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Ramkishor Azad

Rakesh frnds4ever

*भारत में #गाँव है, #गली है, चौबारा है.* #इंडिया में सिटी है, मॉल है, पंचतारा है. *भारत में घर है, #चबूतरा है, दालान है.* इंडिया में #फ्लैट और मकान है.

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*भारत में गाँव है, गली है, चौबारा है.* 
इंडिया में सिटी है, मॉल है, पंचतारा है.

*भारत में घर है, चबूतरा है, दालान है.* 
इंडिया में फ्लैट और मकान है.

*भारत में काका है, बाबा है, दादा है, दादी है.*
इंडिया में अंकल आंटी की आबादी है.

*भारत में खजूर है, जामुन है, आम है.*
इंडिया में मैगी, पिज्जा, माजा का नकली आम है.

*भारत में मटके है, दोने है, पत्तल है.*
इंडिया में पोलिथीन, वाटर व वाईन की बॉटल है.

*भारत में गाय है, गोबर है, कंडे है.*
इंडिया में सेहतनाशी चिकन बिरयानी अंडे है.

*भारत में दूध है, दही है, लस्सी है.*
इंडिया में खतरनाक व्हिस्की, कोक, पेप्सी है.

*भारत में रसोई है, आँगन है, तुलसी है.*
इंडिया में रूम है, कमोड की कुर्सी है.

*भारत में कथड़ी है, खटिया है, खर्राटे हैं.*
इंडिया में बेड है, डनलप है और करवटें है.

*भारत में मंदिर है, मंडप है, पंडाल है.*
इंडिया में पब है, डिस्को है, हॉल है.

*भारत में गीत-संगीत व शास्त्रीय आलाप है.*
इंडिया में डान्स है, कानफाडू पॉप है.

*भारत में बुआ है, मौसी है, बहन है.*
इंडिया में सब के सब कजन है.

*भारत में पीपल है, बरगद है, नीम है.*
इंडिया में वाल पर पूरे सीन है.

*भारत में आदर है, प्रेम है, सत्कार है.*
इंडिया में स्वार्थ, नफरत है, दुत्कार है.

*भारत में हजारों भाषा हैं, बोली है.*
इंडिया में एक अंग्रेजी ही बड़बोली है.

*भारत सीधा है, सहज है, सरल है.*
इंडिया धूर्त है, चालाक है, कुटिल है.

*भारत में संतोष है, सुख है, चैन है.*
इंडिया बदहवास, दुखी, बेचैन है.

क्योंकि … 
*भारत को देवों ने, वीरों ने रचाया है.*
इंडिया को लालची, अंग्रेजों ने बसाया है.
*इसलिए इंडिया नहीं भारत बोलो*
      जय   भारत

©Rakesh frnds4ever *भारत में #गाँव है, 
#गली है, चौबारा है.* 
#इंडिया में सिटी है, 
मॉल है, पंचतारा है.

*भारत में घर है, #चबूतरा है, दालान है.* 
इंडिया में #फ्लैट और मकान है.

tanya@ sengar

#OneSeason

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सेल्फी खींचते हुए अपना चेहरा दिखता है..
एक झूंटी हंसी..😏
और दिखती है 
#फेसबुक, #इंस्टाग्राम पे आने वाले लाइक की झलक..
थोड़ा सा एडिट करते करते ख्याल आता है❗

वो लड़का कहाँ गया..
जो था #बिंदास सा..
मस्त सा..
इस सब दुनियादारी से अलग..अपनी ही धुन में रमा रहने वाला..जो न पड़ता था कम कॉलेज के #क्रिकेट में..
और न मोहल्ले के खाली प्लाट में खेले जाने वाले #बैडमिंटन में..❗

कहाँ गया वो लड़का..
जो गाजर, मटर, #मूंगफली कुछ भी मिल जाए..
उसे खाते हुए बात करता था मुस्कुराते हुए..
ये कौन है जो #पिज्जा खाने से पहले उसकी फोटो खींचता है..
और अर्ध विछिप्त सा दिखता है एक्टिंग करते हुए कि सब ठीक है..❗

इस जगह से रास्ते भी कितने जाते हैं आखिर..
पीछे लौट नहीं सकते..
आखिर कैसे इस #ऑर्बिट से दूसरी ऑर्बिट में जम्प मारें..
इतना सोच के ही सर भारी सा लगने लगता है..
और फिर अपने आप को #जस्टिफाई करते हुए..
खींच लेते हैं एक और #सेल्फी..
लाइट की तरफ मुंह करके..
#लाइक भले ही ११६ आ जाएँ..
पर हम अंदर ही अंदर जानते हैं..
कि अब #फेसवाश भी चेहरे पे कोई असर नहीं करता...❗F

©tanya@ sengar #OneSeason

anaya

#paper

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#अगर मेरी #पोस्ट में👌👌👌👌👌
           #किसी प्रकार की #कमी लगे👍👍👍👍

 तो आप #मुझे अच्छे से #रेस्टोरेंट में 
                      बुलाइयेगा😛 🙈🙈🙈🙈

#वहां #पिज्जा #खाकर 🙈😎😎😎
                        #चाय☕ पर #चर्चा कर लेंगे

©anaya #paper

Gokul Tapadiya

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पत्नी ने कहा - आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना…   पति- क्यों??

उसने कहा..- अपनी काम वाली बाई दो दिन नहीं आएगी….   पति- क्यों??

पत्नी- गणपति के लिए अपने नाती से मिलने बेटी के यहाँ जा रही है, बोली थी…

पति- ठीक है, अधिक कपड़े नहीं निकालता…

पत्नी- और हाँ!!! गणपति के लिए पाँच सौ रूपए दे दूँ उसे? त्यौहार का बोनस..

पति- क्यों? अभी दिवाली आ ही रही है, तब दे देंगे…

पत्नी- अरे नहीं बाबा!! गरीब है बेचारी, बेटी-नाती के यहाँ जा रही है, तो उसे भी अच्छा लगेगा… 
और इस महँगाई के दौर में उसकी पगार से त्यौहार कैसे मनाएगी बेचारी!!

पति- तुम भी ना… जरूरत से ज्यादा ही भावुक हो जाती हो…

पत्नी- अरे नहीं… चिंता मत करो… मैं आज का पिज्जा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूँ…
 खामख्वाहपाँच सौ रूपए उड़ जाएँगे, बासी पाव के उन आठ टुकड़ों के पीछे…

पति- वा, वा… क्या कहने!! हमारे मुँह से पिज्जा छीनकर बाई की थाली में??
तीन दिन बाद… पोंछा लगाती हुई कामवाली बाई से पति ने पूछा...

पति- क्या बाई?, कैसी रही छुट्टी?

बाई- बहुत बढ़िया हुई साहब… दीदी ने पाँच सौ रूपए दिए थे ना.. त्यौहार का बोनस..

पति- तो जा आई बेटी के यहाँ…मिल ली अपने नाती से…?

बाई- हाँ साब… मजा आया, दो दिन में 500 रूपए खर्च कर दिए…

पति- अच्छा!! मतलब क्या किया 500 रूपए का??

बाई- नाती के लिए 150 रूपए का शर्ट, 40 रूपए की गुड़िया, बेटी को 50 रूपए के पेढे लिए, 
50 रूपए के पेढे मंदिर में प्रसाद चढ़ाया, 60 रूपए किराए के लग गए.. 25 रूपए की चूड़ियाँ बेटी के लिए और 
जमाई के लिए 50 रूपए का बेल्ट लिया अच्छा सा… बचे हुए 75 रूपए नाती को दे दिए कॉपी-पेन्सिल खरीदने के लिए… 
झाड़ू-पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी ज़बान पर रटा हुआ था…

पति- 500 रूपए में इतना कुछ???

वह आश्चर्य से मन ही मन विचार करने लगा...उसकी आँखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ बड़ा सा पिज्ज़ा घूमने लगा, एक-एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा… अपने एक पिज्जा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्यौहारी खर्च से करने लगा… पहला टुकड़ा बच्चे की ड्रेस का, दूसरा टुकड़ा पेढे का, तीसरा टुकड़ा मंदिर का प्रसाद, चौथा किराए का, पाँचवाँ गुड़िया का, छठवां टुकड़ा चूडियों का, सातवाँ जमाई के बेल्ट का और आठवाँ टुकड़ा बच्चे की कॉपी-पेन्सिल का..आज तक उसने हमेशा पिज्जा की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलटाकर नहीं देखा था कि पिज्जा पीछे से कैसा दिखता है… लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज्जा की दूसरी बाजू दिखा दी थी… पिज्जा के आठ टुकड़े उसे जीवन का अर्थ समझा गए थे… 
“जीवन के लिए खर्च” या “खर्च के लिए  जीवन” का नवीन अर्थ एक झटके में उसे समझ आ गया…💐👏

Ajay Amitabh Suman

हिप हिप हुर्रे पिछले एक घंटे से उसके हाथ मोबाइल पर जमे हुए थे। पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगा। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। आखिकार लेबल 30 पार कर हीं लिया। डेढ़ घंटे की जद्दोजहद के बाद उसने पबजी गेम का 30 वां लेबल पार कर लिया था। उसी जीत का जश्न मना रहा था। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। कड़ी मेहनत के बाद फ्लैट की बॉलकोनी में जाकर आती जाती कारों को निहारने लगा। एक कार, फिर दूसरी, फिर तीसरी, फिर चौथी::::::::::::::::::।कबूतर की तरह अपने फ्लैट नुमा घोसले से बाहर आकर आसमान में उड़ते हुए कभी कबूतरों को देखता, कभी लम्बी लम्बी अट्टालिकाओं के बीच आँख मिचौली करते सूरज को । चेहरे पे जीत की खुमारी छाई हुई थी। सीने में अहम की दहकती हुई ज्वाला प्रज्वलित थी , पर अहम का प्रक्षेपण गौण। किसपे करे अपने मान का अभिमान? खुद हीं खेल, खुद हीं खिलाड़ी, खुद हीं दर्शक, खुद हीं शिकारी। अलबत्ता जीत का सेलिब्रेशन डिजिटल हो गया था। व्हाट्सएप्प, फेसबुक और इंस्टाग्राम पे अपनी जीत का स्टेटस अपडेट कर फ्रिज से कोक और पिज्जा निकाली और खाने लगा। व्हाट्सएप्प, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उसके दोस्तों के कंमेंट और डिजिटल मिठाइयाँ आने लगीं। वो भी उनका जवाब डिजिटल इमोजी से देने लगा। थोड़ी देर में दरवाजे की घंटी बजी। वो जाकर दरवाजा खोला। सामने मैथ के टीचर थे। वो झुँझला उठा। शीट मैन, सर को भी अभी आना था ।झुंझलाते हुए 10 किलो का स्कूल बैग लेकर स्टडी रूम में मैथ के टीचर के साथ चल पड़ा।

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हिप हिप हुर्रे
पिछले एक घंटे से उसके हाथ मोबाइल पर जमे हुए थे। पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगा। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। आखिकार लेबल 30 पार कर हीं लिया।  डेढ़ घंटे की जद्दोजहद के बाद उसने पबजी गेम का 30 वां लेबल पार कर लिया था। उसी जीत का जश्न मना रहा था। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे।
 
कड़ी मेहनत के बाद फ्लैट की बॉलकोनी में जाकर आती जाती कारों को निहारने लगा। एक कार, फिर दूसरी, फिर तीसरी, फिर चौथी::::::::::::::::::।कबूतर की तरह अपने फ्लैट नुमा घोसले से बाहर आकर आसमान में उड़ते हुए कभी कबूतरों को देखता, कभी लम्बी लम्बी अट्टालिकाओं के बीच आँख मिचौली करते सूरज को । चेहरे पे जीत की खुमारी छाई हुई थी। सीने में अहम की दहकती हुई ज्वाला प्रज्वलित थी , पर अहम का प्रक्षेपण गौण। किसपे करे अपने मान का अभिमान? खुद हीं खेल, खुद हीं खिलाड़ी, खुद हीं दर्शक, खुद हीं शिकारी। अलबत्ता जीत का सेलिब्रेशन डिजिटल हो गया था। व्हाट्सएप्प, फेसबुक और इंस्टाग्राम पे अपनी जीत का स्टेटस अपडेट कर फ्रिज से कोक और पिज्जा निकाली और खाने लगा। व्हाट्सएप्प, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उसके दोस्तों के कंमेंट और डिजिटल मिठाइयाँ आने लगीं। वो भी उनका जवाब डिजिटल इमोजी से देने लगा।
 
थोड़ी देर में दरवाजे की घंटी बजी। वो जाकर दरवाजा खोला। सामने मैथ के टीचर थे। वो झुँझला उठा। शीट मैन,  सर को भी अभी आना था ।झुंझलाते हुए 10 किलो का स्कूल बैग  लेकर स्टडी रूम में मैथ के टीचर के साथ चल पड़ा।


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