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Sandeep Parmar
चम चम करती chandni टिम टिम karte tare✨ das के साथ ghum कर आती है बोलती है babu हम है sirf tumare chal hat nikal Meri jindgi se
chal hat nikal Meri jindgi se
read moreरजनीश "स्वच्छंद"
दर्द बहा फिर पानी बनकर।। जमकर रोया, आंख भिगोया, दर्द बहा फिर पानी बनकर। नमक घुला आंसू में मेरे, प्यार रहा नादानी बनकर। क्या थी दस्तक, कौन था आया, किससे करूँ मैं अपनी बातें। आकर अब तो दीप बुझा जा, रास न आयीं अपनी रातें। रोते रहे बस नाम ले तेरा, और कहां कोई नाम सुना था। दुनिया दुश्मन आज बनी है, और कहां कोई नाम चुना था। ले जा अपना गीला दुपट्टा, यादें जी भर के हैं नहाईं। गीला बदन है, गीली यादें, रातें जी भर के है समाईं। वो जुगनू जो टिम टिम करता, आज ज़मीं निस्तेज पड़ा है। जीवन के कई रंग हैं देखे, ये ज़ालिम रंगरेज़ बड़ा है। तुमको रंगता मुझको रंगता, आज रंगा है कहानी बनकर। जमकर रोया, आंख भिगोया, दर्द बहा फिर पानी बनकर। वो बारिश की बूंदे फिर से, आग लगाने अंगना आयीं। ख़्वाब सजे बारात सजी थी, आज चढ़ाने कंगना लायीं। दिल मेरा शहनाई हुआ है, दर्द में भी ये बजता है। दीवारों पे भी लग गईं लड़ियाँ, आंखों में मोती सजता है। आज विदा कर दो तुम मुझको, आये बाराती गए बाराती। यादें दुल्हन बनकर निकलीं हैं, टीका लगाती बिंदि सजाती। सेज सजाया है फूलों से, आतुर हैं सांसें सोने को। तुम जो गयी है ग़म भी नहीं, है कौन बचा अब रोने को। इश्क कराहें ले कहता है, क्या पाया तू जवानी बनकर। जमकर रोया, आंख भिगोया, दर्द बहा फिर पानी बनकर। ©रजनीश "स्वछंद" दर्द बहा फिर पानी बनकर।। जमकर रोया, आंख भिगोया, दर्द बहा फिर पानी बनकर। नमक घुला आंसू में मेरे, प्यार रहा नादानी बनकर। क्या थी दस्तक, कौन था आया,
दर्द बहा फिर पानी बनकर।। जमकर रोया, आंख भिगोया, दर्द बहा फिर पानी बनकर। नमक घुला आंसू में मेरे, प्यार रहा नादानी बनकर। क्या थी दस्तक, कौन था आया,
read moreAman Sachdeva
एकाकी मेरे तम में तुम भी छाओ, तिमिरा! मीठा गायन गाओ; ज्योति जल-जल कर हँस लेगी, मेरे मन में निशे! मुस्काओ। हो एकाकी तुम भी मुझ-सी, झूठे टिम-टिम तारों के बीच, कोई चंदा तेरा है ही नहीं, जिसकी रश्मि उर को दे सींच। पूरा अनुशीर्षक में पढ़ें।। मेरे तम में तुम भी छाओ, तिमिरा! मीठा गायन गाओ; ज्योति जल-जल कर हँस लेगी, मेरे मन में निशे! मुस्काओ। हो एकाकी तुम भी मुझ-सी, झूठे टिम-टिम तारों के बीच, कोई चंदा तेरा है ही नहीं,
मेरे तम में तुम भी छाओ, तिमिरा! मीठा गायन गाओ; ज्योति जल-जल कर हँस लेगी, मेरे मन में निशे! मुस्काओ। हो एकाकी तुम भी मुझ-सी, झूठे टिम-टिम तारों के बीच, कोई चंदा तेरा है ही नहीं,
read moreरजनीश "स्वच्छंद"
कलम भी बिकती है।। इतिहास गवाही देता है, यहां कलम भी बिकती है, बन दरबारी राजाओं के, सत्ता पर जा टिकती है। इतिहास के पन्ने पलट के देखो, सरेआम गवाही देते हैं। कर इतिहास वस्त्र विहीन, सत्त्ता से वाह वाही लेते हैं। कौन रहा निर्भीक यहां, किसने सच का दामन थामा था। एक पृष्ठ की उसकी कहानी, बना याचक वो सुदामा था। थे मुट्ठी भर दिनकर यहां, सत्ता को ललकारा था। संख्या थी अनगिन उनकी, सच से किया किनारा था। सरस्वती धूल फांक रही, लक्ष्मी का राज्याभिषेक हुआ। ज्ञान बना दरबारी बैठा, चापलूस सृजक प्रत्येक हुआ। हठी रहे कुछ लोग यहां, जो अलख जगाने निकले थे। सुन उनकी आवाज़ आर्द्र, कब सत्ता के मन पिघले थे। जब तक हवा में वेग न हो, कब दवानल धधकता है। जब हुंकार हुआ शब्दों में, ये बन तलवार चमकता है। क्यूँ आज रहे मूक बधिर, आओ मिल हम हुंकार करें। सुप्त रही जो शिथिल आत्मा, आ मिल उनका पुकार करें। कानों में गिरे ये वज्र बन, आ मिल शब्दों का भार बढ़ाते हैं। दीये की लौ है टिम टिम करती, एक मशाल हम यार जलाते हैं। बुझ जाए वो चूल्हा, सत्ता की रोटी जहां सिंकतीं है। इतिहास गवाही देता है, यहां कलम भी बिकती है, ©रजनीश "स्वछंद" कलम भी बिकती है।। इतिहास गवाही देता है, यहां कलम भी बिकती है, बन दरबारी राजाओं के, सत्ता पर जा टिकती है। इतिहास के पन्ने पलट के देखो, सरेआम गवाही देते हैं। कर इतिहास वस्त्र विहीन,
कलम भी बिकती है।। इतिहास गवाही देता है, यहां कलम भी बिकती है, बन दरबारी राजाओं के, सत्ता पर जा टिकती है। इतिहास के पन्ने पलट के देखो, सरेआम गवाही देते हैं। कर इतिहास वस्त्र विहीन,
read moreSonuzwrites
मधुरम मधुरम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले और चंद्र उठे आकाश की रोशनी बेला में फिर नया सवेरा जाग उठे फिर शाम ढले और रात जले मधुरी जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर पार लगी जीवन की रोशनी बेला में फिर नया सवेरा जाग उठे फिर पाव उठे और चलने लगे मधुरम जीवन की ज्योति जले नन्हे पग उठ फिर गिरने लगे फिर उठने लगे और चलने लगे टिम टिम करते तारे जैसे जीवन की नई उमंग उठे तरंग बने और भी और बहने लगी है झर झर करती नदिया जैसी झूम रहे इठलाने लगी नटखट टोली बन उठने लगी उठने लगी मन की ज्योत जले उठने लगी तो चलने लगी समझ ना पाया मन समझा न सके सब मन मेरा ज्ञान को हम अपनाने लगे मधुरी में जीवन की ज्योत जले आप बिछड़े वह ऐसा आया जब दिल से दिल टकराया मन मन की मन ही मन मुस्कान ही ना कि आप प्रेम के गीत सुनाने लगे एक नई राह पर चलने को मन आतुर हो दिल धड़का आने लगी मधुरम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर चंद्र उठे अब बात पुरानी उठने लगी लगी बचपन की याद सताने लगी फिर से वो बचपन आया संग झूम के दिल भर आया फिर वही पुरानी बात बने फिर उठने लगी चलने लगे मधुरम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर चंद्र उठे अब अंतिम क्षण वो आया बचपन से पचपन बीत गए उम्मीद लगाए बैठे हैं फिर वह बचपन जाग उठे इस दुनिया को प्यारा बचपन बीत गया कहां चला गया गुमनाम हुआ अभी आज रात रह जाती है वह सात को तरसाती है अब अब सांस उठे और दबने लगे जीवन की ज्योति बुझने लगे मंत्र एम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर चंद्र उठे #poetrymadhurim
Kuldip Kumar Jha
सच कहते हैं आसमान के तारे टिम-टिम-टिम करते ये नज़ारे तम-ज्योति का पाठ पढ़ाते जीवन-मरण का भेद बताते गुजरे हुए का अक्स दिखाते तारे सँजोते उनको जो नही बीच हमारे..!! #NojotoQuote #nalayak_cooldip #stars
Niraj Kumar singh
वो तितली की चंचलता मन की निश्छलता मिठ्ठी मधुर मंद मुस्कान टेढ़ी मेढी चाल वो ही ही हीकार भरता बचपन ठुमक ठुमक थिरकता बचपन नहीं भुला मैं मेरा शवरनिम बचपन वो राग-गीत हीत-प्रीत मेघ मलहार सावन बहार ओझल सोझल झिलमिलाता टिम टिम टिहिंकता बचपन न आशा न निराशा न किसी तरह की कोई थी अभीलाशा ऐसा ठोला नटखट विनम्र उनमत व्याह-व्याह रंगों से ललहाता बचपन नहीं भुला मैं मेरा शवरनिम बचपन।। #बचपन #बचपन#nojoto#nojotohindi
#बचपन #बचपन#Nojoto#nojotohindi
read moreKiran Bala
good night shayari in hindi यदि आसमान के तुम हो तारे तो मैं भी धरा का एक सितारा टिम-टिम कर तुम चमको सारे तो बन जुगनू मैं करूँ उजियारा #nojoto #nojotohindi #kalalaksh #tst #kavishala #hindinama #poetry #motivation #light #2liner #dream #aimoflife #kiranbala
Manjari Shukla
पीलू फूलों की घाटी में अनगिनत फूलों के बीच, इधर उधर डोलती एक नन्ही सी तितली “पीलू” बैठी सोच रही थी कि हज़ारों रंग बिरंगे फूलों में अनगिनत रंग हैं और मेरे पास देखो, सिर्फ एक ही रंग है पीला ......जो कि मुझे बिलकुल पसंद नहीं हैI तभी उसकी नज़र एक खूबसूरत बैंगनी फूल पर पड़ी और उसने बड़े ही प्यार से उसकी ओर ताकते हुए सोचा कि काश मेरे भी बैंगनी पंख होते तो कितना अच्छा होताI वो खुद को रोक ना सकी और जाकर बैंगनी फूल पर बैठ गईI तभी उसकी नज़र एक सुर्ख नारंगी तितली पर पड़ी, जिसके पंखों में काले रंग के चमकदार म
पीलू फूलों की घाटी में अनगिनत फूलों के बीच, इधर उधर डोलती एक नन्ही सी तितली “पीलू” बैठी सोच रही थी कि हज़ारों रंग बिरंगे फूलों में अनगिनत रंग हैं और मेरे पास देखो, सिर्फ एक ही रंग है पीला ......जो कि मुझे बिलकुल पसंद नहीं हैI तभी उसकी नज़र एक खूबसूरत बैंगनी फूल पर पड़ी और उसने बड़े ही प्यार से उसकी ओर ताकते हुए सोचा कि काश मेरे भी बैंगनी पंख होते तो कितना अच्छा होताI वो खुद को रोक ना सकी और जाकर बैंगनी फूल पर बैठ गईI तभी उसकी नज़र एक सुर्ख नारंगी तितली पर पड़ी, जिसके पंखों में काले रंग के चमकदार म
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