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Shubham Bhardwaj
इक तरफा मोहब्बत ने,क्या दिन दिखाया है। लुट गई है दुनिया मेरी, कोई नही हमसाया है।। यादों के झरोखों से,अब उसको पुकारते हैं। जिसको मोहब्बत का हमने पैगाम सुनाया है।। ©Shubham Bhardwaj #इक #तरफा #ने #यह #दिन #दिखाया #पैगाम #सुनाया
तुषार"आदित्य"
ज़िन्दगी में जितना भी रोया-गाया है सारा फलसफा हमनें यहाँ सुनाया है ज़िन्दगी में जितना भी रोया-गाया है सारा फलसफा हमनें यहाँ सुनाया है #ज़िन्दगी #जितना #रोया #गाया #फलसफा #सुनाया #yqbaba #yqdidi
Shravan Goud
अपनी पसंद को जाहिर कभी नही किया, पर उसको प्यार बहुत किया, ख्याल भी रखा। उन्होंने कहा भी बहुत कुछ, सुनाया भी बहुत कुछ, मैंने भी जानें दिया, पसंद आख़िर मेरा ही तो था । #पसंद_अपनी #सुनाया #जानेदिया #yqbaba
उन्होंने कहा भी बहुत कुछ, सुनाया भी बहुत कुछ, मैंने भी जानें दिया, पसंद आख़िर मेरा ही तो था । #पसंद_अपनी #सुनाया #जानेदिया #yqbaba
read moreकवि राहुल पाल 🔵
टूटे उम्मीद के हौसले जब यहाँ बेवजह फ़ैसले न सुनाया करो जिनके होंठो पर तुम न हसीं रख सको उनकी आंखों में आँसू न लाया करो टूटे उम्मीद के हौसले जब यहाँ .. वो पत्थर नही था ,था हृदय मेरा जिनपे कहरें सतत बरसातें रहे एक हम थे कि उनकी मोहब्बत में हर सफर में उन्हें गुनगुनाते रहे भूल जाएंगे हम इस सफर की डगर अपने पल्लू से चेहरा न छिपाया करो टूटे उम्मीद के हौसले जब यहाँ बेवजह फ़ैसले न सुनाया करो वो हमें क्या सम्भालेंगे इस भीड़ में जिनसे अपना दुःख है सम्भलता नही कैसे कह दूं तुम्हे मैं अपना भला जिनका दिल है कभी पिघलता नही जिस महफ़िल की तुम न बन सको शान तो उनकी महफ़िल में कभी मत जाया करो टूटे उम्मीद के हौसले जब यहाँ बेवजह फ़ैसले न सुनाया करो इन नदियों को देखो ये बहती यहाँ जब उठेगी उफ़ान तो जाये कहाँ दुःख के सागर को खुद का पता ही नही सुख के प्रीतम से जाने मिलेंगी कहाँ जो गम में है डूबे और टूटे यहाँ उनकी रूहो को और मत सताया करो टूटे उम्मीद के हौसले जब यहाँ बेवजह फ़ैसले न सुनाया करो... ((( "राहुल "))) #Hope टूटे उम्मीद के हौसले जब यहाँ बेवजह फ़ैसले न सुनाया करो जिनके होंठो पर तुम न हसीं रख सको उनकी आंखों में आँसू न लाया करो टूटे उम्मीद के हौसले जब यहाँ .. वो पत्थर नही था ,था हृदय मेरा जिनपे कहरें सतत बरसातें रहे
#Hope टूटे उम्मीद के हौसले जब यहाँ बेवजह फ़ैसले न सुनाया करो जिनके होंठो पर तुम न हसीं रख सको उनकी आंखों में आँसू न लाया करो टूटे उम्मीद के हौसले जब यहाँ .. वो पत्थर नही था ,था हृदय मेरा जिनपे कहरें सतत बरसातें रहे
read moreAanshi Ajit
दिल-ए-जज्बात सुनाया तो बुरा मान गये, पीर अपना बताया तो बुरा मान गये, बाते सच सुनने की साहस सब में कहाँ हैं ? हमने सच्चाई सुनाया तो बुरा मान गये। #NojotoQuote हमने सच्चाई सुनाया तो बुरा मान गये।
हमने सच्चाई सुनाया तो बुरा मान गये।
read morePriya Singh
हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर कि कभी इन्हीं शायरी से तू मेरा दीवाना हुआ था न हँसना आज तू इन्हें पढ़ के मेरी जान क्योंकि कभी इन्होंने मेरा हाल -ए -दिल तुझे सुनाया था क्या कहूँ में अपनी इन शायरियों के लिए कि इन्होंने ही तो आज भी तुझे मुझसे जुड़ाया है कभी इन शायरियों ने तुझे प्यार जताया था और आज अपना दर्द सुनाया है मेरी शायरियों का तू यूँ हश्र न कर कि इन्होंने तो तेरे मेरे बीच का अटूट हिस्सा बनाया है।। #Shayari
Priya Singh
हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर कि कभी इन्हीं शायरी से तू मेरा दीवाना हुआ था न हँसना आज तू इन्हें पढ़ के मेरी जान क्योंकि कभी इन्होंने मेरा हाल -ए -दिल तुझे सुनाया था क्या कहूँ में अपनी इन शायरियों के लिए कि इन्होंने ही तो आज भी तुझे मुझसे जुड़ाया है कभी इन शायरियों ने तुझे प्यार जताया था और आज अपना दर्द सुनाया है मेरी शायरियों का तू यूँ हश्र न कर कि इन्होंने तो तेरे मेरे बीच का अटूट हिस्सा बनाया है।। #Shayari
Ashutosh Aviral
वक़्त यूँ भी कुछ अब नुमाया करे, गीत मेरे भी वो गुनगुनाया करे।। मै मुकर्रर रहूँ इस क़दर दरबदर, हाल दिल का मुझे ही सुनाया करे।। वो बदन हो भले ही ढँका क्यूँ न पूरा, बस हया से वो पलकें झुकाया करे।। मैं तरन्नुम, रदीफत में उलझा रहूँ, वो बस मुझे देखकर मुस्कुराया करे।। हाल रब भी दुरुस्त ही बख्शे यकीनन, जो माँ बाप के पास जाया करे।। हाथ थामो सभी का खुशी से ए-अविरल, जो भले क्यूँ न तुमको पराया करे।। ए गुज़रते कैलेंडर क्या कभी ऐसा होगा? फिर से बाबा वो कहानी सुनाया करें।। सुना है वो नींदें उड़ाता है सबकी, कहना मेरे भी ख्वाबों में आया करे।। #आशुतोष_अविरल #आशुतोष #अविरल #हिंदी
#आशुतोष_अविरल #आशुतोष #अविरल #हिंदी
read moreits_kundu_shayri
सदियों पुराना वो भारत देश, कहां कर चला गया नारी में देवी दिखती थी, वो परिवेश कहां पर चला गया चली गई संस्कार की पाठशाला,चली गई शर्म लाज घर की खो गए सब आत्मिक रिश्ते ,टूट गई मर्यादाएं घर की" "प्रेंभाव सब गौण हो गया, बिछी है स्वार्थ की पगडंडियां मन के प्रेम से जिस्म पर आ गए , तोड़ के तुम समाज की बेड़ियां" चला गया तप ऋषि का, पाखंड आस्था पर भारी है लुप्त हुवे ज्ञान के आश्रम, क्लब पब की छाई खुमारी है चला गया मान नारी का, चला गया भाई भरत सा नहीं रहीं सीता जैसी पत्नी ,नहीं रहा हनुमान भक्त सा नहीं रहा वो मर्यादा वाला राम, नहीं रहा वो भाई लक्ष्मण कलयुग नहीं ये स्वर्थयुग है,घर घर मिल जाएंगे विभीषण चलो सती प्रथा गई भारत से, मगर भ्रूण हत्या का जोर यहां कम हो गई प्रदा प्रथा मगर, नग्नता का दौर यहां कहां चली गई वो संस्कार की विरासत, आदर सम्मान बुजुर्ग का कहां से कहां चला गया भारत मेरे, क्या आलम लिखूं तेरे दर्द का बड़ा दर्द तो भारत ये है ,क्यूं? तेरे घर में बेटी की अस्मत नोची जाती है सरेराह ये बेइज्जत होती क्यूं? बाजार में इनकी इज्जत बेची जाती है एक दहेज दर्द है भारत तेरा मेरा, क्या इसका कोई निचोड़ नहीं दोषी लड़का भी लड़की भी शादी में दिखावे कु मच जो होड़ रही एक दर्द है न्याय का भारत, सम्राट विक्रम सा क्यूं न्याय नहीं स्वर्णिम है इतिहास के पन्ने तेरे , क्यूं अब स्वर्णिम अध्याय नहीं आखिर चला गया कहां ताज वो तेरा, भारत विश्व गुरु जो तुझको कहते थे मां बहन बेटी को था देवी का दर्जा, मिलजुल कर सब रहते थे क्या है क्या चला गया भारत तुझसे इतने पन्ने लिख नहीं पाऊंगा दर्द क्या तेरी रूह का जन जन को कैसे बताऊंगा "कलम का सिपाही" हूं मै तो भारत तेरे दर्द का अल्फाज लिखना चाहा है दर्द तो बहुत बड़ा है भारत बस थोड़ा सा मैंने सुनाया है। बस थोड़ा सा मैंने सुनाया
its_kundu_shayri
सदियों पुराना वो भारत देश, कहां कर चला गया नारी में देवी दिखती थी, वो परिवेश कहां पर चला गया चली गई संस्कार की पाठशाला,चली गई शर्म लाज घर की खो गए सब आत्मिक रिश्ते ,टूट गई मर्यादाएं घर की" "प्रेंभाव सब गौण हो गया, बिछी है स्वार्थ की पगडंडियां मन के प्रेम से जिस्म पर आ गए , तोड़ के तुम समाज की बेड़ियां" चला गया तप ऋषि का, पाखंड आस्था पर भारी है लुप्त हुवे ज्ञान के आश्रम, क्लब पब की छाई खुमारी है चला गया मान नारी का, चला गया भाई भरत सा नहीं रहीं सीता जैसी पत्नी ,नहीं रहा हनुमान भक्त सा नहीं रहा वो मर्यादा वाला राम, नहीं रहा वो भाई लक्ष्मण कलयुग नहीं ये स्वर्थयुग है,घर घर मिल जाएंगे विभीषण चलो सती प्रथा गई भारत से, मगर भ्रूण हत्या का जोर यहां कम हो गई प्रदा प्रथा मगर, नग्नता का दौर यहां कहां चली गई वो संस्कार की विरासत, आदर सम्मान बुजुर्ग का कहां से कहां चला गया भारत मेरे, क्या आलम लिखूं तेरे दर्द का बड़ा दर्द तो भारत ये है ,क्यूं? तेरे घर में बेटी की अस्मत नोची जाती है सरेराह ये बेइज्जत होती क्यूं? बाजार में इनकी इज्जत बेची जाती है एक दहेज दर्द है भारत तेरा मेरा, क्या इसका कोई निचोड़ नहीं दोषी लड़का भी लड़की भी शादी में दिखावे कु मच जो होड़ रही एक दर्द है न्याय का भारत, सम्राट विक्रम सा क्यूं न्याय नहीं स्वर्णिम है इतिहास के पन्ने तेरे , क्यूं अब स्वर्णिम अध्याय नहीं आखिर चला गया कहां ताज वो तेरा, भारत विश्व गुरु जो तुझको कहते थे मां बहन बेटी को था देवी का दर्जा, मिलजुल कर सब रहते थे क्या है क्या चला गया भारत तुझसे इतने पन्ने लिख नहीं पाऊंगा दर्द क्या तेरी रूह का जन जन को कैसे बताऊंगा "कलम का सिपाही" हूं मै तो भारत तेरे दर्द का अल्फाज लिखना चाहा है दर्द तो बहुत बड़ा है भारत बस थोड़ा सा मैंने सुनाया है। बस थोड़ा सा मैंने सुनाया