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Shaikh Wajid Bin Aziz
#DCF Team # U have Any Plan Plz Inform Before One Day# & Plz Discussing Before One Day Ur Team# "Morning 09am To 03Pm" #New_Financial_Year_2020
सुमित शर्मा
वेदनाओं के भँवर में घूमता अक्सर रहा मैं किंतु ये मालूम था कि वेदनाएँ मुक्त होंगी और फिर किसलय खिलेंगी अपेक्षाओं के जगत में संभाव्यता भी खत्म थी किंतु ये मालूम था कि उपेक्षाएं मुक्त होंगी और फिर किसलय खिलेंगी वे छण अभी तक याद है जब पाँव मेरे दग्ध थे किंतु ये मालूम था कि वे मरुस्थल मुक्त होंगी और फिर किसलय खिलेंगी मैं ही विष था,मैं मरुस्थल मैं ही खुद का शत्रु था किंतु ये मालूम था कि ये शत्रुता भी मुक्त होगी और फिर किसलय खिलेंगी|| 😊 मुस्कुराते रहिए 😊 ✍️ सुमित #DCF
सुमित शर्मा
बात-बात पर मुस्काते हो बात-बात पर इठलाते हो मुझे पता है मेरे साथी तुम पग-पग पर छले गए हो वो वक्त मुझे मालूम है जब तुम प्रेम बांटते फिरते थे लहरों की आवारी बन जब यायावर सा फिरते थे पर आज अचानक रुका देख ये प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा घाव नही दीखते है पर तुम बाणों से बिंधे हुए हो अपनी जिद की ना-हद तक तुम तीखे प्रतिवाद कराते थे लेकिन रिश्तों की वीरुध पर तुम किसलय सा हो जाते थे पर आज अचानक मौन देख ये प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा जुड़े-जुड़े से लगते हो पर तुम भीतर से टुटे हुए हो उसके सपने उसकी खुशियाँ सब अपने तुमको लगते थे उसकी पीड़ा और जख्मो को अपने अश्को से चखते थे पर आज अचानक किये आह! तो प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा जिये-जिये से लगते हो पर तुम भीतर से मरे हुए हो #DCF
सुमित शर्मा
मेरा समंदर होना ही शायद मेरी मजबूरी है कि चन्द कदम भी तुम्हारे साथ नही चल सकता और तुम्हारा नदी होना ही तुम्हारी खुशनसीबी है कि तुम स्वतंत्र हो कहीं भी किसी भी मोड़ पर चले जाने के लिए #DCF
सुमित शर्मा
तेरी याद आती जब भी मुझे है नन्हा सा दिल ये तड़पता बहुत है आती नही अब बनकर बहारें तुमसे बिछड़कर रोना बहुत है तेरे बोल मुझको ऐसे लगे थे, मंदिर में मानो घण्टी बजी हो तेरा रूप मुझको ऐसा लग था मंदिर में जैसे मूरत सजी हो आयी नही जबसे दरिया किनारे महके नही तबसे उपवन बगीचे अनखिले फूल की तुम सुंदर कली हो वर्षा की रिमझिम फुहारों से सीचें चलो हो गया अब कहना बहुत, जीवन मे है दुख सहना बहुत कुछ न सही एक दृष्टि ही डालो धरा पर नही अब रहना बहुत विरह की अग्नि में मैं इतना जला कि छंद के बोल मुख से निकल ही गये अद्यतन लिख् रहा हूँ ऐ मेरी प्रेरणा दूर रहते हुए पास रह ही गये अब यही आस मन की पूरी करो छंद ही छंद जीवन मे लिखता रहूं दिल के पन्ने जो अब तक अधूरे रहे, विटप के झुरमुटों में पढ़ता रहूँ! तेरी याद मुझको....... #DCF
सुमित शर्मा
जब होना होना था नाराज कभी,तब तुम हँस पड़ी हो सच कहता हूँ यार, तुम बहुत नकचढ़ी हो जब होना था अभिव्यक्त कभी, तो मौन धरे तुमको पाया जब हो जाना था निर्झर तो, सरिता बनते तुमको पाया जब छाँव कभी देना था,तो कड़ी धूप बनते पाया जब होना था नाराज कभी,तो मुस्काते तुमको पाया जब चाहा चलो रूठ जाऊं,तो आँख तरेरे तुमको पाया जब चाहा चलो भूल जाऊं,तो अश्क बहाते तुमको पाया जब होना था नाराज कभी ,तब तुम हँस पड़ी हो सच कहता हूँ यार तुम बहुत नकचढ़ी हो #DCF
सुमित शर्मा
मैं फिर से तो बन जाऊं सूरज! क्या तुम दीपक बन पाओगी? अगर हुआ ऐसा कुछ तो, सच में जीवन बन जाओगी! जलो-जलो जल्दी दीये! इतनी देरी भी ठीक नही, उम्मीद जगाकर बुझी रहो, इतना तड़पाना ठीक नही! सोचो-सोचो पल क्या होंगे? जब कदम तेरे बढ़ आएंगे जितनी पीड़ा जितनी तड़पन, इक पल में ही मिट जाएंगे #DCF
सुमित शर्मा
आज पूछते हो तुम मुझसे मैं क्यों इतना बदल गया हूँ? जब रात-रात भर चिल्लाता था, पीड़ाओं को सहलाता था तब कहाँ छुपे थे मेरे अपने? पीड़ाएँ जब दी थी सबने! आज पूछते हो तुम मुझसे मैं क्यों इतना बदल गया हूँ? प्रेम नही चाहा था तुमसे अवलम्ब नही मांगा था तुमसे! फिर भी!तुम ऐसे भाग रहे थे, हम जैसे जीवन माँग रहे थे? जब मैं साया बन सकता था, जब मैं छाया दे सकता था तब पत्ते-पत्ते नोच रहे थे मेरी टहनी को काट रहे थे जब स्वाभिमान को रौंद रहे थे, फिर भी हम बिल्कुल मौन रहे थे मेरे समर्पित जीवन से तुम घटा-मुनाफा तौल रहे थे! क्या अब भी तुम पूछोगे मुझसे मैं क्यों इतना बदल गया हूँ?? अरे विवशते! तुम तो समझो मौन छलावे!तुम तो समझो मैं क्यों इतना बदल गया हूँ ? मैं क्यों इतना बदल गया हूँ? #DCF
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