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malay_28
White कोई अक्षर कोई अशआर करता कब बयाँ दिल को उठी पलकें ज़रा झुकती मुकम्मल बात हो जाती. ©malay_28 #मुकम्मल बात हो जाती
#मुकम्मल बात हो जाती
read moreRabindra Kumar Ram
" फिर तुझसे कब कहाँ कैसे यकीनन मिला जाये, मयस्सर में तेरे ख्वाब कही मुकम्मल हो तो हो, अब यार तेरे तलब की दुहाई क्या देता मैं, कभी यार गैरइरादतन कभी ऐसे भी तो मिले होते ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फिर तुझसे कब कहाँ कैसे यकीनन मिला जाये, मयस्सर में तेरे ख्वाब कही मुकम्मल हो तो हो, अब यार तेरे तलब की दुहाई क्या देता मैं, कभी यार गैरइरादतन कभी ऐसे भी तो मिले होते ." --- रबिन्द्र राम #यकीनन #मयस्सर #ख्वाब #मुकम्मल
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** ख्वाहिशें *** " कहीं कुछ यूं ही बात रहेंगी, मेरे क़फ़स में यूं ही तु यार रहेंगी, मिलना ना मिलना हमारा वक्त की कुछ साजिश रहेंगी , मैं तुम्हें मिल रहा हूं इसी ऐबज में, फिर हमारी ख्वाहिशों का क्या करना था, पुर-ख़ुलूस जुस्तजू तमाम रहें हैं , फिर इसी ऐबज में मुहब्बत के सिवा कोई काम ना रहे , तु मिलती तो कुछ बात तो हो , इस सय में हमारी ख्वाहिशों मुकम्मल तो हो , देख के आईना तुम खुद से गुफ्तगू तो करते होंगे, फिर कहीं हमारी ख्वाहिशें तमाम तो हो , सबे-ए-हिज़्र फिर उन रातों का करना क्या था . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** ख्वाहिशें *** " कहीं कुछ यूं ही बात रहेंगी, मेरे क़फ़स में यूं ही तु यार रहेंगी, मिलना ना मिलना हमारा वक्त की कुछ साजिश रहेंगी , मैं तुम्हें मिल रहा हूं इसी ऐबज में, फिर हमारी ख्वाहिशों का क्या करना था,
*** ग़ज़ल *** *** ख्वाहिशें *** " कहीं कुछ यूं ही बात रहेंगी, मेरे क़फ़स में यूं ही तु यार रहेंगी, मिलना ना मिलना हमारा वक्त की कुछ साजिश रहेंगी , मैं तुम्हें मिल रहा हूं इसी ऐबज में, फिर हमारी ख्वाहिशों का क्या करना था,
read moreRabindra Kumar Ram
" ये तेरा जफ्र ही हैं हम बात मुकम्मल क्या, कुछ आध-आधुरी बातों का जायजा लेते तो करते क्या, तुम भी मिले गैरों की तरह हम भी मिले औरौ की तरह , फलसफा जो कुछ भी हो कुछ पयाम अब भी कायम इस फराज़ में. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " ये तेरा जफ्र ही हैं हम बात मुकम्मल क्या, कुछ आध-आधुरी बातों का जायजा लेते तो करते क्या, तुम भी मिले गैरों की तरह हम भी मिले औरौ की तरह , फलसफा जो कुछ भी हो कुछ पयाम अब भी कायम इस फराज़ में. " --- रबिन्द्र राम #जफ्र #मुकम्मल #जायजा
तोषी देवांगन
मुकम्मल इश्क का न होना, अर्थ ये नहीं कि ईश्क में सच्चाई नहीं थी,, कुछ लोग आज भी हैं इस बगावत की दुनिया में, जो शराफत की ज़िन्दगी जीना पसन्द करते हैं.... ©Toshi Dewangan #touch #मुकम्मल
Shubham Bhardwaj
मुमकिन नही,मुकम्मल हर ख्वाब हो जाये। चमकता हुआ सितारा, आफताब हो जाये।। ©Shubham Bhardwaj #मुमकिन #नही #मुकम्मल #हर #ख्वाब #होगा
Shubham Bhardwaj
इश्क़ एक एहसास है,इसको मुकम्मल करदे। जिंदगी अधूरी सी है,इसमें खुदको शामिल करदे।। ©Shubham Bhardwaj #इश्क #ए #एक#एक_एहसास #मुकम्मल #कर #दे
अनुभव पंडित जी
Rabindra Kumar Ram
" ये फ़ैज़ तेरी हैं एहसास लिये बैठे हैं , मुख्तलिफ बातों में अब तेरी बातें लिये बैठे हैं , गुंजाइश कुछ भी हो आज नहीं तो कल मुकम्मल हो जायेंगी कुछ ना कुछ , जाने ये दुआ कब काम आयेगी एसे में तेरे इश्क मुहब्बत का सजदा करने बैठे हैं ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " ये फ़ैज़ तेरी हैं एहसास लिये बैठे हैं , मुख्तलिफ बातों में अब तेरी बातें लिये बैठे हैं , गुंजाइश कुछ भी हो आज नहीं तो कल मुकम्मल हो जायेंगी कुछ ना कुछ , जाने ये दुआ कब काम आयेगी एसे में तेरे इश्क मुहब्बत का सजदा करने बैठे हैं ." --- रबिन्द्र राम #फ़ैज़ #मुख्तलिफ #गुंजाइश #मुकम्मल #दुआ #इश्क #मुहब्बत #सजदा
" ये फ़ैज़ तेरी हैं एहसास लिये बैठे हैं , मुख्तलिफ बातों में अब तेरी बातें लिये बैठे हैं , गुंजाइश कुछ भी हो आज नहीं तो कल मुकम्मल हो जायेंगी कुछ ना कुछ , जाने ये दुआ कब काम आयेगी एसे में तेरे इश्क मुहब्बत का सजदा करने बैठे हैं ." --- रबिन्द्र राम #फ़ैज़ #मुख्तलिफ #गुंजाइश #मुकम्मल #दुआ #इश्क #मुहब्बत #सजदा
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