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Niti Adhikari
आत्मा और मन का युद्ध हुआ आत्मा या मन किसकी सुने भगवान की सुने की अंतर्मन की सुने कहते है मन बुरे को भी साथ लेता है तो बिना मन के भी क्या कोई जीता है प्रश्न हजारों थे आत्मा के सामने त्याग करो मन का क्योंकि मन तो अभिशप्त है जो रोकता नही टोकता नही रोकने पे रोता है , टोकने पे गरजता है आत्मा का मिलन तो परमात्मा से होता है फिर ये परमात्मा मन क्यों देता है क्या बिना मन के भी कोई जीता है ? ©Niti Adhikari #मन और #आत्मानुभूति
Presha
माफ़ करना तुमपे हक जता बैठे जो कभी था नहीं हमारा उसे अपना बना बैठे जो सपने इन आंखों के थे ही नहीं उन सपनों को देख बैठे जो सिर्फ़ एक खूबसूरत ख़्वाब था उसको ज़िंदगी का सबसे बड़ा सच समझ बैठे माफ़ करना तुमपे हक जता बैठे। #secondquote #आत्मानुभूति #जीवन #सपने #प्यार #yqdidi
#secondquote #आत्मानुभूति #जीवन #सपने #प्यार #yqdidi
read moreVandana
क्या सीधा सरल पन उसको कोई समझ पाता क्या शातिर दिमाग उसमें भी शक करते हैं विभिन्न प्रकार के व्यक्तित्व हैं इस संसार में कोई सीधा सरल अबोध भोला भाला हो जाता है कोई तेज दिमाग शातिर हो जाता है पर बात यह है कि कौन बेहतर तरीके से जीवन जी पाता है मेरे सोचने से तो जो सीधा-साधा जिसके हृदय में भावनाएं पवित्र बह रही हो क्योंकि बुद्धि के कुशाग्र होते ही भावनाएं रस खो देती हैं
विभिन्न प्रकार के व्यक्तित्व हैं इस संसार में कोई सीधा सरल अबोध भोला भाला हो जाता है कोई तेज दिमाग शातिर हो जाता है पर बात यह है कि कौन बेहतर तरीके से जीवन जी पाता है मेरे सोचने से तो जो सीधा-साधा जिसके हृदय में भावनाएं पवित्र बह रही हो क्योंकि बुद्धि के कुशाग्र होते ही भावनाएं रस खो देती हैं #आत्मानुभूति
read moreVandana
सुप्रभात,, ऐ सुबह तू मेरी सांसो में महक रही है,,, ऐ सुबह तू मुझ में चहक रही है,,, ऐ सुबह तू मुझे आंखों से आकर्षित कर रही है,,,, बादलों से भरे आसमां में अठखेलियां करती पुरवाई,, लुक्का चुप्पी करती सूरज की परछाई,,,,, हवा के झोंके देह छूके उड़ाते हवा में केशों को
ऐ सुबह तू मेरी सांसो में महक रही है,,, ऐ सुबह तू मुझ में चहक रही है,,, ऐ सुबह तू मुझे आंखों से आकर्षित कर रही है,,,, बादलों से भरे आसमां में अठखेलियां करती पुरवाई,, लुक्का चुप्पी करती सूरज की परछाई,,,,, हवा के झोंके देह छूके उड़ाते हवा में केशों को #सुप्रभात #आत्मानुभूति #खूबसूरत_एहसास #खूबसूरत_सफ़र
read moreVandana
आज फिर वही दर्द भरी दास्तान शुरू हुई जो कभी दफ़न हो गई थी वक्त के पन्नों में,,, आज हम उसी मोड़ पर आ खड़े हुए जिस मोड़ से रस्ता भूले थे,,, काश वही दिन लौट आते जब हम चंद बातों को बेफिक्री के आलम में भूल जाया करते थे,,, ज्यादा ज्ञान चंद्र बन कर भी हम कौन से कुछ उखाड़ पाए,,, नासमझी का दौर ही बेहतर था, लड़कपन की छोटी-छोटी ख्वाहिशें जीवन में उत्साह भर देती थी,,,,,, 'अजब पहेली है जिंदगी,,,,, सुलझा दो तो और उलझ जाती हैं,,,,, #अरमान_ऐ_दिल #कारवाँबनतागया #सपनोंकेरंग
'अजब पहेली है जिंदगी,,,,, सुलझा दो तो और उलझ जाती हैं,,,,, #अरमान_ऐ_दिल #कारवाँबनतागया #सपनोंकेरंग #आत्मानुभूति #फुलोंकाखिलना
read moreविष्णुप्रिया
देह खंडित है, नश्वर भी है परंतु आत्मा... अखंड, अविनाशी... अद्भुत ही समावेश है खंडित के भीतर अखंडता का मानो हिरण्यमयी आभा को स्वर्णपात्र से ढाँका गया है.... आत्मदीपः भवः...🔔 #cinemagraph #yqbaba #yqdidi #आत्मा #आत्मानुभूति #spirituality #हिन्दी_कोट्स
Vivek Gangwal
इस संसार में,हर दौड़ तुम्हें खुद से दूर कर देगी ओर लौटना तो अंत में तुम्हे "खुद" की और ही है। सुप्रभात। जीवन से बचने की हर कोशिश नाकाम जाएगी। उसका हर रास्ता अंततः उसकी तरफ़ ही आता है। #जाओगेकहाँ #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with #vivek_ki_anubhuti #twoliner #selfrealization #soul #आत्मानुभूति YourQuote Didi
सुप्रभात। जीवन से बचने की हर कोशिश नाकाम जाएगी। उसका हर रास्ता अंततः उसकी तरफ़ ही आता है। #जाओगेकहाँ #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with #vivek_ki_anubhuti #twoliner #selfrealization #Soul #आत्मानुभूति YourQuote Didi
read moreAnupam Mishra
आत्मानुभूति 1 जन्म लिया बेटी ने जबकि चाहिए होता है सबको बेटा, बेटी तो पराई होती है, वंश चलाता है परिवार का बेटा; बेटी का बढ़ा थोड़ा मान, उसके बाद जब पैदा हुआ बेटा, बेटी रही इस बात से हमेशा परेशान कि वो क्यूं न हुई बेटा; नन्ही उस बेटी को कोई भी छोटा मालिक नहीं कहता, जबकि नवजात उस बेटे को हर कोई घर का मालिक मानता; हां, मैं भी वैसी ही एक बेटी हूं, उन्हीं कुछ प्रश्नों में उलझी रही हूं, कभी तो बेटा कहलाने की होड़ में लगती, तो कभी खुद को ढूंढती; साधारण से परिवार की एक साधारण सी क्रांतिकारी बेटी हूं, जीवन के हर मोड़ पर स्वयं ही सवाल जवाब करके बड़ी हुई हूं; कई सवालों के जवाब नहीं मिले, कई दिल में दफन होकर रह गए, सवालों के चक्रव्यूह में फंस कई दफा कृष्ण की तलाश में रही हूं; शिक्षा का मतलब समझ नहीं आया कभी मुझे, क्या सीखते कुछ हैं और असल दैनिक जीवन में करते उपयोग कुछ और ही है? उस सीख का मतलब क्या, जो सिर्फ किताबों तक ही सीमित है, उस वैयाकरण के असीमित ज्ञान का क्या, जो उसे उपयोग में लाता नहीं; नशा करने वाले यदि सीखाए कि नशा करना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं, कौन करेगा ऐसी दोहरी नीति वाले शिक्षा पर यूं आंख मूंदकर यकीन; बालपन और यौवन के बीच का वो कुछ पल का किशोरी जीवन, जिसमे ना जाने एक साथ ही कौंध उठे जेहन में कितने ही प्रश्न, जिनका उत्तर किससे मांगू यही निश्चित न कर पाया नादान मन, और उसमे गलती कर बैठी कोई मैं भी ऐसी जिसे मानते सब पतन; अब था एक विकल्प, या तो दूसरों को दवा लिखने की औकात बनाऊं, या फिर बांध दी जाएगी डोर उससे जो भी मिलेगा कोई सज्जन; एक ज़िन्दगी का हुआ इस बिंदु पर समापन, दूसरा हुआ आरम्भ, जिस मैं को ढूंढ़ती रही थी खुद में कभी कभी, अब सब बंद; अब तो सिर्फ और सिर्फ चलना था वैसे जैसे ले चले जीवन, न तो कोई शिकायत थी किसी से और न ही था सपनों का उपवन; कई दफा घबराई, दिल के दर्द से बेचैन होकर खुलकर रोई चिल्लाई, पर अंत में फिर वक्त की हथेली पकड़ बेजान सी आगे बढ़ते गई। ©अनुपम मिश्र #आत्मानुभूति #LightsInHand
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