Find the Best औरंगजेब Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutऔरंगजेब की मृत्यु कब हुई, शहीद औरंगजेब की कहानी, औरंगजेब की कहानी, औरंगजेब की राजपूत नीति, औरंगजेब की धार्मिक नीति,
Ajay Amitabh Suman
Poetry #gazal #Alexander #Aurangzeb #गज़ल #अल्फाज़ #सिकन्दर #औरंगजेब हुकुमत की जंग में रिश्ते, नाते , सच्चाई, जुबाँ की कीमत कुछ भी नहीं होती । सिर्फ गद्दी हीं महत्त्वपूर्ण है। सिर्फ ताकत हीं काबिले गौर होती है। बादशाहत बहुत बड़ी कीमत की मांग करती है। जो अपने रिश्तों को कुर्बान करना जानता है , वो ही पूरी दुनिया पे हुकूमत कर पाता है । औरंगजेब, सिकन्दर, अशोक इत्यादि इसके अनेक उदाहरणों में से एक है । ये महज इत्तिफाक नहीं है कि पूरी दुनिया का मालिक अक्सर अकेला हीं होता है।
read moreAbhishek Rajhans
हाँ, मैं औरंगजेब ही हूँ अपने पिता को घर के भीतर ही कैद कर रखा हूँ मैं कोई श्रवण कुमार नहीं हूँ दुनिया बहुत कुछ कहती है और मैं बस सुन लेता हूँ मैं अपने पिता को सुखी रोटी और दाल खिलाता हूँ उनकी कम होती रौशनी को ले कर मलाल नहीं मुझे मैं उन्हें किसी से मिलने भी नहीं देता इसलिए थोड़ा निर्दयी भी हूँ हाँ, मैं औरंगजेब ही हूँ उन्होंने चलना-फिरना ,छोड़ रखा है इसलिए उनकी बैसाखी मैंने तोड़ दी है उन्होंने पढ़ना छोड़ दिया हैं इसलिए उनके ऐनक का टूटा शीशा नहीं बदल पाता मैं श्रवण कुमार नहीं सिर्फ उनका बेटा बन कर रहना चाहता हूँ उन्होंने मुझे उँगलियाँ पकड़ कर चलना सिखाया फिर कैसे उन्हें बैसाखी दे दूँ उन्होंने मुझे पढ़ाया-लिखाया तो फिर क्यों मैं उनके लिए अखबार नहीं पढ़ पाऊँ उनसे मिलने वाले लोग जब कहते है-अब इस कष्ट से मुक्ति मिल जाये उन्हें भगवान उठा ले उन्हें सुन कर बहुत दुःख होता है मुझे मैं अपने भगवान को भगवान के पास कैसे जाने दूँ मेरे पिता ने पाला है मुझे क्या मैं अपने पिता को पाल भी नहीं सकता दुनिया औरंगजेब कहती है तो कहे मैं अपने पिता को आजाद नहीं कर सकता—अभिषेक राजहंस हाँ, मैं औरंगजेब ही हूँ
हाँ, मैं औरंगजेब ही हूँ
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 2 - शरण या कृपा? 'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्ह
read moreMohit Mudita Dwivedi
शहीद औरंगज़ेब की ओर से ख़त माँ सुनो मुझे छुट्टी मिल गयी ! रमज़ान ख़त्म होते ही मैं घर आ रहा हूँ । मैं ईद पर घर आ रहा हूँ माँ । बहन से कहना हम ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद अब्बू के संग घूमने चलेंगे उसने वो सलवार कुर्ता बहुत पसंद हैं ना वो लेकर आऊंगा । औऱ चूड़ियां भी, मुझे पता है अभी भी वो ही पहन रही होगी जो पिछले साल अब्बू ने दिलाई थीं । और अब्बू के लिए यहाँ से टोपी ला रहा हूँ माँ महीन कढ़ाई है इसमें अब्बू को पसन्द है ना । पता है माँ इस बार शुक्ला सर मेरी बहुत तारीफ कर रहे थे वो कह रहे थे मैं बहुत ज़बाज़
शहीद औरंगज़ेब की ओर से ख़त माँ सुनो मुझे छुट्टी मिल गयी ! रमज़ान ख़त्म होते ही मैं घर आ रहा हूँ । मैं ईद पर घर आ रहा हूँ माँ । बहन से कहना हम ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद अब्बू के संग घूमने चलेंगे उसने वो सलवार कुर्ता बहुत पसंद हैं ना वो लेकर आऊंगा । औऱ चूड़ियां भी, मुझे पता है अभी भी वो ही पहन रही होगी जो पिछले साल अब्बू ने दिलाई थीं । और अब्बू के लिए यहाँ से टोपी ला रहा हूँ माँ महीन कढ़ाई है इसमें अब्बू को पसन्द है ना । पता है माँ इस बार शुक्ला सर मेरी बहुत तारीफ कर रहे थे वो कह रहे थे मैं बहुत ज़बाज़
read moreउदय खितौलिया
शहीदो का फ़क़त उनवान लेकर जा रहा हूं मैं #औरंगजेब कुछ अरमान लेकर जा रहा हूं! खुदा के पास गर पहुँचा जो मैं तो लड़ पडूंगा #कफन में सारा #हिन्दोस्तान लेकर जा रहा हूं! मुझे परवान चढ़ना हिन्द पर तो था, ..लों मैं भी #शहीद_ए_आज़म जैसी शान लेकर जा रहा हूं! जिसने हर वक़्त रक्खा सर बुलंदी पर मेरा मैं #तिरंगा आज खुद श्मशान लेकर जा रहा हूं! कितने कंधे मिले इस #ईद पर #ईदी में मुझको मैं सारे शहर का #रमजान लेकर जा रहा हूं! चुका दी इस दफा मिट्टी की मैंने पाई पाई पर तेरा #कर्ज़ अब्बूजान लेकर जा रहा हूं! मेरे हक़ में #नमाज़े तुम अदा करना नहीं मैं अपने साथ #राष्ट्रगान लेकर जा रहा हूं! #हिन्दोस्तान #औरंगज़ेब #ईदी #कर्ज़ #नमाज़े
#हिन्दोस्तान #औरंगज़ेब #ईदी #कर्ज़ #नमाज़े
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 2 - शरण या कृपा? 'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्हा सुकुमार लाल चमत्कार क्या जाने। यवनों के
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