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Best मोदक Shayari, Status, Quotes, Stories

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Dr Manju Juneja

गणेश चतुर्थी की आप सब को हार्दिक शुभकामनाएं 🌷🙏🏼🙏🏼🌷 #ganesha #गणपति #विध्नहर्ता #पान #फूल #मोदक #चरणों #गौरी #शंकर #मनाते

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हे गणपत गणेश तोहे हम गा- गा रिझाते हैं
पान, फल,मोदक का हम भोग लगाते हैं
मात गौरीऔर शंकर के तुम सूत हो 
चरणों मे फल पुष्प हम चढ़ाते है 
विध्न हर्ता मंगल कर्ता हर घर मे पूजे जाते हो 
 हर साल भादो के महीने में उत्सव आपका मनाते हैं रिद्धि सिद्धि को प्रदान करने वाले हो तुम 
मंगल गान हम सब मिलकर तुम्हारा गाते हैं गणेश चतुर्थी की आप सब को हार्दिक शुभकामनाएं 🌷🙏🏼🙏🏼🌷

#ganesha #गणपति #विध्नहर्ता #पान #फूल #मोदक #चरणों #गौरी #शंकर #मनाते

Ramji Pathak

मूषक है जिनकी सवारी, छवि है जिनकी प्यारी
हे गजानन स्वागत है
रिद्धि सिद्धि के दाता हमारे भाग्यविधाता
हे मंगल मूर्ति स्वागत है
शुभ कार्य के प्रारम्भकर्ता,बच्चा-बच्चा जिनकी जय जयकार करता
हे गणपति स्वागत है
जो सब को सुख प्रदान करता मोदक पसंद करता
हे मोदक प्रिय सुखकर्ता स्वागत है
माता पिता की भक्ति की प्रेणा देता 
हे मातृ-पितृ भक्त स्वागत है
हर विघ्न को हर्ता सारे काम को सम्पन्न करता
हे विघ्नहर्ता स्वागत है #गणेशा #जय #भक्ति #happyganeshchaturthi#nojothindi#poetry

Shikha Verma

#ganeshchathurthi 🙏🙏😊😊

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गजानन जी अब आन पधारे
हुए दुख सब दूर हमारे
मोदक लड्डू का भोग चढाये
गजानन जी को आज मनाये

गजानन जी सुनो विनती हमारी
पूरी करो हर आस हमारी
मोदक लड्डू का भोग चढाये
गजानन जी को आज मनाये #GaneshChathurthi 🙏🙏😊😊

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 53 - श्याम भी असमर्थ आज फिर भद्र रूठ गया है। कन्हाई इसकी सुनता नहीं - इतना विलम्ब हो गया, इसके अरूण कोमल अधर सूखने लगे, उदर नीचा हो गया, यह क्षुधातुर है और भद्र की बात ही नहीं सूनता। ऐसा खेल में लगा है कि इसे अपने श्रान्त होने, क्षुधातुर होने का ध्यान नहीं। भद्र कहता है - 'अब चल, सब भोजन करें।' 'तू भूखा है? तुझे अभी से क्षुधा लगी है?' श्याम उलटे ही पूछता है - 'तू छीका नहीं लाया तो सुबल का छीका खा ले।' यह भी कोई बात हुई। भद्र अपनी क्षुधा के कारण कन्हाई को क्रीड़ा-विरमित होने को क

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।।श्री हरिः।।
53 - श्याम भी असमर्थ

आज फिर भद्र रूठ गया है। कन्हाई इसकी सुनता नहीं - इतना विलम्ब हो गया, इसके अरूण कोमल अधर सूखने लगे, उदर नीचा हो गया, यह क्षुधातुर है और भद्र की बात ही नहीं सूनता। ऐसा खेल में लगा है कि इसे अपने श्रान्त होने, क्षुधातुर होने का ध्यान नहीं। भद्र कहता है - 'अब चल, सब भोजन करें।'

'तू भूखा है? तुझे अभी से क्षुधा लगी है?' श्याम उलटे ही पूछता है - 'तू छीका नहीं लाया तो सुबल का छीका खा ले।'

यह भी कोई बात हुई। भद्र अपनी क्षुधा के कारण कन्हाई को क्रीड़ा-विरमित होने को क

Parul Sharma

#Ganesh प्रथम #अभिनन्दन आपको, #गणपति #अरज सुनलो। #निमंत्रण करलो स्वीकार, प्रभु मेरे घर चलो ॥ #पुष्प, #मोदक, #भोजन, #भजन, हो स्वीकार सेवा । है अनभिज्ञ #स्तुति पूजन, #अज्ञ करो क्षम्य मेरा ॥ #गणपति, #विनायक, #गणेश, #गौरीनंदन, विघ्नेश ।

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प्रथम अभिनन्दन आपको, गणपति अरज सुनलो।
निमंत्रण करलो स्वीकार, प्रभु मेरे घर चलो ॥

पुष्प, मोदक, भोजन, भजन,हो स्वीकार सेवा ।
है अनभिज्ञ स्तुति पूजन, अज्ञ करो क्षम्य मेरा ॥

गणपति, विनायक, गणेश, गौरीनंदन,विघ्नेश ।
अद्योपांत, जीवन-मरन, मन में करो निवेश ॥

मैं शरणागत तोहरा, मुझे अनुग्रहीत करो ।
विवेक, ज्ञान, ऋद्धि-सिध्दि ,सुसुप्त मन में भरदो ॥ 
पारुल शर्मा #gif #Ganesh
प्रथम #अभिनन्दन आपको, #गणपति #अरज सुनलो।
#निमंत्रण करलो स्वीकार, प्रभु मेरे घर चलो ॥

#पुष्प, #मोदक, #भोजन, #भजन, हो स्वीकार सेवा ।
है अनभिज्ञ #स्तुति पूजन, #अज्ञ करो क्षम्य मेरा ॥

#गणपति, #विनायक, #गणेश, #गौरीनंदन, विघ्नेश ।

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 45 - खायेगा? 'खायेगा!' कन्हाई के हाथ में मोदक है। केशर-पीत, खूब बड़ा-सा मोदक! बूंदी का बना ऐसा मोदक जिसे देखकर ही क्षुधा जाग जाय और फिर श्याम के हाथ का मोदक प्राप्त करने को तो स्वर्ग के देवता भी क्षुधातुर हो जायेंगे। मधुमंगल का तो सबसे प्रिय आहार है मोदक। सखाओं ने भरपूर शृंगार किया है ब्रजराज-कुमार का। अलकों से लेकर चरणों तक पुष्प-गुच्छ, गुञ्जा, किसलय, पिच्छ आदि से इसे सजाया है। इसके सम्पूर्ण शरीर को गैरिक, रामरज, खड़िया आदि से ऐसा चित्रित किया है कि यह चित्र-मन्दिर ही बन गया है।

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।।श्री हरिः।।
45 - खायेगा?

'खायेगा!' कन्हाई के हाथ में मोदक है। केशर-पीत, खूब बड़ा-सा मोदक! बूंदी का बना ऐसा मोदक जिसे देखकर ही क्षुधा जाग जाय और फिर श्याम के हाथ का मोदक प्राप्त करने को तो स्वर्ग के देवता भी क्षुधातुर हो जायेंगे। मधुमंगल का तो सबसे प्रिय आहार है मोदक।

सखाओं ने भरपूर शृंगार किया है ब्रजराज-कुमार का। अलकों से लेकर चरणों तक पुष्प-गुच्छ, गुञ्जा, किसलय, पिच्छ आदि से इसे सजाया है। इसके सम्पूर्ण शरीर को गैरिक, रामरज, खड़िया आदि से ऐसा चित्रित किया है कि यह चित्र-मन्दिर ही बन गया है।

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 32 - क्या किया जाय? सबका उपाय है, किन्तु इस कन्हाई का कोई उपाय नहीं। यह कब क्या करने लगेगा, कब क्या मान बेठेगा, कुछ ठिकाना नहीं है। अब इसका भी कोई उत्तर है कि यह किसी को कहने लगे - 'तू थक गया है,' अथवा किसी के साथ उलझ जाय - 'तूझे भूख लगी है।' कोई कितना भी कहे कि वह थका नहीं है या भूखा नहीं है, किन्तु यह श्याम किसी की सुनता भी है। इसे तो जो धुन चढ गयी बस चढ गयी। फिर यह अपनी करके ही मानने वाला है। सुकुमार कन्हाई शीघ्र थक जाता है। कितने नन्हे कोमल चरण हैं इसके और दौड़ता फुदकता फिरता

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।।श्री हरिः।।
32 - क्या किया जाय?

सबका उपाय है, किन्तु इस कन्हाई का कोई उपाय नहीं। यह कब क्या करने लगेगा, कब क्या मान बेठेगा, कुछ ठिकाना नहीं है। अब इसका भी कोई उत्तर है कि यह किसी को कहने लगे - 'तू थक गया है,' अथवा किसी के
साथ उलझ जाय - 'तूझे भूख लगी है।' कोई कितना भी कहे कि वह थका नहीं है या भूखा नहीं है, किन्तु यह श्याम किसी की सुनता भी है। इसे तो जो धुन चढ गयी बस चढ गयी। फिर यह अपनी करके ही मानने वाला है।

सुकुमार कन्हाई शीघ्र थक जाता है। कितने नन्हे कोमल चरण हैं इसके और दौड़ता फुदकता फिरता

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 27 - उपहार 'मेरी मुट्ठी में क्या है?' कन्हाई बहुत प्रसन्न है। दौड़ा-दौड़ा आया है और दाहिने हाथ की मुट्ठी बन्द किये भद्र के सम्मुख मटकता पूछ रहा है। 'हाऊ!' मधुमंगल ने समीप आकर कह दिया। 'उसे तू खा लेना।' श्यामसुन्दर हंसकर बोला। जब यह खुलकर हंसता है, कपोलो में नन्हे गड्ढे पड जाते हैं। कुन्दकली के समान उज्जवल, सटी पतले दातों की पंक्तियां चमक उठती हैं और पतले-कोमल अरुण अधर मानो दूध क धार से स्निग्ध हो जाते हैं।

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|| श्री हरि: || 
27 - उपहार

'मेरी मुट्ठी में क्या है?' कन्हाई बहुत प्रसन्न है। दौड़ा-दौड़ा आया है और दाहिने हाथ की मुट्ठी बन्द किये भद्र के सम्मुख मटकता पूछ रहा है।

'हाऊ!' मधुमंगल ने समीप आकर कह दिया।

'उसे तू खा लेना।' श्यामसुन्दर हंसकर बोला। जब यह खुलकर हंसता है, कपोलो में नन्हे गड्ढे पड जाते हैं। कुन्दकली के समान उज्जवल, सटी पतले दातों की पंक्तियां चमक उठती हैं और पतले-कोमल अरुण अधर मानो दूध क धार से स्निग्ध हो जाते हैं।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 23 - भूख लगी है 'दादा, मुझे भूख लगी है।' कन्हाई आकर दाऊ के वाम पार्श्व में बैठ गया है। दोनों भुजाएं अग्रज के कंधे पर सिर रख दिया है इसने। 'तब तु आम खा ले।' दाऊ ने छोटे भाई की अलकों पर स्नेहपूर्वक अपना दाहिना हाथ घुमाया। 'नहीं, आम की भूख नहीं लगी है।' कृष्ण का उदर अद्भुत है। नन्दनन्दन की क्षुधा ऐसी नहीं है कि यह चाहे जिस पदार्थ से बुझ जाय। इसे भूख भी कभी फल की लगती है, कभी दही या नवनीत की लगती है और कभी माखन-रोटी की लगा करती है।

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|| श्री हरि: || 
23 - भूख लगी है
'दादा, मुझे भूख लगी है।' कन्हाई आकर दाऊ के वाम पार्श्व में बैठ गया है। दोनों भुजाएं अग्रज के कंधे पर सिर  रख दिया है इसने।

'तब तु आम खा ले।' दाऊ ने छोटे भाई की अलकों पर स्नेहपूर्वक अपना दाहिना हाथ घुमाया।

'नहीं, आम की भूख नहीं लगी है।' कृष्ण का उदर अद्भुत है। नन्दनन्दन की क्षुधा ऐसी नहीं है कि यह चाहे जिस पदार्थ से बुझ जाय। इसे भूख भी कभी फल की लगती है, कभी दही या नवनीत की लगती है और कभी माखन-रोटी की लगा करती है।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 20 - क्रीड़ा 'दादा! तू बैठ। हम तुझे देवता बनायेंगे।' दाऊ दादा ही इस प्रकार स्थिर बैठ सकता है। यह तो बना बनाया देवता है। लेकिन कन्हाई को और दूसरे भी सखाओं तो क्रीडा करनी है। दिन का प्रथम प्रहर है। यमुना-पुलिन की कोमल रेणुका का स्पर्श शरीर को शीतल, सुखद लगता है इस वसन्त ऋतु में। आज बालक गोचारण करने आये तो प्रारम्भ में ही पुष्प, गुज्जादि संग्रह में नहीं लगे। सब आ गये पुलिनपर। बछड़े-बछड़ियां समीप हरित तृण चरने में लग गयीं। अभी पुलिनपर समीप के वृक्षों की छाया है। शीतल पुलिन-रेणुका

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|| श्री हरि: || 
20 - क्रीड़ा

'दादा! तू बैठ। हम तुझे देवता बनायेंगे।' दाऊ दादा ही इस प्रकार स्थिर बैठ सकता है। यह तो बना बनाया देवता है। लेकिन कन्हाई को और दूसरे भी सखाओं तो क्रीडा करनी है।

दिन का प्रथम प्रहर है। यमुना-पुलिन की कोमल रेणुका का स्पर्श शरीर को शीतल, सुखद लगता है इस वसन्त ऋतु में। आज बालक गोचारण करने आये तो प्रारम्भ में ही पुष्प, गुज्जादि संग्रह में नहीं लगे। सब आ गये पुलिनपर। बछड़े-बछड़ियां समीप हरित तृण चरने में लग गयीं। अभी पुलिनपर समीप के वृक्षों की छाया है। शीतल पुलिन-रेणुका
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