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Viraaj Sisodiya
बेदिली भी क्या वक्त होता है इस ज़िन्दगी का चेहरे पे आई इब्तिसाम भी बनावटी लगती है ©Viraaj Sisodiya #बेदिली #ज़िन्दगी #बनावटी #इब्तिसाम = मुस्कुराहट #YourQuote #Viraaj
Drg
चाहे आप कितनी ही हिफ़ाज़त क्यों ना कर लो उनके दिल की, आपके हिस्से तो बस उनकी बे-दिली ही आनी है #हिफ़ाज़त #बेदिली #yqdidi #yqbaba
Preeti Karn
कभी तो जिन्दगी मुसकुराकर हँसी खुशी से बात करती है, कभी कभी तो खुद के गले भी न उतरती है। Preeti #अनायास #बेदिली #yqdidi
Ramesh Singh
इक अधूरी जिंदगी थी इक अधूरी जिन्दगी है। दूर तक फैली हुईं बस तीरगी ही तीरगी है।। , अब नहीं चाहत है कोई अब नहीं हसरत बची है। अब नहीं कोई तमन्ना बेदिली ही बेदिली है।। , बेतहाशा ढूंढते है हम किसी को जो नहीं है। हम बताए क्या तुम्हें अब शाइरी ही तिश्नगी है।। , इक अदद वो शख़्स था जो जा चुका है छोडकर के। आप कहते हो जहाँ में आदमी ही आदमी है।। , सच पे पर्दा डाल करके झूठ का दम भर रहें हो। सोचते हो तुम जहां में रोशनी ही रोशनी है।। , आख़िरत में बात होगी तुम मिलोगे सर झुका के। पर नहीं बातें करेंगें तुमसे थोड़ी दोस्ती है।। , जा रहें है हम जहाँ से तुमको ये मालूम होगा। जब खुदा है साथ मेरे मुझकों अब कैसी कमी है।।
Ramesh Singh
रात अब बढ़ने लगी है। चाँदनी जलने लगी है।। तीरगी को डर है कैसा। रोशनी कहने लगी है।। बिन तुम्हारे जिंदगी अब। क्या कहें चलने लगी है।। आदमी मजबूर है अब। उम्र भी ढ़लने लगी है।। फूल का जो हश्र देखा। तितलियां डरने लगी है।। छत पे देखा आज आलम। बिजलियाँ गिरने लगी है।। बेदिली ही बेदिली थी। क्यूँ हवा चलने लगी है।। कुछ घरों से पूछना है। आग क्यूँ लगने लगी है।। मेरी हस्ती कुछ नहीं थी। वो जुबां हिलने लगी है।। हम अधूरे लोग बेजां। बात ये उठने लगी है।। आपको मेरी जरूरत। क्या कहा पड़ने लगी है।।
Gagan Mudgal
ना पूछ मेरी जान कि तेरी याद कब कब आती है। जब कोई नहीं होता है पास हमारे तब आती है। उम्मीद मिट सी जाती है दिन के ढलते ढलते दिल सोचता रह जाता है तू अब आती है अब आती है। वो एक शब जब तू गई शब-ए-फ़िराक नहीं गई शब-ए-वस्ल नहीं आती जबकि रोज शब आती है। शर्म से मर जाते हैं राम रहीम मरियम सब के सब जब बात बात पे सियासत लेके मज़हब आती है। ख़ल्वतों में दिल का रोना बेदिली की मिसाल है बेदिली ही मुहब्बत है बेदिली न बेसबब आती है। एक लहर सी उठती है सर से पाँव तक बदन में खुशबू खुशबू हो जाता हूँ तू मेरे घर जब आती है। ग़ज़ल। शब - night शब-ए-फ़िराक - night of separation (from lover) शब-ए-वस्ल - night of meeting (with lover) मरियम - mother of Jesus Christ सियासत - politics मज़हब - religion ख़ल्वत - privacy , loneliness
ग़ज़ल। शब - night शब-ए-फ़िराक - night of separation (from lover) शब-ए-वस्ल - night of meeting (with lover) मरियम - mother of Jesus Christ सियासत - politics मज़हब - religion ख़ल्वत - privacy , loneliness #Poetry #ghazal #Hindi #poem #nojotopoetry #nojotohindi #gwalior #NojotoWriter #nojotopoem #ghazalbygaganmudgal #nojotoGwalior
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