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Best सम्यक Shayari, Status, Quotes, Stories

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Ajay Tanwar Mehrana

अंधभक्ति के नहीं प्रचारक
बाबा साहेब के बोते बीज ।
ज्योतिबा फुले का जल चढ़ाकर
महात्मा बुद्ध का मिले खनिज ।

दिव्य अंकुरण सावित्री बाई का
लवण बटोरे बहुत लजीज ।
गुरु रविदास समाज सुधारक
खंडित करें त्योहार व तीज ।

पर्ण फूटे जब बिरसा मुंडा
ताजा करें पुराने बीज ‌।
लेखनी रूपी नल का पानी
अंबेडकर का मिले खनिज ।
.

©Ajay Tanwar Mehrana #सम्यक #कविता

कवि मनोज कुमार मंजू

Deep Bawara

yqbaba :: ये दो चार लोगों को बदनाम करना हैं कौन करेगा।
rest zone :: मैं करूंगा अच्छे से बदनाम और अपना नाम भी करुँगा
yqbaba :: पिछली बार बांवरा जी को बदनाम किसने किया था।
rz :: हमनें हमनें किया था। सृष्टि चौरसिया की मदत से और उसमें
गौतम कुमार सींग हिजड़े का भी साथ था

yqbaba :: तभी तो मदरचोदो अभी वो हम पर बारी बारी चढ़ रहा हैं

rest zone :: चढने दो मैं झूकूंगा उसके सामने देखता हूँ कितना चढ़ता हैं
और वैसे भी 👇👇

©Deep Bawara yq मुर्दाबाद
#restzone #rzmemes #सम्यक #Memes #गणवीरजोक्स #yqdidi #yqbaba

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
2 – ग्रह-शान्ति

'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

(no subject) Madan Mohan Thakur Tue, Apr 30, 2019 at 3:50 PM To: कथा श्रृजन Khwab bhi kitana ajib hota hai,chalate huye insan ko sapano ki duniya me pahuncha deta hai.Mai aisa is liye kah raha hun ki jindagi ki karbi lakin sachchi bat bhi yahi hai,agar yah sapane na hote.To sayad Ridham ke tar tut jate,ya fir insan itana akela ho jata ki khud ki bastbikata nahi samajh pata.                                               Sahi hin to hai ki khwab ke panahagah me insan khud ko itana to majbut kar

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(no subject)
Madan Mohan Thakur 	Tue, Apr 30, 2019 at 3:50 PM
To: कथा श्रृजन 
Khwab bhi kitana ajib hota hai,chalate huye insan ko sapano ki duniya me pahuncha deta hai.Mai aisa is liye kah raha hun ki jindagi ki karbi lakin sachchi bat bhi yahi hai,agar yah sapane na hote.To sayad Ridham ke tar tut jate,ya fir insan itana akela ho jata ki khud ki bastbikata nahi samajh pata.
                                              Sahi hin to hai ki khwab ke panahagah me insan khud ko itana to majbut kar

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

                                               फिर दोनो घंटो बैठे युंही अलक मलक की बातें करते रहे!यह प्यार है हीं ऐसी चीज,जो इसान को शब्दो की रचणा करना सीखला देता है!समय की शीमा खत्म हो जाती है,लेकिन खत्म नही होता है,तो प्रेमी हृदय मे समाया हुआ शब्द! जो होठो से भी वयां होता है!आँखो से भी वयां होता है!जो भी हो,मोहब्बत है,बहुत जानदार चीज!                                              दिल्ली का पाश इलाका!भारतीय जनतांत्रीक गटबंधन का मुख्यालय!रात के दस बज चुके थे!पुरा हीं मुख्यालय रौशनी से नहाया हुआ थ

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                                               फिर दोनो घंटो बैठे युंही अलक मलक की बातें करते रहे!यह प्यार है हीं ऐसी चीज,जो इसान को शब्दो की रचणा करना सीखला देता है!समय की शीमा खत्म हो जाती है,लेकिन खत्म नही होता है,तो प्रेमी हृदय मे समाया हुआ शब्द! जो होठो से भी वयां होता है!आँखो से भी वयां होता है!जो भी हो,मोहब्बत है,बहुत जानदार चीज!
                                             दिल्ली का पाश इलाका!भारतीय जनतांत्रीक गटबंधन का मुख्यालय!रात के दस बज चुके थे!पुरा हीं मुख्यालय रौशनी से नहाया हुआ थ

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

होना क्या है,हम पुरी मुस्तैदी से केस लङेंगे! लेकिन सरकार ने तो जानेमाने अधिवक्ता मधुर सहाय को चुना है!राजीव विचलीत होकर बोला! तो इसमे चिंता की कोई बात नही है!सरकार का नैतीक दाईत्व है कि वो अपना पक्छ दावे के साथ रख्खे!फिर तो यह पहला कदम है!अभी तो हमे बहुत से रुकावटो को झेलना है!त्यागी साहव गंभीर होकर बोले! यस अंकल,आपका कहना विल्कुल ठीक है!अभी हीं हमने हार मान लिया,तो आगे का डगर काफी मुश्किल होगा!सम्यक ढृढता से बोला! हां मै यही बोल रहा हूं!आप लोग निश्चिंत होकर आम चुनाव की तैयारी करें!मै कोर्ट की प

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होना क्या है,हम पुरी मुस्तैदी से केस लङेंगे!
लेकिन सरकार ने तो जानेमाने अधिवक्ता मधुर सहाय को चुना है!राजीव विचलीत होकर बोला!
तो इसमे चिंता की कोई बात नही है!सरकार का नैतीक दाईत्व है कि वो अपना पक्छ दावे के साथ रख्खे!फिर तो यह पहला कदम है!अभी तो हमे बहुत से रुकावटो को झेलना है!त्यागी साहव गंभीर होकर बोले!
यस अंकल,आपका कहना विल्कुल ठीक है!अभी हीं हमने हार मान लिया,तो आगे का डगर काफी मुश्किल होगा!सम्यक ढृढता से बोला!
हां मै यही बोल रहा हूं!आप लोग निश्चिंत होकर आम चुनाव की तैयारी करें!मै कोर्ट की प

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 9 – अहिंसा बात बहुत पहले की है - इतने पहले की कि मनुष्य तब आज के दानवाकार यन्त्र बनाने की बात सोच भी नहीं सकता था। उस युग में भी एक वैज्ञानिक था। आज के वैज्ञानिक मुझे क्षमा करेंगे - मुझे लगता है कि अभी उस वैज्ञानिक के ज्ञान तक आज का मनुष्य नहीं पहुँच सका है। 'मैं अपने यनंत्रों के सब रहस्य आपको बतला दूँगा। मेरे सेवक उनके निर्माण में निपुण हैं और वे आपके आज्ञानुवर्ती रहेंगें।' उस वैज्ञानिक ने एक दिन भारत के एक वरिष्ठ पुरुष के सम्मुख प्रस्ता

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
9 – अहिंसा

बात बहुत पहले की है - इतने पहले की कि मनुष्य तब आज के दानवाकार यन्त्र बनाने की बात सोच भी नहीं सकता था। उस युग में भी एक वैज्ञानिक था। आज के वैज्ञानिक मुझे क्षमा करेंगे - मुझे लगता है कि अभी उस वैज्ञानिक के ज्ञान तक आज का मनुष्य नहीं पहुँच सका है।

'मैं अपने यनंत्रों के सब रहस्य आपको बतला दूँगा। मेरे सेवक उनके निर्माण में निपुण हैं और वे आपके आज्ञानुवर्ती रहेंगें।' उस वैज्ञानिक ने एक दिन भारत के एक वरिष्ठ पुरुष के सम्मुख प्रस्ता

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
2 – ग्रह-शान्ति

'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते


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