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Chandan Kumar Turi
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. निकाल लो रजाइयां और निकाल लो कोटियां सरसों के साग संग चलो खाओ मक्की दियां रोटियां ठंडा पानी भी पीना कर दो बंद मेरी तरफ से आप सभी को मुबारक हो ठंड!! शुभ दिवस !!! ©Chandan Kumar Turi like comment jarur Karen #sjatt1401 #ObaidullahAleemPoetry #each
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read moreVikash Kumar
Shivu Gowda
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read moreदिल-ऐ-मुसाफ़िर!
क्या कहती है ज़रा तवज़्ज़ो हो!! की तुम ना आओ तेरी एक चाहत की मुस्कान ही महकती है! हर एक शब के बाद एक नयी चिड़िया चहकती है! तेरा हर बूंद धरती पर गिर जाती है! पर मेरी चाहत उस चातक सी बढ़ती जाती है!!!! #hindi #yqbaba #yqbabaquotes #yqbabathoughts #YourQuoteAndMine Collaborating with Indrina Amrita #मुसाफ़िर की कलम #sjatt1401
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निकला है चाँद बादलों के पीछे पर आसमाँ साफ लगता है! ये मनचलों की दुनिया है यँहा अहले दिल तलाश लगता है!! ढूंढ लू एक गुलाब इस गुलजार ऐ दुनिया मे, पर काँटो से भरा वो भी एक ख्वाब लगता है!! ये बहारे चमन गुल कैसा खिलाये है! शब के बाद भी दिन में अनजानी सी रात लगता है!! अहले दिल की तलाश है इस मुसाफ़िर को जँहा में! पर वो भी मिले इस बदलती हवा में ये ख्वाब लगता है!! निकलता तो है हर रोज चाँद चांदनी-ऐ-शब में! पर वो भी इस कहकही सी दुनिया से अनजान लगता है!! #sjatt1401 #मुसाफ़िर की कलम
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हमने उल्फत में भी उनके चेहरे पर नूर देखा है! बहते हुए हवाओं में भी उसमे एक सुरूर देखा है!! ये इश्क हकीमो के बस की बात नही यारों! हमने पत्थर को भी मोहब्बत में चूर देखा है!! ये फूलों की बस्तियां है यारों, यँहा काटें भी अश्कों के नाम पर हुजूर देखा है! मुकाबला ना कर मेरे इश्क की दरख्वास्त से! हमने गुस्से में भी एक अलग सा दस्तूर देखा है!! ये नफरतों की दुनिया है! पर यँहा भी अहले दिल का कसूर देखा है!!! पर उनके चेहरे पर नूर देखा है!!! #sjatt1401 #मुसाफ़िर की कलम
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read moreदिल-ऐ-मुसाफ़िर!
बेरहम ये दुनिया है, रुला कर ही हँसती है!! ना रोने पर दुःखी और रोने पर हँसती है!! बेरहम ये दुनिया है,रुला कर ही हँसती है!! ज़िन्दगी के अरमानों में ये हर वक़्त फँसती है! मंजिल कोई भी चुनो ये रास्ते मे उलझती है!! बेरहम ये दुनिया है,रुला कर ही हँसती है!! ज़िंदा को गुमनाम और मुर्दों पे रोती है! मौत का बिस्तर बना उसी पर ये सोती है! बेरहम ये दुनिया है रुला कर ही हँसती है!! बंजर-ऐ-दिल मे प्यार भी बोती है!! मुस्कान को दफना ये आँशु ही ढोती है! बेरहम ये दुनिया है रुला कर ही हँसती है!! खुद के ज़नाज़े में चुपचाप सोती है!! पर ज़माने के दर्द पर ये गुमनाम सी हँसती है!! बड़ी बेरहम ये दुनिया है रुला कर ही हँसती है!! #sjatt1401 #मुसाफ़िर की कलम
#मुसाफ़िर की कलम #sjatt1401
read moreदिल-ऐ-मुसाफ़िर!
ये रिमझिम सा सावन ये कुवें का पानी! कैसे मैं कह दूं अपनी कहानी!! ये घिसी है रस्सी ,ये ज़ुल्मत की निशानी! कैसे मैं कह दूं अपनी कहानी!! ये दरिया की मस्तियाँ मेरे बुजुर्गों की अस्थियाँ! डूबी है इनमें मेरे हर ज़ुस्तज़ु की कश्तियाँ!! आंखों में नूर ,चेहरे पर नजाकत! कैसे बया करूँ ये लफ़्ज़ों की शराफत!! ये दिलकश नजारे ये महफ़िल की रवानी! ऐ हमसफ़र तू ही बता कैसे कहूँ मैं अपनी कहानी!! #sjatt1401 #मुसाफ़िर की कलम
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