Find the Best मैं Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutमेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा है वो तारों में तन्हा है और मैं हजारों में तन्हा, है दफ़न मुझमे कितनी रौनके मत पूछ ऐ दोस्त हर बार उजड़ के भी बस्ता रहा वो शहर हूँ मैं, मिले हो तुम हमको बड़े नसीबों से चुराया है मैंने, कर दे नज़रे करम मुझ पर, मैं तुझपे ऐतबार कर दूँ, दीवाना हूँ तेरा ऐसा, कि दीवानगी की हद को पर कर दूँ,, मैं बस में है भगवान,
Shalini Nigam
रिश्ता खून का था, खून ने ही रिश्तों का खून कर दिया__ यह कह कर, "मॉं को तू रख लें पापा को मैं"__ ©Shalini Nigam #माँ #पापा #मैं #Nojoto #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine
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read moreAshutosh Mishra
जहां मैं होता हूं वहां कोई और टिकता नहीं, ===क्योंकि=== मैं अकेला ही काफी हूं सारी भीड़ के लिए अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #मैं NojotoHindi NojotoEnglish NojotoNews Nojotothought
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read morepramod malakar
मैं प्रमोद मालाकार वक्त का पावन्द , और वक्त का दानी हूं वक्त से बड़ा कोई दान नहीं मैं आप का भाई,मुझे थोड़ा भी अभिमान नहीं मैं सेवक हूं हर घर का,मेरी है पहचान यही ****************************** प्रमोद मालाकार , कार्यसमिति सदस्य झारखंड प्रदेश , भाजपा , ओबीसी मोर्चा मानगो , जमशेदपुर,डीमना ,हिलव्यू कालोनी """"""""""""""""""""""******************* ©pramod malakar #मैं प्रमोद मालाकार
#मैं प्रमोद मालाकार
read moremeri kalam
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ, बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ.. न बोलूँ सच तो कैसा आईना मैं, जो बोलूँ सच तो चकना-चूर हो जाऊँ.. बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे, कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ.. मेरे अंदर से गर दुनिया निकल जाए, मैं अपने-आप में भरपूर हो जाऊँ। ©meri kalam #मैं #walkingalone
#मैं #walkingalone
read moreख़ाकसार
तकलीफ कागज़ पर मेरी बिकती रही मैं बैचैन था रातभर लिखता रहा ! छू रहे थे सब बुलंदियाँ आसमान की मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा!! दरख़्त होता तो, कब का टूट गया होता मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा !! बदले यहाँ लोगों ने, रंग अपने-अपने ढंग से रंग मेरा भी निखरा पर, मैं मेहँदी की तरह पिसता रहा!! जिनको जल्दी थी, वो बढ़ चले मंज़िल की ओर मैं समन्दर से राज गहराई के सीखता रहा!! तकलीफ कागज़ पर मेरी बिकती रही मैं बैचैन था रातभर लिखता रहा ! छू रहे थे सब बुलंदियाँ आसमान की मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा!! दरख़्त होता तो, कब का टूट गया होता मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा !!
तकलीफ कागज़ पर मेरी बिकती रही मैं बैचैन था रातभर लिखता रहा ! छू रहे थे सब बुलंदियाँ आसमान की मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा!! दरख़्त होता तो, कब का टूट गया होता मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा !!
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