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VED PRAKASH 73
चीजों में कुछ चीजें बातों में कुछ बातें वो होंगी जिन्हें कभी भूल नहीं पाओगे इक्कीसवीं सदी में ढूँढ़ते रह जाओगे बच्चों में बचपन जवानों में यौवन शीशों में दर्पण जीवन में सावन गांव में अखाड़ा शहर में सिंघाड़ा टेबल की जगह पहाड़ा और पाजामे में नाड़ा ढूँढ़ते रह जाओगे... -अरुण जैमिनी ©VED PRAKASH 73 #उस्तरा
VED PRAKASH 73
White खिल-खिल खिल-खिल हो रही श्रीयमुना के कूल अलि अवगुंठन खिल गए कली बन गई फूल हास्य की अद्भुत माया रंजोगम हो ध्वस्त मस्त हो जाती काया संगृहीत कवि मीत मंच पर जब-जब गांएँ हाथ मिलाने स्वयं दूरदर्शन जी आएं... -काका हाथरसी ©VED PRAKASH 73 #उस्तरा
VED PRAKASH 73
White ईर्ष्या करने लग गए क्लीन शेवैड इंसान फिल्म जगत में बढ़ गया दाढ़ी का सम्मान, दाढ़ी का सम्मान देख दाढ़ी को डरती वही तारिका आज मोहब्बत इससे करती राजश्री ने काका कवि की लज्जा रख ली अमेरिकन दाढ़ी वाले से शादी कर ली... -काका हाथरसी ©VED PRAKASH 73 #उस्तरा
VED PRAKASH 73
White सांप दो-दो जीभें होने पर भी भाषण नहीं देते? आदमी न होकर भी पेट के बल चलते हो यार हम तुम्हारी फुंफकार से नहीं डरते सांप ही तो हो भारत के रहनुमा तो नहीं हो... -गोपाल प्रसाद व्यास ©VED PRAKASH 73 #उस्तरा
VED PRAKASH 73
White कभी घूस खाई नहीं किया न भष्टाचार ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार! बार-बार धिक्कार व्यर्थ है वह व्यापारी माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी कहं काका क्या नाम पाएगा ऐसा बंदा जिसने किसी संस्था का न पचाया चंदा... -काका हाथरसी ©VED PRAKASH 73 #उस्तरा
VED PRAKASH 73
कर्जा देता मूर्ख को वह मूर्ख कहलाए महामूर्ख वह यार है जो पैसा लौटाए बिना जुर्म के पिटेगा समझाया था तोय पंगा लेकर पुलिस से साबित बचा न कोय गुरू पुलिस दोऊ खड़े काके लागूं पाय तभी पुलिस ने गुरु के पांव दिए तुड़वाय पूर्ण सफलता के लिए दो चीजें रखो याद मंत्री की चमचागिरी पुलिस का आशीर्वाद... -हुल्लड़ मुरादाबादी ©VED PRAKASH 73 #उस्तरा
VED PRAKASH 73
भोंदूमल बेकार थे हुआ पिलपिला हाल फाके होने लगे तब पहुंच गए ससुराल बीस दिन करो चराई पांच किलो बढ़ गया वजन आई चिकनाई घर आए तो देखा छह मेहमान डट रहे उनके दर्शन करते ही छह किलो घट गए... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #उस्तरा
VED PRAKASH 73
बुढ़ापे में जो हो जाए उसे प्यार कहते हैं जवानी की मुहब्बत को फकत व्यापार कहते हैं जो सस्ती है मिले हर ओर उसका नाम महंगाई न महंगाई मिटा पाए उसे सरकार कहते हैं जो पहुंचे बाद चिट्ठी के उसे हम तार कहते हैं जो मारे डाक्टर को हम उसे बीमार कहते हैं जो धक्का खाकर चलती है उसे हम कार मानेंगे न धक्के से भी जो चलती उसे सरकार कहते हैं... -गोपाल प्रसाद व्यास ©VED PRAKASH 73 #उस्तरा