानक हाथ भी छिपे हैं, इसका

Mamta Raj

नन्ही सी चिड़िया... #Nojoto#Like#share

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एक नन्ही सी चिड़या..उड़ने को बेताब सी..होले से गुप् चुप पंखों को फैलाकर "पतंग सी" लहरा रही थी आसमान में..आँखों में उसके पूरा आसमान था .. मन में उमंग  आज़ादी से उड़ने की, "फिर आया एक बवण्डर"छाई खोमोशी चारो और ..डगमगा गये वो "पंख"उड़ने से पहले ..एक संघर्ष था बवण्डर और हौसले का "गिर गयी वो नन्ही सी चिड़िया जमीन पर" टूट गए पंख उसके हौसलो के ," कभी पंखों को निहारती कभी आसमान को" उड़ने को बेताब सी नन्ही सी चिड़िया......... नन्ही सी चिड़िया...
#nojoto#like#share

Guruvirk

सपनों की उड़ान #Challenge #hindinojoto #Poetry #Sapna

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फैला कर अपने पंखों को 
इक ऐसी उड़ान भरना चाहता हूँ 
नील गगन से भी ऊँचा उड़ 
तारों को छू लेना चाहता हूँ 
अपने पंखों मे धरती को समेट लेना चाहता हूँ 
चाँद से पृथ्वी को निहारने का सपना 
पूरा कर लेना चाहता हूँ सपनों की उड़ान 
 #challenge #hindinojoto #poetry #Sapna
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