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Khandelwalsweeti
' ' एक विश्वास ऐसा भी ' ' मेरे अपनों का , बड़ों का आशीर्वाद था मुझपर। उस दिन कुछ ज़्यादा ही था शायद मैं बियाहि थीं बाबा ने । मेरे हर श्रृंगार में मैं लाल रंग रखती हूँ। हर दिन, हर पल औऱ एक सुहागिन की तरह रहती हूँ । आज 60-65साल की उमर के हो गये हम दोनो साथ हैं औऱ लगता हैं ये सब लाल रंग का कमाल हैं उस सुहाग का उस लाल रंग का विश्वास हैं जो मै अब तक सुहागिन होने का सौभाग्य प्राप्त कर पा रही हूँ ॥ उस दिन ट्रैन में सफर के दौरन एक जोड़े से मुलाकात हुई ओर उनका अपना एक विश्वास था । गुरूर था इस रिश्ते पर और दोनो के साथ पर ॥
Dr.ShiviGolu
चाँद उस #सुहागिन की दुआ भी करना मंजूर... दूर खड़ा हैं #सरहद पर जिसकी #माँग_का_सिंदूर... #चाँद उस #सुहागिन की दुआ भी करना मंजूर... #दूर खड़ा हैं #सरहद पर जिसकी #माँग_का_सिंदूर...
#चाँद उस #सुहागिन की दुआ भी करना मंजूर... #दूर खड़ा हैं #सरहद पर जिसकी #माँग_का_सिंदूर...
read moreParul Sharma
चाँद का चाँद से दीदार आज करवा,कलेंडर,छलनी व सजे थाल। हर सुहागिन लग रही दुल्हन सी हर सुहागिन पर सजा सोलाश्रंगार। छतों पर सजी भीड़ दाम्पत्यों की हो रहा बेसब्री से चाँद का इंतज़ार। रोली,अक्षत्, नैवेद्य, भोज से सबने किया चाँद का सत्कार। अपने पिया केलिए निर्जला व्रत का सम्पूर्ण हुआ प्यार का एक और त्यौहार। पारुल शर्मा #करवाचौथ चाँद का चाँद से दीदार आज करवा,कलेंडर,छलनी व सजे थाल। हर सुहागिन लग रही दुल्हन सी हर सुहागिन पर सजा सोलाश्रंगार। छतों पर सजी भीड़ दाम्पत्यों की हो रहा बेसब्री से चाँद का इंतज़ार। रोली,अक्षत्, नैवेद्य, भोज से
#करवाचौथ चाँद का चाँद से दीदार आज करवा,कलेंडर,छलनी व सजे थाल। हर सुहागिन लग रही दुल्हन सी हर सुहागिन पर सजा सोलाश्रंगार। छतों पर सजी भीड़ दाम्पत्यों की हो रहा बेसब्री से चाँद का इंतज़ार। रोली,अक्षत्, नैवेद्य, भोज से
read moreNitish Sagar
आज मिथिलांचल का एक लोकप्रिय पर्व है जिनका नाम बरसाइत अर्थात वट-सावित्री पूजा।भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक है। इस पूजा मे सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु की कामना करती है। परंपरा के अनुसार सुहागिन महिलाएं उपवास रखती है और सुहागिन श्रृंगार करके पूजा की थाली में फल-फूल, मिठाई, आम, लीची, धान, लावा, चना, मूंग की अंकुरी, बर के फर आदि रखकर महिलाएं नदी/पोखर या मंदिर परिसर में बरगद के पेड़ के नीचे विधि विधान से पूजा करती है। और वट वृक्ष पर धागा बांध कर परिक्रमा करते समय गी
आज मिथिलांचल का एक लोकप्रिय पर्व है जिनका नाम बरसाइत अर्थात वट-सावित्री पूजा।भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक है। इस पूजा मे सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु की कामना करती है। परंपरा के अनुसार सुहागिन महिलाएं उपवास रखती है और सुहागिन श्रृंगार करके पूजा की थाली में फल-फूल, मिठाई, आम, लीची, धान, लावा, चना, मूंग की अंकुरी, बर के फर आदि रखकर महिलाएं नदी/पोखर या मंदिर परिसर में बरगद के पेड़ के नीचे विधि विधान से पूजा करती है। और वट वृक्ष पर धागा बांध कर परिक्रमा करते समय गी
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