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Best काफिर Shayari, Status, Quotes, Stories

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बेजुबान शायर shivkumar

#relaxation #nojotohindi मुझे तो हर #कदम पर उस #थकान का सामना करना था , मगर मुझे तो , ये #मंज़िल की #राह पर डटे रहने की #काफिर था । मेरे दिल में जो उतरा वो गम का परदा है मगर , मेरे चेहरे पर मायूसी के #बादलों को हटाते रहे वो #शायर था ।

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Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** हिज्र *** " मैं तुमसे मिलते हैं और बिछड़ जाते , अपने चाहतों का एहतियातन आता - पता तो दे , फिर तुझसे कैसे कहा मिला जाये , वाक़िफ हो लो जऱा तुम भी ऐसे में ,

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sunset nature *** ग़ज़ल *** 

*** हिज्र ***

" मैं तुमसे मिलते हैं और बिछड़ जाते ,
अपने चाहतों का एहतियातन आता - पता तो दे ,
फिर तुझसे कैसे कहा मिला जाये ,
वाक़िफ हो लो जऱा तुम भी ऐसे में ,
जाने कब से मुझसे नागवार बने बैठे हो ,
फिर कहा कैसे तेरी तलाश की जाये ,
उल्फत के जज्बातों को तेरी रुह की तलब की जाये ,
मुंतज़िर जाने मैं कब से हू तेरे हिज्र में ,
अपनी रफ़ाक़त का जायका तो दे ,
फिर कहा कोई बात हो ग़ैरइरादतन ,
मुख़्तसर - मुख्तलिफ जाने मैं कब से इस ऐबज में ,
कर कोई‌ फैसला फिर कोई बात तो हो ,
ऐसे में तुझसे काफिर कब तक रहा जाये . "

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 

*** हिज्र ***

" मैं तुमसे मिलते हैं और बिछड़ जाते ,
अपने चाहतों का एहतियातन आता - पता तो दे ,
फिर तुझसे कैसे कहा मिला जाये ,
वाक़िफ हो लो जऱा तुम भी ऐसे में ,

Pardeep writer (Best Shayari)

उसी को बाँध के फेंक आए...लोग दरिया में,

एक वही तो गाँव को...तैरना सिखाता था।

©Pardeep writer (Best Shayari) #दरिया #इश्क #परदा #नसीयत #कमबख्त #Julam #काफिर #जालिम #घूम #game

TAHIR CHAUHAN

Rabindra Kumar Ram

" उन ख्यालों की नुमाइश क्या करते, बात इतनी सी थी फिर‌ उस से फिर बात क्या करते , जहाँ मिले हम अजनबी वो भी थी गैर मैं भी ठहरा, हम काफिर थे वो मुसाफ़िर ठहरी ऐसे में कहा तक साथ चलते. " --- रबिन्द्र राम

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" उन ख्यालों की नुमाइश क्या करते, 
बात इतनी सी थी फिर‌ उस से फिर बात 
क्या करते , 
जहाँ मिले हम अजनबी वो भी थी गैर मैं भी ठहरा, 
हम काफिर थे वो मुसाफ़िर ठहरी ऐसे में कहा तक साथ चलते. "

                  --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " उन ख्यालों की नुमाइश क्या करते, 
बात इतनी सी थी फिर‌ उस से फिर बात 
क्या करते , 
जहाँ मिले हम अजनबी वो भी थी गैर मैं भी ठहरा, 
हम काफिर थे वो मुसाफ़िर ठहरी ऐसे में कहा तक साथ चलते. "

                  --- रबिन्द्र राम

Adv Sony Khan

Rabindra Kumar Ram

Pic : pexels.com " तमन्नाये इश्क काफिर ठहरा , हर दौर का मुसाफिर ठहरा , मिलती कहीं मुहब्बत तो ताबिर करते , हसरतों को आखिर लफ्ज़ में बयान करते . " रबिन्द्र राम

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" तमन्नाये इश्क काफिर ठहरा ,
हर दौर का मुसाफिर ठहरा ,
मिलती कहीं मुहब्बत तो ताबिर करते ,
हसरतों को आखिर लफ्ज़ में बयान करते . "

                       रबिन्द्र राम Pic : pexels.com

" तमन्नाये इश्क काफिर ठहरा ,
हर दौर का मुसाफिर ठहरा ,
मिलती कहीं मुहब्बत तो ताबिर करते ,
हसरतों को आखिर लफ्ज़ में बयान करते . "

                       रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

Pic : pexels.com " हम होंगे मोहताज तेरे इश्क के , कहीं जो तुझसे मुहब्बत कर बैठे , इस ख्याल का दबा कर तो ले , तेरे लिए हर ख्याल काफिर रखें हैं ." --- रबिन्द्र राम

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" हम होंगे मोहताज तेरे इश्क के ,
कहीं जो तुझसे मुहब्बत कर बैठे ,
इस ख्याल का दबा कर तो ले ,
तेरे लिए हर ख्याल काफिर रखें हैं ." 

                   --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com

" हम होंगे मोहताज तेरे इश्क के ,
कहीं जो तुझसे मुहब्बत कर बैठे ,
इस ख्याल का दबा कर तो ले ,
तेरे लिए हर ख्याल काफिर रखें हैं ." 

                   --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

" हसरतें कहीं काफिर ना हो जाये , तेरी जद में रहने दें मुझे अब , मुसाफ़िर हूं तेरे दर का आदततन , कही तुम से दुरियों का बेज़ारी ना हो जाये ." --- रबिन्द्र राम #हसरतें #काफिर #जद

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" हसरतें कहीं काफिर ना हो जाये ,
तेरी जद में रहने दें मुझे अब ,
मुसाफ़िर हूं तेरे दर का आदततन ,
कही तुम से दुरियों का बेज़ारी ना हो जाये ." 

                         --- रबिन्द्र राम— % & " हसरतें कहीं काफिर ना हो जाये ,
तेरी जद में रहने दें मुझे अब ,
मुसाफ़िर हूं तेरे दर का आदततन ,
कही तुम से दुरियों का बेज़ारी ना हो जाये ." 

                         --- रबिन्द्र राम 

#हसरतें #काफिर #जद

Rabindra Kumar Ram

" जिक्र हो की कोई बात काफिर होने भी दिजिये , मैं मुसाफ़िर हूं मुझे तेरा‌ साथी होने भी दिजिये , देखती निगाहें ठहर रही कहीं तेरी बाहों में , अब मुझे तेरे इश्क़े जुर्म का हिस्सा होने दें ." --- रबिन्द्र राम #जिक्र #काफिर #मुसाफ़िर #साथी

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" जिक्र हो की कोई बात काफिर होने भी दिजिये ,
मैं मुसाफ़िर हूं मुझे तेरा‌ साथी होने भी दिजिये ,
देखती निगाहें ठहर रही कहीं तेरी बाहों में ,
अब मुझे तेरे इश्क़े जुर्म का हिस्सा होने दें ."

                                --- रबिन्द्र राम " जिक्र हो की कोई बात काफिर होने भी दिजिये ,
मैं मुसाफ़िर हूं मुझे तेरा‌ साथी होने भी दिजिये ,
देखती निगाहें ठहर रही कहीं तेरी बाहों में ,
अब मुझे तेरे इश्क़े जुर्म का हिस्सा होने दें ."

                                --- रबिन्द्र राम 

#जिक्र #काफिर #मुसाफ़िर #साथी
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