Find the Best कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutजो नहीं हो सकता वही तो करना है.. in english, छोड़ तो सकता हूँ मगर छोड़ नहीं पाता उसे वो शख्स मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है, जीने का असली मजा तो तब है दोस्तों, जब दुश्मन भी तुमसे हाथ मिलाने को बेताब रहे !!, कुछ पल की जिंदगानी shayari, सब कुछ ठीक है in english,
Dr. Naveen Prajapati
तुम क़लम बनो ,मैं बनूँ लफ़्ज तुम्हारा हम क़ातिब बन इख्लास की जीवन्त कथा लिख जाएँगे तुम जज़्बात बनो, मैं बनूँ ज़िक्र तुम्हारा हम एहसास बन एतबार की अटूट रस्म निभा जाएँगे तुम नींद बनो , मैं बनूँ ख़्वाब तुम्हारा हम फ़रिश्ते बन इक - दूजे के कटुक कष्ट मिटा जाएँगे तुम स्वर बनो ,मैं बनूँ संगीत तुम्हारा हम मधुर ग़ज़ल बन इस जग को जीवन- राग सुना जाएँगे तुम हृदय बनो, मैं बनूँ रक्त तुम्हारा हम धड़कन बन इस मृत पड़ी रूह को अमर बना जाएँगे तुम ढाल बनो, मैं बनूँ कृपाण तुम्हारा हम पुरुषार्थी मानव बन भाग्य को कर्मों से हरा जाएँगे तुम हवा बनो, मैं बनूँ फूफुस तुम्हारा हम साँसों में साँस मिला जीवन को सफल बना जाएँगे तुम सुयोग बनो, मैं बनूँ वक़्त तुम्हारा इक- दूजे की कीमत पहचान इतिहास अमर बना जाएँगे तुम दौड़ बनो, मैं बनूँ धावक तुम्हारा हम कदमों से कदम मिलाकर दोनों कालजयी हो जाएँगे तुम नदी बनो, मैं बनूँ सागर तुम्हारा हम इक- दूजे की मंजिल बन ये मिलन सफल बना जाएँगे #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक हम उन्मुक्त पंछी हैं, "किसके लिए लिखी" यह पूछकर उपहास न उड़ाएँ🙏 #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है.. #तुम_और_हम फूफुस- फेफड़े कातिब- लेखक इख्लास- प्रेम
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जब कसम खाई है संग रहने की, मैं आजीवन साथ निभाऊँगा बेशक मौत हमारा साथ तोड़ दे, उस पार भी तुमसे मिलने आऊँगा जब हर सुख- दुःख तुम्हारे साथ सहा, अब मौत से क्या घबराना है काल हमें क्या अलग करेगा, जीवन - मरण तो मात्र एक बहाना है सात जन्मों का बन्धन है ये, मैं जन्म - जन्मांतर तुम्हें अपनाऊँगा इस जन्म तुम्हें वचन देकर , मैं यह रिश्ता अमर बनाऊँगा #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है..
Dr. Naveen Prajapati
कलमबद्ध कर कोरे कागज़ पर, अब प्रवाहमय करना चाहूँ कष्टदायक समृत्तियों के शब्दों का ठहराव । स्थिर पड़ी तन्हा जिन्दगी में, अब अंबु बहा देना चाहूँ करके शब्द- सरीता से अक्षरों का सुगम स्राव । सहमे अंतर्मन की संकुचित सोच, अब बेझिझक मिटा देना चाहूँ बदलकर अपना कठोर अन्तर्मुखी स्वभाव । #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है..
Dr. Naveen Prajapati
मेरी मुरझाकर मायूस पड़ी जिन्दगी में, तुम खुशियों की बहार बन छा गए सुगंधित गुल खिलाकर गुलशन में, मेरे गंधहीन जीवन को महका गए तुमने वात्सल्य वर्षा कर , मेरे मस्तिष्क की मृत मरुभूमि को हरित किया तुमने हृदय में प्रेम- बीज बोकर, स्नेहिल विचित्र विश्वास अंकुरित किया तुम सुहृद समपूर्ण सान्निध्य देकर, सालों से सुप्त अनुदित अनुराग जगा गए तुम नज़रों में नजर मिलाकर, मेरे रंगहीन जग-जीवन को जगमगा गए #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है..
Dr. Naveen Prajapati
दिल के द्वार दस्तक देकर , उदास उर पर उपकार किया मन से सब मतभेद मिटाकर , सच्चे साहस से सत्कार किया इंतजार किया इश्तियाक़ छुपाकर , ना कभी कोई इक़रार किया ज़हन की जुस्तजू जानकर, मेरा सिसकता सपना साकार किया श्रृंगार -रस रचना रचकर, बन अनुरक्त अंगीकार किया मुझे मन का मीत मानकर, तुमने सुस्थिर सरोकार किया #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है..
Dr. Naveen Prajapati
देखा उसने पहली नज़र , नशीली नज़ाकत भरी निगाहों से । कंटीली आँखों की काज़ल देख, मन मचला मानो मयूर मस्त हुआ घटाओं से । लबों पर मंद मुस्कान मग़र, चंचलता झलकती उसके भावों से । चन्द्रमा से चेहरे पर नख़रा देख, चौंका चकोर शरमाया शराफ़त भरी अदाओं से । खूब़ लगी रूह को इस कदर, मानो महकते फूल फ़िज़ाओं से। नखरे- नज़ाकत का सुंदर समावेश देख, कर आगोश़ अब अपना लूँ उसे खुली भुजाओं से । #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है..
Dr. Naveen Prajapati
बन जीवन संगिनी संग चलूँ , मीत मेरे मत इन्कार करो इंद्रधनुष से रंग भरकर, मेरे बेरंग जीवन का श्रृंगार करो बन सहभागी सब सुख -दुख सहूँ, अर्धांगिनी बना अंगीकार करो आपस की तकरार त्यागकर, उज्ज्वल भविष्य पर विचार करो सुदृढ़ संकल्प से सत्कार करूँ, संवेग का मत तिरस्कार करो मेरा सरल स्वभाव स्वीकार कर,सब अंत अब अंतर्विकार करो बन प्रेममुग्ध प्रेमिका कलरव करूँ, मत शांत मेरी किलकार करो मेरा सातों जन्म साथ निभाकर, अन्तर्मन से दूर अन्धकार करो #dr_naveen_prajapati #शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है.. 🎀 Challenge-234 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
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#dr_naveen_prajapati #शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है..
Dr. Naveen Prajapati
ख्वाब जो बुने थे अंधेरी रातों में, आज क्यों बहा दिए जज़्बातों में? क्यों घोंटे गले सब अरमानों के, अब दबे रहना तले एहसानों के। क्या उम्मीद है उन रिश्ते - नातों से, छलकता फ़रेब है जिनकी बातों से। ' नवीन ' जब मज़ा नहीं मिजाज़ों में , तो क्यों लिखता है अल्फ़ाज़ों में ?? #dr_naveen_prajapati #शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है..
Dr. Naveen Prajapati
कहीं महकती कलियांँ, भौरों का गुंजन ,तो कहीं बरसता सावन है, सब जन करो प्रेम प्रकृति से, यह संबंध बड़ा ही पावन है। कहीं बहती नदियांँ, उफनता सिंधु, तो कहीं पर शांत सरोवर है। संजो कर रख मानव प्रकृति को, यह हम सबकी अमूल्य धरोहर है। कभी हेमंत, शिशिर, वसंत, वर्षा, ग्रीष्म, तो कभी ऋतु शीत -शरद् है। स्वार्थ विलीन हो नष्ट न कर, क्यों निर्लज्ज हुआ इतना खुदगर्ज़ है। पशु - पक्षी, वन-वनस्पति, अभय- अरण्य,सब प्रकृति के आभूषण हैं। खनन- हनन सब समाप्त कर ,करना हमें जैव विविधता का संरक्षण है। रंग - बिरंगे फूल और तितली, जीवन का रंग-रूप हमें बतलाते हैं। नग, नद, नभ, नक्षत्र नाना रूप में, प्रकृति प्रेम हमें सिखलाते हैं। #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है..