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Dr. Vishal Singh Vatslya

#yostowrimomay #बालकनीकहानी #लघुकथा तुम बस यहीं लेटे रहा करों... तुम्हारे आराम के लियें ही यें लाकडाउन हुआ है ना..... क्या हुआ मां आप क्या बुदबुदा रहें हो... बताइये ना... मैने मां से पूछा तो वह और भड़क गयी मैंने फिर पूछा कुछ बताने का कष्ट करेंगी आप... हा हा ... अब तो मुस्कराहट आ गयी उनके चेहरे पर... क्यों नहीं ध्यान रखते हो अपना दिन भर बस आराम और मोबाइल..... शुगर फिर बढ़ गयी हैं ना... लोगडाउन है ना जाने कैसी बीमारी आ गयी है कब पीछा छूटेगा इससे.. बाहर नहीं जा सकते घूमने ऊपर छत पर ही टहल आया करो

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     लाकङाउन की मुलाकात 
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{ Read in Caption }

Dr.Vishal Singh  #yostowrimomay #बालकनीकहानी #लघुकथा 
तुम बस यहीं लेटे रहा करों... तुम्हारे आराम के लियें ही यें लाकडाउन हुआ है ना..... क्या हुआ मां आप क्या बुदबुदा रहें हो... बताइये ना... मैने मां से पूछा तो वह और भड़क गयी मैंने फिर पूछा कुछ बताने का कष्ट करेंगी आप... हा हा ... अब तो मुस्कराहट आ गयी उनके चेहरे पर... क्यों नहीं ध्यान रखते हो अपना दिन भर बस आराम और मोबाइल..... शुगर फिर बढ़ गयी हैं ना... लोगडाउन है ना जाने कैसी बीमारी आ गयी है कब पीछा छूटेगा इससे.. बाहर नहीं जा सकते घूमने ऊपर छत पर ही टहल आया करो

kavi manish mann

शाम का समय था। रोज की तरह आज भी बालकनी में खड़े होकर मै और आराध्या बातें कर रहे थे । वो बोली - स्वप्निल, लॉकडाउन की तारीख़ तो फिर से बढ़ गई। मैनें भी हांँ में हांँ मिलाते हुए कहा - हांँ, आज सुबह न्यूज़ में देखा था। 2 मई तक बढ़ा दिया गया है। तभी अचानक बारिश होने लगी। आराध्या तार में टंगे कपड़े हटाने के लिए तेजी से दौड़ी। दुर्भाग्यवश उसका पैर फिसल गया और वह छत से नीचे गिर गई। मैं चिल्लाते हुए तेज़ी से सीढ़ियों से नीचे उतरा। उसकी मम्मी भी आवाज सुनकर नीचे आ गई। संयोग से वह बालू की ढेर में गिरी।

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कहानी 

शीर्षक - बालू का ढेर

कृपया कैप्शन में पढ़ें ✍️✍️
🙏😊 शाम का समय था। रोज की तरह आज भी बालकनी में खड़े होकर मै और आराध्या बातें कर रहे थे । 
   वो बोली - स्वप्निल, लॉकडाउन
की तारीख़ तो फिर से बढ़ गई। मैनें भी हांँ में हांँ मिलाते हुए कहा - हांँ, आज सुबह न्यूज़ में देखा था। 2 मई तक बढ़ा दिया गया है। तभी अचानक बारिश होने लगी। आराध्या तार में टंगे कपड़े हटाने के लिए तेजी से दौड़ी। दुर्भाग्यवश उसका पैर फिसल गया और वह छत से नीचे गिर गई। मैं चिल्लाते हुए तेज़ी से सीढ़ियों से नीचे उतरा। उसकी मम्मी भी आवाज सुनकर नीचे आ गई। संयोग से वह बालू की ढेर में गिरी।

vishnu prabhakar singh

#विप्रणु #yostowrimo #बालकनीकहानी #yqdidi #yqbaba life #microtale सुबह-सुबह गृह अनुस्मरण बन जाता है।सम्पूर्ण कार्य सुबह के अल्पाहार के होते हैं। स्नान और ध्यान के उपरांत भींगे कपड़ों को धूप और स्वयं को हवा लगाने छज्जे पर आती हूँ।यहां से प्रायः गुनगुन की माँ अपने छज्जे पर मिलतीं हैं।और...और क्या!पृष्ठ संगीत के बिना ही हमलोग बतियाते हैं। परंतु, आज तो ना ही हरा झंडा है, और ना ही सफेद। यह महामारी प्रायः अनहोनी का संकेत देती है। लेकिन नहीं! मुझे प्रतीक्षित अवसर प्राप्त हुआ।और, मैंने संकेत पर संक

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सुबह-सुबह गृह अनुस्मरण बन जाता है।सम्पूर्ण कार्य सुबह के अल्पाहार के होते हैं।
स्नान और ध्यान के उपरांत भींगे कपड़ों को धूप और स्वयं को हवा लगाने छज्जे पर आती हूँ।यहां से प्रायः गुनगुन की माँ अपने छज्जे पर मिलतीं हैं।और...और क्या!पृष्ठ संगीत के बिना ही हमलोग बतियाते हैं।
परंतु, आज तो ना ही हरा झंडा है, और ना ही सफेद।
यह महामारी प्रायः अनहोनी का संकेत देती है।
लेकिन नहीं! मुझे प्रतीक्षित अवसर प्राप्त हुआ।और, मैंने संकेत पर संकेत भेजे।उन्होंने भी भेजे।सार यह रहा कि, कपड़ों का सफाई यंत्र विकारग्रस्त हो गया, यह वस्तु एक घर में दो होने की संभावना ना के बराबर है, और यहां, वहां की बातें अर्थात, विश्व स्थिति का जाँच-पड़ताल।
मन खुश हो गया।मन हल्का हो गया।मजा आ गया।
इन सब के उपरांत, मैं अपने दिनचर्या में व्यस्त रही।दोपहर को पुनः कपड़े उठाने हेतु छज्जे पर गई, तो देखा गुनगुन के छज्जे पर भींगे कपड़ों की अप्रत्याशित भीड़।मैंने शीघ्र संपर्क साधा।सूचना प्राप्त हुई कि, सौभाग्यवश विकारग्रस्त यंत्र को एक अपरिचित व्यवसायिक श्रमिक ने निर्विकार किया।
सार यह है कि, इतने कपड़े धो कर भी वो खुश थीं।
महामारी अपने जगह, सावधानी अपने जगह और सहयोग हर जगह। #विप्रणु #yostowrimo #बालकनीकहानी    #yqdidi #yqbaba #life #microtale


सुबह-सुबह गृह अनुस्मरण बन जाता है।सम्पूर्ण कार्य सुबह के अल्पाहार के होते हैं।
स्नान और ध्यान के उपरांत भींगे कपड़ों को धूप और स्वयं को हवा लगाने छज्जे पर आती हूँ।यहां से प्रायः गुनगुन की माँ अपने छज्जे पर मिलतीं हैं।और...और क्या!पृष्ठ संगीत के बिना ही हमलोग बतियाते हैं।
परंतु, आज तो ना ही हरा झंडा है, और ना ही सफेद।
यह महामारी प्रायः अनहोनी का संकेत देती है।
लेकिन नहीं! मुझे प्रतीक्षित अवसर प्राप्त हुआ।और, मैंने संकेत पर संक

Anamika Nautiyal

सोनिया जी और राधा जी बालकनी में खड़ी होकर बात कर रही थी, इस लॉक डाउन में एक यह बालकनी ही तो सहारा है ,किसी से बात करने का शाम को और सुबह के वक़्त मुलाकात हो जाती है वरना दिन भर घर में बैठे ऊब जाते हैं। वह दोनों अपने उस सहयोग के बारे में बात कर रही थी जो उन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष में दिया । कि तब तक पुलिस का सायरन बजा और पुलिस वालों की गाड़ी आ गई दोनों आश्चर्यचकित होकर देख रही थी कि पुलिस अचानक कैसे हमारे मोहल्ले में तो सब ठीक है ,दोनों की नज़रें घूमी ,पुलिस वाले वर्मा दंपति के घर के अंदर जा

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 ज़रूरतमंद

Read in caption  सोनिया जी और राधा जी बालकनी में खड़ी होकर बात कर रही थी, इस लॉक डाउन में एक यह बालकनी ही तो सहारा है ,किसी से बात करने का शाम को और सुबह के वक़्त मुलाकात हो जाती है वरना दिन भर घर में बैठे ऊब जाते हैं। वह दोनों अपने उस सहयोग के बारे में बात कर रही थी जो उन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष में दिया ।
कि तब तक पुलिस का सायरन बजा और पुलिस वालों की गाड़ी आ गई दोनों आश्चर्यचकित होकर देख रही थी कि पुलिस अचानक कैसे हमारे मोहल्ले में तो सब ठीक है ,दोनों की नज़रें घूमी ,पुलिस वाले वर्मा दंपति के घर के अंदर जा


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