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Best अखंड_आर्यावर्त Shayari, Status, Quotes, Stories

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Insprational Qoute

सहस्र-सौम्य-सुमधित वो माँ आन्तरिक तन में अंश पालती है, नित नित स्नेहस्पर्श से वो नवजात शिशु से सु -संवाद करती है, परम्-अनुनय-विनय की शाश्वत सी समग्रता की अनुभूति करती है, कष्ट-पीड़ा-दुःख सभी झेल कर वो स्वपोषण से विकसित करती है, अभद्र-कुरूप-अवांछनीय सम बेडौल देह को भी सहन करती है, कहरा उठे देख उसका पीड़ जब वह नवल हृदय को जन्मती है,

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गर्भवती माँ सम्पूर्ण व्यथा
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सहस्र-सौम्य-सुमधित वो माँ आन्तरिक तन में अंश पालती है,
नित नित स्नेहस्पर्श से वो नवजात शिशु से सु -संवाद करती है,
परम्-अनुनय-विनय की शाश्वत सी समग्रता की अनुभूति करती है,
कष्ट-पीड़ा-दुःख सभी झेल कर वो स्वपोषण से विकसित करती है,
अभद्र-कुरूप-अवांछनीय सम बेडौल देह को भी सहन करती है,
कहरा उठे देख उसका पीड़  जब वह नवल हृदय को जन्मती है
निर्मोह-निःपाप-निश्चल हृदय से शिशु को स्तनपान तक कराती है,
रोज रोज अनुनय करती ईश्वर से उसकी बलाये वो खुद ले लेती है,
ईश्वरीय कृति कृतज्ञता से सरोबार वो जगतजननी माँ कहलाती है,
यह सभी रसों की सु रस अविरल धार सरित सरिता स्नेह बरसाती है।
 सहस्र-सौम्य-सुमधित वो माँ आन्तरिक तन में अंश पालती है,
नित नित स्नेहस्पर्श से वो नवजात शिशु से सु -संवाद करती है,

परम्-अनुनय-विनय की शाश्वत सी समग्रता की अनुभूति करती है,
कष्ट-पीड़ा-दुःख सभी झेल कर वो स्वपोषण से विकसित करती है,

अभद्र-कुरूप-अवांछनीय सम बेडौल देह को भी सहन करती है,
कहरा उठे देख उसका पीड़  जब वह नवल हृदय को जन्मती है,

Insprational Qoute

विषय:-पत्नी ********************* सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ, नदी-निर्मल-निर्झरिणी-निर्मोह-नेक दिल सम सम्पूर्ण मैं पत्नी हूँ, ममतामयी-सेवामयी-निष्ठामयी-पतिव्रता-प्रेममूर्ति मैं एक पत्नी हूँ, सहधर्मिणी-सहभागी-सहयोगी-अर्धांगिनी-परिणीता मैं पत्नी हूँ,

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सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ,
नदी-निर्मल-निर्झरिणी-निर्मोह-नेक दिल सम सम्पूर्ण मैं पत्नी हूँ,
ममतामयी-सेवामयी-निष्ठामयी-पतिव्रता-प्रेममूर्ति मैं एक पत्नी हूँ,
सहधर्मिणी-सहभागी-सहयोगी-अर्धांगिनी-परिणीता मैं पत्नी हूँ।
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🙏सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏 
विषय:-पत्नी
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सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ,
नदी-निर्मल-निर्झरिणी-निर्मोह-नेक दिल सम सम्पूर्ण मैं पत्नी हूँ,
ममतामयी-सेवामयी-निष्ठामयी-पतिव्रता-प्रेममूर्ति मैं एक पत्नी हूँ,
सहधर्मिणी-सहभागी-सहयोगी-अर्धांगिनी-परिणीता मैं पत्नी हूँ,

नेहा उदय भान गुप्ता

नन्द लाडला मेरा, हर दिलों को यें भाता हैं।
सांवला चंद्र मुख, हर जन को लुभाता हैं।।
देवकी के गर्भ से जन्में, मथुरा की धरती पावन हुई।
पलें यशोदा के आंगन, ब्रज की भूमि तारन हुई।।
यमुना के रास रचैय्या, गोपियों के संग नाचें।
बजाकर मुरली की मधुर ध्वनि, सब झूमे गायें।।
यशोदा का राज दुलारा, मटकी फोड़ मंद मंद मुस्काता हैं।
जाकर यमुना के तट पर वो, मुरली मधुर बजाता हैं।।
कभी गोपियों के वस्त्र चुराता, कभी माखन चुराता हैं।
उंगली पर गोवर्धन उठाकर, सबको अपना दर्श कराता हैं।। #अखंड_आर्यावर्त

नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹

नन्द लाडला मेरा, हर दिलों को यें भाता हैं।
सांवला चंद्र मुख, हर जन को लुभाता हैं।।
देवकी के गर्भ से जन्में, मथुरा की धरती पावन हुई।
पलें यशोदा के आंगन, ब्रज की भूमि तारन हुई।।
यमुना के रास रचैय्या, गोपियों के संग नाचें।
बजाकर मुरली की मधुर ध्वनि, सब झूमे गायें।।
यशोदा का राज दुलारा, मटकी फोड़ मंद मंद मुस्काता हैं।
जाकर यमुना के तट पर वो, मुरली मधुर बजाता हैं।।
कभी गोपियों के वस्त्र चुराता, कभी माखन चुराता हैं।
उंगली पर गोवर्धन उठाकर, सबको अपना दर्श कराता हैं।। #अखंड_आर्यावर्त


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