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Best अछूत Shayari, Status, Quotes, Stories

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अदनासा-

अदनासा-

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/CzxU4Jtv8XY/?igshid=MjJkMmIyYzQxYw== #हिंदी #ज्योतिबाफूले #शिक्षा #शिक्षण #महिला #अछूत #समाज #Instagram #Facebook #अदनासा

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Anamika


  बहुत अछूत कोरोना है,
 दूर  से भी 'है' का 'था' होना है। #अछूत
#कोरोना_का_कहर 
#योरकोटजिंदगी 
#तूलिका

Brajesh Kumar Bebak

river_of_thoughts

#meltingdown #अछूत © Ratan Kumar

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#अछूत

उसने मुझे छेड़ा
और जब मैं झुकी, तिलकधारी उस पाखण्डी ने
मुझे जकड़ लिया, पीछे से...

नहीं, नहीं! ... जाने दो भाई!
सोहिनी चिल्लाई 
और हाथ पकड़ भाई को बाहर खींच लाई...

उस क्षण,
उस पवित्र परिसर में बखा, वह मेहतर!
डरा-सहमा स्तब्ध!
खड़ा सीढ़ी पर देखता निरंतर
भयावह भव्य विराट!
कालिमा का तिलस्मी सौन्दर्य...

@manas_pratyay #meltingdown #अछूत © Ratan Kumar

dilip khan anpadh

#अछूत जूता

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(अछूत जूता)
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मैं जूता हूँ,
मैं अछूत हूँ,
लोग मेरी परवाह नहीं करते,
मेरा मंदिर,मस्जिद में जाना वर्जित है,
जन्म से तो मैं जूता ही रहता हूँ
पर लोग मुझे पहली दफा बाँटते हैं
एक घर का ,एक बाहर का।

मैं कई रूपो,कई कीमतों में मिलता हूँ,
पर मेरे खुद की कोई कीमत नहीं,
मेरी कीमत पहनने वाले पर निर्भर है,
कम कीमत का भी अगर
साधू या धनवान के पैरों में होता हूँ तो
पूजा जाता हूँ,
कीमती होकर भी अगर 
सही पाँव में न आया तो
यातना सहता हूँ।

मेरा काम दीखता नहीं,
पर मैं सैनिको की तरह
घर के बहार डटा रहता हूँ
न जाने कब मालिक को जरुरत हो
धुप-पानी-कीचड़ सब सहता हूँ
पर मुझे क़द्र कभी नहीं मिलता
क्योंकि मैं अछूत हूँ
मुझे बनाने वाले अछूत हैं
उफ़ लोगो ने समाज बांटते बांटते
सामान को भी बाँट डाला।

मुझे भी जोड़े में रहना पसंद है,
दुःख होता है जब
लोग बेतरकिब हमें 
अलग थलग रखते है,
फिर भी मौन हो सब सह जाता हूँ।

इंसान का कद कितना भी ऊँचा हो
मेरे बिना उसे पूर्णता नहीं मिलता
फिर भी मैं
उपहार के तौर पर 
पेश नहीं किया जाता,
शुभ मुहूर्त में
सेवा से बर्खास्त कर दिया जाता हूं
या फिर नजरो से ओझल
किसी धुप्प अँधेरे कोने में 
समेट दिया जाता हूँ,
लोग हँसते नाचते गाते हैं
और मेरा दम घूँटता रहता है।

मैं घिस घिस कर
पीस पीस कर 
मालिक की सेवा करता हूँ
उनके जरा सा पोछ देने से
मारे ख़ुशी के चमक उठता हूँ
दोगुने जोश से फिर सेवा देता हूँ।
पर मेरा नसीब?
मेरा न्याय?
मेरा क़द्र?
मेरी पहचान?
बस जूता हूँ
मुझे एक अछूत ने बनाया
और मैं अछूत हूँ।

दिलीप कुमार खाँ "अनपढ़" #अछूत जूता

निधि द्विवेदी

#अछूत भूख

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अछूत भूख 
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वो भूखा था! छोटा था! नादान था!
मैं रोटी लेकर आयी..
उसने झपट ली रोटी 
मैंने पकड़ रखी थी जिसे ।
सब ने कहा,छू दी तू उसे? 
अब मत छूना हमें।
मैंने कहा.. 
हमने सिर्फ रोटी छुई थी.. इक दूसरे को नहीं!
मैंने सिर्फ भूख छुई थी उसकी उसे नहीं!
और भूख भी कभी अछूत होती है क्या..? #अछूत भूख

Balraj Chaprana

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नारी अछूत नहीं होती
सिर्फ पुरुष अछूत होते हैं

Deepak Sharma

true lines

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. *नए अछूत* 

हमको देखो हम सवर्ण हैं
भारत माँ के पूत हैं,
लेकिन दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' हैं;

सारे नियम सभी कानूनों ने,
हमको ही मारा है;
भारत का निर्माता देखो,
अपने घर में हारा है;
नहीं हमारे लिए नौकरी,
नहीं सीट विद्यालय में;
ना अपनी कोई सुनवाई,
संसद में, न्यायालय में;
हम भविष्य थे भारत माँ के,
आज बने हम भूत हैं;
बेहद दुःख है अब भारत में;
हम सब 'नए अछूत' हैं;

'दलित' महज़ आरोप लगा दे,
हमें जेल में जाना है;
हम-निर्दोष, नहीं हैं दोषी,
ये सबूत भी लाना है;
हम जिनको सत्ता में लाये,
छुरा उन्हींने भोंका है,
काले कानूनों की भट्ठी,
में हम सब को झोंका है;
किसको चुनें, किन्हें हम मत दें?
सारे ही यमदूत हैं;
बेहद दुःख है अब भारत में;
हम सब 'नए अछूत' हैं;

प्राण त्यागते हैं सीमा पर,
लड़ कर मरते हम ही हैं;
अपनी मेधा से भारत की,
सेवा करते हम ही हैं;
हर सवर्ण इस भारत माँ का,
एक अनमोल नगीना है;
अपने तो बच्चे बच्चे का,
छप्पन इंची सीना है;
भस्म हमारी महाकाल से,
लिपटी हुई भभूत है;
लेकिन दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' हैं..

देकर खून पसीना अपना,
इस गुलशन को सींचा है;
डूबा देश रसातल में जब,
हमने बाहर खींचा है;
हमने ही भारत भूमि में,
धर्म-ध्वजा लहराई है;
सोच हमारी नभ को चूमे
बातों में गहराई है; 
हम हैं त्यागी,हम बैरागी,
हम ही तो अवधूत हैं;
बेहद दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' है
*समस्त सवर्ण समाज के सभ्य बंधुओ को समर्पित*क्रपा करके इस कविता को बिना परिवर्तित किये अपने सभी लोगों को पोस्ट जरूर करें 🙏 true lines

abhishek manoguru

 गाँव की जमीनी दावत तुम्हारे उस शहर के हवाई बफर वाले प्रचलन से कई गुना स्वादिष्ट , भरपेट और खाने की बचत के मामले में भी अब्बल दर्जे की होती है ।
पर
एक फर्क भी है दोनों में कि गाँव की दावत में जातियाँ साफ दिख जाती हैं 
आज ऐसी ही एक दावत में खाने के वक़्त ध्यान कोने में सबसे अलग बैठे उन 5 बच्चों पर गया , अरे...! गिनती याद है क्यूंकि अलग तो किसी ने ऋग्वेद , किसी ने ब्रह्मा जी के शरीर से उत्पत्ति , तो किसी ने मनुस्मृति की दलीलों से कर ही दी है ,इसलिए आसानी हुई गिनने में अल्पसंख्यक थे वाकई वहाँ बैठे वो 5 ।
जमीन पर तो सभी थे पर अंतर यह था कि हमारे नीचे कालीन थी और उनके नीचे सिर्फ ज़मीन । अरे अछूत थे वो उन्हें छुआ नहीं जाता ऐसा समाज ने धर्मग्रंथों के लिहाज से कूट कूट कर भरा है हमारे दिमाग में । एक को कुछ महीने पहले मैंने पढ़ाया भी है और आज इस जाति की अभेद दीवार के बावजूद उसकी आँखों ने बिना कुछ कहे काफी कुछ बयाँ भी कर दिया।
 हर बार की तरह वह पास आया चेहरे पर हल्की सी मुस्कान के साथ , कुछ कह पाता उससे पहले ही याद दिला दिया वो वाकिया जिसे पहले भी उसे सुना चुका था - अरे यही कि कुछ साल पहले घर पर हुए एक कार्यक्रम में " S.D.M. " साहब आये थे, वोे कुर्सी पर बैठे और सब अगल बगल खड़े थे और हाँ उच्च वर्ग कहे जाने वाले लोग भी खड़े ही थे । खाना भी खाया और उन्हीं बर्तनों में नाश्ता पानी भी दिया गया । उनके जाने के बाद बताया गया कि कलक्टर साहब भी अछूत (भंगी/मेहतर) जाति से है पर उन्हें कुर्सी और सम्मान मिला ।
फिर से कह दिया कि बेटा -" only your class can cover your caste " #nojotofamily #nojoto #nojotostory #nojotopoetry #story #कहानी #जाति #casticism #caste
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