Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best क्रीड़ा Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best क्रीड़ा Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutद्यूत क्रीड़ा क्या है, चट्टानों से क्रीड़ा करती, क्रीड़ा स्थल का अर्थ, क्रीड़ा का अर्थ, क्रीड़ा का पर्यायवाची,

  • 2 Followers
  • 167 Stories

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 53 - श्याम भी असमर्थ आज फिर भद्र रूठ गया है। कन्हाई इसकी सुनता नहीं - इतना विलम्ब हो गया, इसके अरूण कोमल अधर सूखने लगे, उदर नीचा हो गया, यह क्षुधातुर है और भद्र की बात ही नहीं सूनता। ऐसा खेल में लगा है कि इसे अपने श्रान्त होने, क्षुधातुर होने का ध्यान नहीं। भद्र कहता है - 'अब चल, सब भोजन करें।' 'तू भूखा है? तुझे अभी से क्षुधा लगी है?' श्याम उलटे ही पूछता है - 'तू छीका नहीं लाया तो सुबल का छीका खा ले।' यह भी कोई बात हुई। भद्र अपनी क्षुधा के कारण कन्हाई को क्रीड़ा-विरमित होने को क

read more
।।श्री हरिः।।
53 - श्याम भी असमर्थ

आज फिर भद्र रूठ गया है। कन्हाई इसकी सुनता नहीं - इतना विलम्ब हो गया, इसके अरूण कोमल अधर सूखने लगे, उदर नीचा हो गया, यह क्षुधातुर है और भद्र की बात ही नहीं सूनता। ऐसा खेल में लगा है कि इसे अपने श्रान्त होने, क्षुधातुर होने का ध्यान नहीं। भद्र कहता है - 'अब चल, सब भोजन करें।'

'तू भूखा है? तुझे अभी से क्षुधा लगी है?' श्याम उलटे ही पूछता है - 'तू छीका नहीं लाया तो सुबल का छीका खा ले।'

यह भी कोई बात हुई। भद्र अपनी क्षुधा के कारण कन्हाई को क्रीड़ा-विरमित होने को क

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 23 - भूख लगी है 'दादा, मुझे भूख लगी है।' कन्हाई आकर दाऊ के वाम पार्श्व में बैठ गया है। दोनों भुजाएं अग्रज के कंधे पर सिर रख दिया है इसने। 'तब तु आम खा ले।' दाऊ ने छोटे भाई की अलकों पर स्नेहपूर्वक अपना दाहिना हाथ घुमाया। 'नहीं, आम की भूख नहीं लगी है।' कृष्ण का उदर अद्भुत है। नन्दनन्दन की क्षुधा ऐसी नहीं है कि यह चाहे जिस पदार्थ से बुझ जाय। इसे भूख भी कभी फल की लगती है, कभी दही या नवनीत की लगती है और कभी माखन-रोटी की लगा करती है।

read more
|| श्री हरि: || 
23 - भूख लगी है
'दादा, मुझे भूख लगी है।' कन्हाई आकर दाऊ के वाम पार्श्व में बैठ गया है। दोनों भुजाएं अग्रज के कंधे पर सिर  रख दिया है इसने।

'तब तु आम खा ले।' दाऊ ने छोटे भाई की अलकों पर स्नेहपूर्वक अपना दाहिना हाथ घुमाया।

'नहीं, आम की भूख नहीं लगी है।' कृष्ण का उदर अद्भुत है। नन्दनन्दन की क्षुधा ऐसी नहीं है कि यह चाहे जिस पदार्थ से बुझ जाय। इसे भूख भी कभी फल की लगती है, कभी दही या नवनीत की लगती है और कभी माखन-रोटी की लगा करती है।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 20 - क्रीड़ा 'दादा! तू बैठ। हम तुझे देवता बनायेंगे।' दाऊ दादा ही इस प्रकार स्थिर बैठ सकता है। यह तो बना बनाया देवता है। लेकिन कन्हाई को और दूसरे भी सखाओं तो क्रीडा करनी है। दिन का प्रथम प्रहर है। यमुना-पुलिन की कोमल रेणुका का स्पर्श शरीर को शीतल, सुखद लगता है इस वसन्त ऋतु में। आज बालक गोचारण करने आये तो प्रारम्भ में ही पुष्प, गुज्जादि संग्रह में नहीं लगे। सब आ गये पुलिनपर। बछड़े-बछड़ियां समीप हरित तृण चरने में लग गयीं। अभी पुलिनपर समीप के वृक्षों की छाया है। शीतल पुलिन-रेणुका

read more
|| श्री हरि: || 
20 - क्रीड़ा

'दादा! तू बैठ। हम तुझे देवता बनायेंगे।' दाऊ दादा ही इस प्रकार स्थिर बैठ सकता है। यह तो बना बनाया देवता है। लेकिन कन्हाई को और दूसरे भी सखाओं तो क्रीडा करनी है।

दिन का प्रथम प्रहर है। यमुना-पुलिन की कोमल रेणुका का स्पर्श शरीर को शीतल, सुखद लगता है इस वसन्त ऋतु में। आज बालक गोचारण करने आये तो प्रारम्भ में ही पुष्प, गुज्जादि संग्रह में नहीं लगे। सब आ गये पुलिनपर। बछड़े-बछड़ियां समीप हरित तृण चरने में लग गयीं। अभी पुलिनपर समीप के वृक्षों की छाया है। शीतल पुलिन-रेणुका

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 61 - मल्ल युद्ध 'दादा, मैं तुझसे लडूंगा।' श्याम के लिए यह नयी बात नहीं है। श्रीदाम, भद्र, सुबल आदि उसे प्रायः पटकनी दे देते हैं। सखाओं से द्वन्द्व करके तो हारने में और हारकर भी अपने को विजयी तथा जयी को पराजित बताकर चिढ़ाने में आनंद है। द्वन्द्व में जीतता तो कन्हाई दाऊ से ही है। वैसे वह भी समझता है कि तोक को जैसे सब जयी बना देते हैं, वैसी ही जय उसकी भी है। 'अच्छा आ।' दाऊ जानता है कि उसके इस सुकुमार छोटे भाई को दूसरे मल्ल क्रीड़ा में बहुत थका देते हैं। पटुके उतारकर दोनों ने एकत्

read more
|| श्री हरि: ||
61 - मल्ल युद्ध

'दादा, मैं तुझसे लडूंगा।' श्याम के लिए यह नयी बात नहीं है। श्रीदाम, भद्र, सुबल आदि उसे प्रायः पटकनी दे देते हैं। सखाओं से द्वन्द्व करके तो हारने में और हारकर भी अपने को विजयी तथा जयी को पराजित बताकर चिढ़ाने में आनंद है। द्वन्द्व में जीतता तो कन्हाई दाऊ से ही है। वैसे वह भी समझता है कि तोक को जैसे सब जयी बना देते हैं, वैसी ही जय उसकी भी है।

'अच्छा आ।' दाऊ जानता है कि उसके इस सुकुमार छोटे भाई को दूसरे मल्ल क्रीड़ा में बहुत थका देते हैं।

पटुके उतारकर दोनों ने एकत्

Anil Siwach

47 - मैंने कृपा की || श्री हरि: ||

read more
47 - मैंने कृपा की 
 || श्री हरि: ||

Anil Siwach

27 - आनंदकंद || श्री हरि: ||

read more
27 - आनंदकंद 
 || श्री हरि: ||

Anil Siwach

4-उत्सुकता || श्री हरि: ||

read more
4-उत्सुकता 
 || श्री हरि: ||


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile