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Rabindra Kumar Ram
" कोई मिली हैं हुबहू तुमसा वो तुम नही थी , ख्वाब हक़ीक़त बनते बनते ख्वाब ही रहा , आखिर कब तक ये मलाल रखा जाये , तेरे मौजूदगी का होने और ना होने यकीनन कुछ यकीन आये मुझको . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " कोई मिली हैं हुबहू तुमसा वो तुम नही थी , ख्वाब हक़ीक़त बनते बनते ख्वाब ही रहा , आखिर कब तक ये मलाल रखा जाये , तेरे मौजूदगी का होने और ना होने यकीनन कुछ यकीन आये मुझको . " --- रबिन्द्र राम #हुबहू #हक़ीक़त #ख्वाब #मलाल #मौजूदगी #यकीनन #यकीन
Rabindra Kumar Ram
" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
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" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
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बज़्म-ए-ख़याल में तिरे, बुझा दिया क़मर की रोशनी को, तेरी गैर मौजूदगी में भी, तिरे हुस्न की चमक बहुत थी! बज़्म-ए-ख़याल में तिरे, बुझा दिया #क़मर की रोशनी को, तेरी गैर #मौजूदगी में भी, तिरे हुस्न की चमक बहुत थी! #kumaarsthought #kumaaronlove #चाँद - क़मर. ~चाँद /Moon
बज़्म-ए-ख़याल में तिरे, बुझा दिया #क़मर की रोशनी को, तेरी गैर #मौजूदगी में भी, तिरे हुस्न की चमक बहुत थी! #Kumaarsthought #kumaaronlove #चाँद - क़मर. ~चाँद /Moon
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मेरी गैर-मौजूदगी में भी मेरी मौजूदगी रहती है, मैंने खुद से ज्यादा खुद को तेरे पास रखा है..! #मौजूदगी #पास #kumaarsher #kumaarsthought
#मौजूदगी #पास #kumaarsher #Kumaarsthought
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" किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू तक ना हुई . " --- रबिन्द्र राम " किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू तक ना हुई . " --- रबिन्द्र राम #मौजूदगी #जाहिर #आवाज #जुस्तजू #ख्याल #जाहिर #गुप्तगू
Rabindra Kumar Ram
" इस ख्याल का तुम भी ख्याल रखना , मुझे तेरा मुस्कुराता हुआ तसव्वुर पसन्द हैं , अब ख्याल जो भी आये इस ख्याल नुमाइश में , तेरी मौजूदगी का दस्तरस मुकम्मल होगा ." --- रबिन्द्र राम Pic of friends " इस ख्याल का तुम भी ख्याल रखना , मुझे तेरा मुस्कुराता हुआ तसव्वुर पसन्द हैं , अब ख्याल जो भी आये इस ख्याल नुमाइश में , तेरी मौजूदगी का दस्तरस मुकम्मल होगा ." --- रबिन्द्र राम
Pic of friends " इस ख्याल का तुम भी ख्याल रखना , मुझे तेरा मुस्कुराता हुआ तसव्वुर पसन्द हैं , अब ख्याल जो भी आये इस ख्याल नुमाइश में , तेरी मौजूदगी का दस्तरस मुकम्मल होगा ." --- रबिन्द्र राम
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" किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू तक ना हुई ." --- रबिन्द्र राम Pic : pexels com " किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू तक ना हुई ." --- रबिन्द्र राम
Pic : pexels com " किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू तक ना हुई ." --- रबिन्द्र राम
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" मेरा इश्क एक भ्रम के सहारे है , जब तक है उसकी मौजूदगी का पता हैं , इस खेल में उसकी कुछ आंख - मीचैली चल रही है , वो आती तो भी मिलने चुप-चाप मिलने मुझसे , उसकी इस हरकत का पता उसके दिल को भी नहीं , वहम हो या भ्रम सब उसके आंखों के इसारे हैं . " --- रबिन्द्र राम— % & " मेरा इश्क एक भ्रम के सहारे है , जब तक है उसकी मौजूदगी का पता हैं , इस खेल में उसकी कुछ आंख - मीचैली चल रही है , वो आती तो भी मिलने चुप-चाप मिलने मुझसे , उसकी इस हरकत का पता उसके दिल को भी नहीं , वहम हो या भ्रम सब उसके आंखों के इसारे हैं . " --- रबिन्द्र राम
" मेरा इश्क एक भ्रम के सहारे है , जब तक है उसकी मौजूदगी का पता हैं , इस खेल में उसकी कुछ आंख - मीचैली चल रही है , वो आती तो भी मिलने चुप-चाप मिलने मुझसे , उसकी इस हरकत का पता उसके दिल को भी नहीं , वहम हो या भ्रम सब उसके आंखों के इसारे हैं . " --- रबिन्द्र राम
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