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सञ्जय किरार
सभ्यतायें सहज-प्रेम न कर सकीं, माँग सूने समय की न वह भर सकीं!! रुक्मणी को सदा सुख मिले स्वर्ग के, राधिकाएँ तो बस साधना कर सकीं !! ©सञ्जय किरार #ThePoetsLibrary #Sanjaykirar #Poetry #poem #Sadhna #Love #Devotional
सञ्जय किरार
एक लड़की जिसे मन बुलाता रहा, नीर आंखों में था किंतु प्यासा रहा ! एक दिन हम मिले जैसे बिछड़े नहीं, मौन हँसने लगा मन रुआसा रहा !! ©सञ्जय किरार #MereKhayaal #Sanjaykirar #ThePoetsLibrary #Poetry #poem #Hindi
सञ्जय किरार
प्रेम की बहती नदी तुम मैं मुसाफिर देखकर ही जी बहल जाता है मेरा, ज़िंदगी का प्रश्न पत्रक पूछता कुछ, किन्तु “तुम” ही एक हल आता है मेरा। सब दिशाओं में उगे सूरज को लेकर, हमने मन में तो कभी लालच न पाला, एक चंदा जैसा तुम को जब से देखा मन के हर कमरे में है शीतल उजाला। रिक्तियाँ सब दूर मुझसे हो चुकी, मन इसलिए दीपक सा जल पाता है मेरा। मौन का चन्दन, खुशी की भाग्य रेखा, रोज तुम ही साथ मेरे पास लाती, और फिर पागल किसी तितली की भाँति मेरे तन पर फूल की आभा बनाती। अब गगन से मोह कैसा जबकि निश्चित प्रेम मिट्टी में ही कल पाता है मेरा। शून्य के विस्तार का परिणाम जैसे विश्व है ये, सृष्टि सारी, और हम-तुम। इसका मतलब दो नहीं हम एक ही है एक धागे से बंधे हम एक से तुम। फिर किसी दिन शून्य में हम एक होंगे इतना ही मन तो अमल पाता है मेरा। ज़िंदगी का प्रश्न पत्रक पूछता कुछ किन्तु “तुम” ही एक हल आता है मेरा..... ©सञ्जय किरार #ThePoetsLibrary #Sanjaykirar #poem #Poetry #kavita #Love #geet #Poet
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प्रेम के किस्से उठा स्वर्ग से हम धरती तक ले आये किसे पता था अपने किस्से बिना प्रेम ही रह जाएंगे । तुम्हें स्वर्ग ले जाना था और हमें धरा पर मरना था खुद को कर गो धूली बेला तुम्हें प्रभाती करना था दुनिया आंख लगाए बैठी फिर एक नई कहानी पर न मिल पाए हम दोनों पर एक कहानी गढ़ना था । यही कहानी इसी जन्म में दुनिया अपनी देखेगी किन्तु सच दोनों के हिस्से बिना प्रेम ही रह जाएंगे किसे पता था अपने किस्से बिना प्रेम ही रह जाएंगे । सञ्जय किरार #river #Thepoetslibrary #sanjaykirar #Hindi #hindipoetry #geet #Shayari
सञ्जय किरार
नदी की बाहों में बाहे डाल कर तैरना छोटी मछलियों को हथेली से घेरना। मुझे बहुत प्रिय था नदी की तह पर पत्थर कई दफे उछालना मिट्टी से सने हाथ को पानी में खंगालना । मुझे बहुत प्रिय था तुम्हें चुपके से देखना फिर मुस्कुरा देना तेरे बस्ते में फूलों के गजरे छुपा देना । मुझे बहुत प्रिय था अपनी छत से लाल पीली पतंगे उड़ाना, कभी तेरी पेंसिल तो कभी पेन छुपाना। #sanjaykirar #thepoetslibrary
सञ्जय किरार
पत्थरों पर जल चढ़ाया , देवता ही काम आया । अब तुम्हें न वोट देंगे आज तुमने ही सिखाया। भूखे तन से पूछियेगा? धर्म ने क्या-क्या सिखाया। ये उदासी रात की है, या बिछा है मेरा साया । पेड़ भी हंसते है अक्सर क्या कभी घर में उगाया। तुम फ़क़त हो दोस्त "सञ्जय" कहके तुमने दिल दुखाया। सञ्जय किरार #ThepoetsLibrary #Sanjaykirar
सञ्जय किरार
हम अभी तो लड़ रहे है, सीढ़ियां ही चढ़ रहे है। गांव से था इश्क अपना पर शहर को गढ़ रहे है ।(बनाना) इश्क हमने पढ़ लिया है, अब खुदी को पढ़ रहे है। गांव में थी रूह अपनी अब तो केवल धड़ रहे है। यार वो लड़की कहाँ है ? खुद को जिससे से मढ़ रहे है । तुम न “सञ्जय” पास बैठो, हम अकेले पड़ रहे है। #Sanjaykirar #ThePoetsLibrary
सञ्जय किरार
तुम्हे कहने की आदत थी मुझे सुनने की आदत थी , जमाना रूठ जाता था उसे बुनने की आदत थी , न जाने कब जमाने की ये आदत पड़ गई तुमको, वगरना, एक दूजे को सदा चुनने की आदत थी। वगरना=यद्यपि The Poet's Library #ThePoetsLibrary #Sanjaykirar #poetry
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