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Altaf Husain
बड़ी गंदी अंदाज से वह सोफे पर बैठी कविंताये लिख़ रही थी। एकदम कामुकता भाव दर्शा रही थी... यकीनन इस लिहाज से तो उसकी शिरत का पता चल रही थी। कि बड़ी बेशर्म औरत है। जालिनुम़ा दुपट्टे तो उसके सीने को पूरा ढक नही पाया और उसकी कमीज इतना चुस्त....... कौन आ रहा है, कौन जा रहा है, इन सबसे बेख़बर, सोफे पर कूल्हे टिका कर बस कविताएं लिखती जा रही....✍️ बेशर्म औरत #नज़रिया ~अल्ताफ हुसैन ०१८/११ #nazriya #story #shortstory #sad #feeling #nojotostory #कहानी
बड़ी गंदी अंदाज से वह सोफे पर बैठी कविंताये लिख़ रही थी। एकदम कामुकता भाव दर्शा रही थी... यकीनन इस लिहाज से तो उसकी शिरत का पता चल रही थी। कि बड़ी बेशर्म औरत है। जालिनुम़ा दुपट्टे तो उसके सीने को पूरा ढक नही पाया और उसकी कमीज इतना चुस्त....... कौन आ रहा है, कौन जा रहा है, इन सबसे बेख़बर, सोफे पर कूल्हे टिका कर बस कविताएं लिखती जा रही....✍️ बेशर्म औरत #नज़रिया ~अल्ताफ हुसैन ०१८/११ #nazriya #story #ShortStory #SAD #Feeling #nojotostory #कहानी
read moreअgni
फ़ैसला (story read in caption👇) फ़ैसला सपना अपने कमरे में बिस्तर के एक तरफ कोने में बैठ कर रो रही थी और उसकी सात साल की बेटी ईशु जो अपनी माँ के जख्मों पर बड़े प्यार से दवा लगा रही थी। ये सपना के घर रोज़ होता था , उसका पति सौरव शराब पीकर आता सपना को मारता पीटता फिर जाकर सो जाता और ईशु हर बार अपने पिता के दिये जख्मों पर मरहम लगाती। सौरव पहले ऐसा नहीं था लेकिन शादी के बाद न जाने वो इतना कैसे बदल गया उसने शराब पीना शुरू कर दिया और फिर घर में मारपीट भी शुरू हो गयी। सपना ने आजतक घरवालों को ये खबर नहीं की। सौरव जैसा भी था उसका पति था । ये वही सौरव था जिसके लिए उसने घर में सबसे लड़ाई कर ली थी पापा का गुस्सा माँ की फटकार सबकुछ बर्दाश्त किया और अब तो ईशु भी थी। बिना पिता के क्या ज़िन्दगी होगी उसकी बस यही सब सोचकर सपना सहर उठती थी। सौरव उसपर जुल्मोसितम ढाता रहा और सपना हर जुल्म हर सितम चुपचाप सहती रही इस उम्मीद में की शायद इस बार सौरव को उसकी गलती का एहसास हो और सब ठीक हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज भी जब सौरव ने शराब पीकर सपना को मारा तो ईशु ने अपनी माँ के ज़ख्मों पर दवा लगाते हुए कुछ कहना चाहा पर कहा नहीं। सपना ने ईशु को सुलाया और ख़ुद भी सोफे पर सो गई सुबह उठी रोज़ की तरह सौरव के कपड़े बैग सब तैयार किया सौरव उठा और बैग लेकर चल गया।
फ़ैसला सपना अपने कमरे में बिस्तर के एक तरफ कोने में बैठ कर रो रही थी और उसकी सात साल की बेटी ईशु जो अपनी माँ के जख्मों पर बड़े प्यार से दवा लगा रही थी। ये सपना के घर रोज़ होता था , उसका पति सौरव शराब पीकर आता सपना को मारता पीटता फिर जाकर सो जाता और ईशु हर बार अपने पिता के दिये जख्मों पर मरहम लगाती। सौरव पहले ऐसा नहीं था लेकिन शादी के बाद न जाने वो इतना कैसे बदल गया उसने शराब पीना शुरू कर दिया और फिर घर में मारपीट भी शुरू हो गयी। सपना ने आजतक घरवालों को ये खबर नहीं की। सौरव जैसा भी था उसका पति था । ये वही सौरव था जिसके लिए उसने घर में सबसे लड़ाई कर ली थी पापा का गुस्सा माँ की फटकार सबकुछ बर्दाश्त किया और अब तो ईशु भी थी। बिना पिता के क्या ज़िन्दगी होगी उसकी बस यही सब सोचकर सपना सहर उठती थी। सौरव उसपर जुल्मोसितम ढाता रहा और सपना हर जुल्म हर सितम चुपचाप सहती रही इस उम्मीद में की शायद इस बार सौरव को उसकी गलती का एहसास हो और सब ठीक हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज भी जब सौरव ने शराब पीकर सपना को मारा तो ईशु ने अपनी माँ के ज़ख्मों पर दवा लगाते हुए कुछ कहना चाहा पर कहा नहीं। सपना ने ईशु को सुलाया और ख़ुद भी सोफे पर सो गई सुबह उठी रोज़ की तरह सौरव के कपड़े बैग सब तैयार किया सौरव उठा और बैग लेकर चल गया।
read moreVINKAL SINGH ARKVANSHI
कर दिखाओ कुछ ऐसा ! जो दुनिया करना चाहे, आप के जैसा ! जितनी बार पढ़ो उतनी बार जिंदगी का सबक दे जाती है ये कहानी .... जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई। फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी। और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए।
जितनी बार पढ़ो उतनी बार जिंदगी का सबक दे जाती है ये कहानी .... जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई। फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी। और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए।
read moreNeha Mittal
घर लौटने पर पति ने पाया कि घर बुरी तरह बिखरा हुआ है... बच्चे बाहर अपने नाइट सूट में खेल रहें हैं... उनके खिलौने फैले हुए हैं... डाइनिंग टेबल पर खाना खुला पडा है कपडे सोफे और कुर्सियों पर लटके हुए हैं... गीले तौलिये बिस्तर पर पड़े है... अखबार यूँ ही फैले है सोफे पर.... नमकीन कालीन पर बिखरी पडी है... रजाइयां बिस्तरे पर खुली हुई है... रसोई में बर्तन जूठे बिखरे हुए... कुर्सिया इधर उधर .... बाथरूम गंद।... पति घबरा गया। उसे लगा कि पत्नी बहुत बीमार तो नहीं है ।जब वह कमरे में पहुँचा ,तो देखा पत्नी
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