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Sandhya Rani Das
अरे कोरोना बस भी कर अब तो आपने दुनिया में वापस चला जा ।। तेरे वजह से मेरे जान को कितने दिनों से मिल नहीं पा रही हूँ इतना तो रहम करते जा ।। #yourfeelings #yqdidi #कोरोना_और_जीवन #कोरोना_इफ़ेक्ट
#yourfeelings #yqdidi #कोरोना_और_जीवन #कोरोना_इफ़ेक्ट
read moreSandhya Rani Das
बहुत कुछ कहेना था तुमसे ।। पर क्या करूँ मिल जो नहीं पा रही हूँ तुमसे इस कोरोना के वजह से ।। #yourfeelings #yqdidi #कोरोना_का_रोना #कोरोना_और_जीवन
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अरे कोरोना बस भी कर अब तो आपने दुनिया में वापस चला जा ।। तेरे वजह से मेरे जान को कितने दिनों से मिल नहीं पा रही हूँ इतना तो रहम करते जा ।। #yourfeelings #yqdidi #कोरोना_और_जीवन #कोरोना_इफ़ेक्ट
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बहुत कुछ कहेना था तुमसे ।। पर क्या करूँ मिल जो नहीं पा रही हूँ तुमसे इस कोरोना के वजह से ।। #yourfeelings #yqdidi #कोरोना_का_रोना #कोरोना_और_जीवन
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read moreDivyanshu Pathak
भारत चीन विवाद देश बड़े नाज़ुक दौर से गुज़र रहा है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के साथ पड़ोसी मुल्क़ भी दुश्मनी को हवा दे रहे हैं। सीमा पर हमारे 20 जवान शहीद हो गए बहुत दुःख हुआ और मन में आक्रोश जाग गया। विचलित मन बस कहे जा रहा है चीन को जबाब दो। हे भारत । चीन को जबाब दो। बातें करने का वक़्त नहीं है। एकाध बार गलती हो जाए तो बात करके मसले को सुलझाया जा सकता है लेकिन जानबूझकर किए गए उलंघन के लिए दण्ड देना अनिवार्य होना चाहिए। ये दौर कमज़ोर होने का बिल्कुल नहीं है। हमारा नेतृत्व और हम सभी देशवासियों को घात लगाकर बैठे भीतर और बाहर के दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। कोरोना से निपटने के लिए सोशलडिस्टेंस की पालना,मास्क,सेनेटाइजर और स्वतः जागरूक होकर सजग हो जाना है। क्योंकि अब अगर लापरवाही बरती गई तो बड़े नुकसान होंगे। मैं युद्ध का बिल्कुल भी पक्षधर नहीं हूँ किन्तु गुजरे कुछ दशकों से भारत की उदारवादी नीतियों का मज़ाक बनते देखता हूँ तो खून में उबाल आता है। हमें दुनिया के सामने कुछ नही कर सकने वाली इमेज को बद
ये दौर कमज़ोर होने का बिल्कुल नहीं है। हमारा नेतृत्व और हम सभी देशवासियों को घात लगाकर बैठे भीतर और बाहर के दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। कोरोना से निपटने के लिए सोशलडिस्टेंस की पालना,मास्क,सेनेटाइजर और स्वतः जागरूक होकर सजग हो जाना है। क्योंकि अब अगर लापरवाही बरती गई तो बड़े नुकसान होंगे। मैं युद्ध का बिल्कुल भी पक्षधर नहीं हूँ किन्तु गुजरे कुछ दशकों से भारत की उदारवादी नीतियों का मज़ाक बनते देखता हूँ तो खून में उबाल आता है। हमें दुनिया के सामने कुछ नही कर सकने वाली इमेज को बद
read moreDivyanshu Pathak
कोरोना और जीवन सरकार का पहला क़दम बहुत शानदार था।जब मोदी जी ने पूरे देश को संबोधित करते हुए कहा कि जो जहाँ है वहीं रुके। लोगों ने उनकी बात को माना भी। यही वो दौर था जब हमने कोरोना को थाम दिया था। कोरोना केवल देश में बाहर से आए लोगों तक ही सीमित था। सब कुछ कंट्रोल में था और नहीं था तो बस मीडिया। अब शुरू हुआ टीआरपी का खेल और लोगों को डराने का धंधा आग लगा दी गई मौत का ख़ौफ़ लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर करने लगा। अब लोगों को मौत छोटी चीज़ लगने लगी और वह एक साथ सड़कों पर निकल बैठे। सोशल मीडिया में फैले वाइरल वीडियो आग में घी का काम कर गए। नतीजा सबके सामने है। जब किसी परिवार अथवा देश का मुखिया अपने सहयोगियों की अक्षम्य लापरवाही के लिए देश/परिवार से क्षमा मांगे, इससे बड़ी शर्म की बात और हो भी क्या सकती है। शर्म तो इस बात पर भी आती है कि प्रधानमंत्री ने लापरवाही पर 22 मार्च को भी नाराजगी प्रकट की थी। नोएडा में जाम लगा था। दिल्ली तथा चार राज्यों में तो कर्फ्यू लगाना पड़ गया था। राज्यों को सख्ती से निपटने के आदेश भी जारी किए थे। : प्रश्न यह है कि फिर भी अधिकारी हिले नहीं। राजस्थान में तो कार-बाइक तक पर रोक लगा दी गई। तब से आज तक कोरोना की गंभीरता तथा कामग
जब किसी परिवार अथवा देश का मुखिया अपने सहयोगियों की अक्षम्य लापरवाही के लिए देश/परिवार से क्षमा मांगे, इससे बड़ी शर्म की बात और हो भी क्या सकती है। शर्म तो इस बात पर भी आती है कि प्रधानमंत्री ने लापरवाही पर 22 मार्च को भी नाराजगी प्रकट की थी। नोएडा में जाम लगा था। दिल्ली तथा चार राज्यों में तो कर्फ्यू लगाना पड़ गया था। राज्यों को सख्ती से निपटने के आदेश भी जारी किए थे। : प्रश्न यह है कि फिर भी अधिकारी हिले नहीं। राजस्थान में तो कार-बाइक तक पर रोक लगा दी गई। तब से आज तक कोरोना की गंभीरता तथा कामग
read moreDivyanshu Pathak
कोरोना_और_जीवन कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ोतरी से भारत विश्व में तीसरे और रोज होने वाली मौतों के मामले में चौथे स्थान पर आ गया है। डरावनी बात ये है कि अब इसकी चपेट में आने से देश के गाँव भी अछूते नहीं रहे। समय रहते हम संभल नहीं पाए तो आने वाली पीढ़ी हमको कभी माफ़ नहीं करेगी। सार्वजनिक अनुशासन और अशिक्षा का असर ज़िन्दगी को ख़ुदकुशी की ओर ले जा रहा है। 11 मई को 87 मौतें,18 मई को 157, तो 31 मई को 265 होने के साथ 12 जून को 3961 हो गई। आंकलन बताते हैं कि 21 सितम्बर तक देश में 1 करोड़ रोगी हो जाएंगे। इसी तरह राजस्थान की बात करें तो सोमवार को 350 नए रोगी मिले और 9 लोगों की मौत हो गई।प्रदेश में कुल मौतें 301 हो गई। देश में अभी तक 343091 में से 180013 रोगी ठीक हुए 9911 जान जा चुकीं हैं। ये बढ़ते आँकड़े बताते हैं कि हम कितने ग़ैर जिम्मेदार हैं। और अभी भी स्थिति को समझ नहीं पा रहे। लॉक डाउन ओपन होते ही हम "सोशलडिस्टेंस" को ताक पे रख दिए। बाजारों में भीड़ लगा ली और बेख़ौफ़ होकर वाकिंग करते दिखे जिसका परिणाम हमारे सामने है। : हमारे पड़ोसी गाँव में दिल्ली से आया एक युवक अपने आपको "आईशोलाइज्ड" किए बिना ही
इसी तरह राजस्थान की बात करें तो सोमवार को 350 नए रोगी मिले और 9 लोगों की मौत हो गई।प्रदेश में कुल मौतें 301 हो गई। देश में अभी तक 343091 में से 180013 रोगी ठीक हुए 9911 जान जा चुकीं हैं। ये बढ़ते आँकड़े बताते हैं कि हम कितने ग़ैर जिम्मेदार हैं। और अभी भी स्थिति को समझ नहीं पा रहे। लॉक डाउन ओपन होते ही हम "सोशलडिस्टेंस" को ताक पे रख दिए। बाजारों में भीड़ लगा ली और बेख़ौफ़ होकर वाकिंग करते दिखे जिसका परिणाम हमारे सामने है। : हमारे पड़ोसी गाँव में दिल्ली से आया एक युवक अपने आपको "आईशोलाइज्ड" किए बिना ही
read moreDivyanshu Pathak
"कर्तव्य और उत्तरदायित्व" में सिमटे, सारे धर्म सभी आचार और व्यवहार। जीवन का समूल सार तो बस इन दो शब्दों में मिला मुझे बड़ी बड़ी डिग्रियाँ और कोचिंग कोर्स ने तो इंसान का हृदय बस यंत्र बनाकर रख दिया। कर्तव्य का निर्वहन अपने से बड़ों के लिए करें और उत्तरदायित्व का पालन छोटों के लिए। : कुछ मिले न मिले लेकिन आपके पास असीम शान्ति और गौरवशाली जीवन जरूर होगा। यही दो शब्द- धर्म अर्थ काम और मोक्ष के स्रोत हैं। श्री राम और कृष्ण के रूप में इन्ही शब्दों को अवतरित किया गया है। विचार कर देखिए....? बैसे ये मेरा अपना मत है। #पाठकपुराण की ओर से #सुभसंध्या साथियो।
कर्तव्य का निर्वहन अपने से बड़ों के लिए करें और उत्तरदायित्व का पालन छोटों के लिए। : कुछ मिले न मिले लेकिन आपके पास असीम शान्ति और गौरवशाली जीवन जरूर होगा। यही दो शब्द- धर्म अर्थ काम और मोक्ष के स्रोत हैं। श्री राम और कृष्ण के रूप में इन्ही शब्दों को अवतरित किया गया है। विचार कर देखिए....? बैसे ये मेरा अपना मत है। #पाठकपुराण की ओर से #सुभसंध्या साथियो।
read moreDivyanshu Pathak
कोरोना के साथ शुरू हुई जंग में हम बहुत कुछ खो चुके हैं और इसके अनगिनत लाभ भी आपको गिनाए जा चुके हैं। इस युद्ध को जीतने के लिए हमें अभी भी क़मर कसे रहना है।लॉक डाउन ओपनिंग के प्रथम चरण में ही कोरोना जोर पकड़ते दिख रहा है।भले ही हम दावे करते रहें मरीज़ों को ठीक करने के किन्तु दुनिया के सामने,आबादी के हिसाब से जो जाँच हम कर पाए उनके कारण ही देश 139 वे पायदान पर हैं। देश के पास निपटने के लिए अकेला कोरोना ही नहीं है। उससे पहले ही यहाँ की आब-ओ-हवा में बहुत से वायरस जमे पड़े हैं। शिक्षा, चिकित्सा, वाणिज्य, धर्म, राजनीति, से लेकर सामान्य मानवीय संवेदनाओं तक वायरस सेंध मार चुके हैं। अब ये जंग सिर्फ सरकार के बस की नहीं रही। स्वयं की सुरक्षा का संकल्प लेकर जीवनशैली को नए सिरे से अपनाने के लिए हमें तैयार हो जाना चाहिए। #पाठकपुराण के साथ #कोरोना_और_जीवन पर चर्चा करने के बाद समझ आया कि #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा के प्रभाव से हम लोग बड़े नुकसान में तो थे ही
देश के पास निपटने के लिए अकेला कोरोना ही नहीं है। उससे पहले ही यहाँ की आब-ओ-हवा में बहुत से वायरस जमे पड़े हैं। शिक्षा, चिकित्सा, वाणिज्य, धर्म, राजनीति, से लेकर सामान्य मानवीय संवेदनाओं तक वायरस सेंध मार चुके हैं। अब ये जंग सिर्फ सरकार के बस की नहीं रही। स्वयं की सुरक्षा का संकल्प लेकर जीवनशैली को नए सिरे से अपनाने के लिए हमें तैयार हो जाना चाहिए। #पाठकपुराण के साथ #कोरोना_और_जीवन पर चर्चा करने के बाद समझ आया कि #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा के प्रभाव से हम लोग बड़े नुकसान में तो थे ही
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कोरोना और जीवन- 02 विश्वभर में कोरोना ने सभी को प्रभावित किया है। हमारे देश में भी सबसे ज़्यादा मार ग़रीब ने झेली। गंदगी अशिक्षा और अभाव पहले से ही उनके दुश्मन बने बैठे थे रही सही कसर कोरोना ने निकाल ली। बात ये है कि आज़ादी के सात दशकों से हम देश की ग़रीबी और अशिक्षा को दूर नही कर पाए। क्या कारण रहे होंगे?हमारे देश की आज़ादी के बाद स्वतंत्र हुए कई देश बेहतर कर पाए कैसे? #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा के कारण देश में पहले से ही हालात स्थिर नही थे। जो भी कारण रहे न तो देश की जनता इन्हें समझना चाहती और न ही नेतृत्व जनता के सामने रख पाता। #कोरोना_और_जीवन 02 पर पेश है #पाठकपुराण की ओर से कुछ बातें---- : #चेतन_भगत देश के बहुचर्चित अंग्रेजी के उपन्यासकार कहते हैं कि--- भारतीय नागरिकों को अर्थव्यवस्था की परवाह नही है। पाकिस्तान को सबक सिखाइए तो लाखों आपकी जय-जयकार करेंगे। अर्थव्यवस्था की बात करो तो लोग जम्हाई लेंगे,चैनल बदल देंगे।नेता वैसा ही व्यवहार करते हैं,ज
#सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा के कारण देश में पहले से ही हालात स्थिर नही थे। जो भी कारण रहे न तो देश की जनता इन्हें समझना चाहती और न ही नेतृत्व जनता के सामने रख पाता। #कोरोना_और_जीवन 02 पर पेश है #पाठकपुराण की ओर से कुछ बातें---- : #चेतन_भगत देश के बहुचर्चित अंग्रेजी के उपन्यासकार कहते हैं कि--- भारतीय नागरिकों को अर्थव्यवस्था की परवाह नही है। पाकिस्तान को सबक सिखाइए तो लाखों आपकी जय-जयकार करेंगे। अर्थव्यवस्था की बात करो तो लोग जम्हाई लेंगे,चैनल बदल देंगे।नेता वैसा ही व्यवहार करते हैं,ज
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