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वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। सप्त प्राणाः प्रभवन्ति तस्मात् सप्तार्चिषः समिधः सप्त होमाः। सप्त इमे लोका येषु चरन्ति प्राणा गुहाशया निहिताः सप्त सप्त ॥ 'उसी' से सप्त प्राणों का जन्म हुआ है, सप्त ज्वालाएँ, विभिन्न समिधाएँ सप्त होम तथा ये सन्त लोक जिनमें प्राण हृदय-गुहा को अपना बना कर विचरण करते हैं, 'उसी' से उत्पन्न हैं; सभी सात-सात के समूहों में हैं। The seven breaths are born from Him and the seven lights and kinds of fuel and the seven oblations and these seven worlds in which move the lifebreaths set within with the secret heart for their dwellingplace, seven and seven. ( मुंडकोपनिषद २.१.८ ) #मुण्डकोपनिषद #उपनिषद् #सप्त #यथा
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