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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
गण पति बप्पा मोरियाँ,,,,,,भगवान कृष्ण के अलावा "गणपति के मुकुट मे """मोर का पँखी"लगी होती है---- गणपति और कृष्ण दोनो की कामदेव जयी है,,,, अर्थात् प्रेम की पराकाष्ठा गणपति के आलय मे निवासित हो सकती है,,, जब महाभारत लिखना था उस वक्त यह शर्त थी कि,,,,,,,ऐसा व्यक्ति या देवता चाहिये जो """बिना रुके लिख सके
गण पति बप्पा मोरियाँ,,,,,,भगवान कृष्ण के अलावा "गणपति के मुकुट मे """मोर का पँखी"लगी होती है---- गणपति और कृष्ण दोनो की कामदेव जयी है,,,, अर्थात् प्रेम की पराकाष्ठा गणपति के आलय मे निवासित हो सकती है,,, जब महाभारत लिखना था उस वक्त यह शर्त थी कि,,,,,,,ऐसा व्यक्ति या देवता चाहिये जो """बिना रुके लिख सके
read moreनवीन बहुगुणा(शून्य)
मोर मुकुट बंशी वाले के देखो खेल निराले है, राधा रानी के सुंदर ये चोर बड़े दिलवाले है,मटकी फोड़े कन्हा जब जब गोपिया शोर मचाती है,धुन कन्हा की सुनते ही सब मंत्र मुग् हो जाती है,दौड़े दौड़े मइँया जब पनघट पर यू चली आती है, पकड़ उन्हें अब जोर से वो थोड़ा सा डांट सुनाती है, डांट के सुनते है कन्हा अब दूर खड़े हो जाते है, बाल हट अब छोड कन्हैया, मुरली मधुर बजाते है,सबके प्यारे बंशी वाले जग के ये रखवाले है,मोर मुकुट बंशी वाले के देखो खेल निराले है,जन्म लिए मथुरा में गोविंद अब तो, बिगुल बजाते है, देखो जग सारा कन्हा का मिल के जन्म मनाते है,मोर मुकुट बंशी वाले के देखो खेल निराले है,राधा रानी के सुंदर ये चोर बड़े दिलवाले है, माखन मिश्री दूध दही से होता जब श्रृंगार है, कोटि कोटि अब नमन प्रभु को करता ये संसार है,मोर मुकुट बंशी वाले के देखो खेल निराले है, राधा रानी के सुंदर ये चोर बड़े दिलवाले है, राधे राधे हैप्पी जन्माष्टमी all f you👏👏👏👏🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
राधे राधे हैप्पी जन्माष्टमी all f you👏👏👏👏🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 9 - सेवा का प्रभाव 'या खुदा, अब आगे को रास्ता भी नहीं है।' सवार घोड़े से कूद पड़ा। प्यास के मारे कण्ठ सूख रहा था। गौर मुख भी अरुण हो गया था। पसीने की बूदें नहीं थी, प्रवाह था। उसके जरी के रेशमी वस्त्र गीले हो गये थे। ज्येष्ठ की प्रचण्ड दोपहरी में जरी एवं आभूषणों की चमक नेत्रों में चकाचौंध उत्पन्न कर रही थी। वे उष्ण हो गये थे और कष्ट दे रहे थे। भाला उसने पेड़ में टिकाया, तरकश एवं म्यान खोल दी। कवच जलने लगा था और उसे उतार देना आवश्यक हो गया
read moreअभिसार शुक्ल
राजनीति पे कविता लिख कर क्यू कविता बरबाद करू #kalakakshNoida राजनीति पे कविता लिखकर मैं क्यों कविता बरबाद करू, तुच्छ सोंच का अभिनन्दन क्यों हो क्यों न इसका त्याग करू, राजनीति पे .... क्यों लिखू उनपे जो संविधान को बौना करके दिखलाते है , माँ के आँचल को मैला करके मंद मंद मुस्काते है , जिनकी मृत्यु पे कालपती भी अट्टहास से गरजेगा,
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