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Best आश्वस्त Shayari, Status, Quotes, Stories

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Patil MS

#आश्वस्त मनाशी संवाद!!

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जायचं म्हणून निघतो घरून, 
पण पोहोचायचं कुठेच नसतं।
गाडीची आवळलेली मुट 
मन मात्र आवरू पाहत।
अस्थिर मनोअवस्था,
नजर मात्र शून्यात सामावलेलं असतं।
अस्वस्थ, दीर्घ निःश्वास कोंडल्यासारखं वाटतं।
एक अनामिक हुरहूर, 
मन मात्र दाही दिशा दौडत राहतं।
अनिश्चित या जगात,
निश्चित पण काहीच नसतं।
उझडलेले दिवस मावळत राहतात,
नाशिभी मात्र वाढलेली वयाची बेरीज येतं।
आपण निस्फळ की आपले जिवन निस्फळ,
या द्वंद्वातच आयुष्य सरूनही जातं।
भेटेल का मज सहारा,
निवारा मात्र शोधत राहतो।
पुरेशा, किरण एक आशेचा,
कीनारा फक्त शोधत असतो।
                   
                   पाटील एम.एस. #आश्वस्त मनाशी संवाद!!

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 5 - स्वस्थ समाज आज की घटना नहीं है, लगभग 35 वर्ष हो चुके इसे। उस वर्ष हिमालय में हिमपात अधिक हुआ था। श्रीबद्रीनाथजी के मन्दिर के पट वैसे सामान्य स्थिति में अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल 3) को खुल जाया करते हैं, किन्तु मैं जब जोशीमठ पहुँचा तो यात्री वहीं रुके थे। पट तब तक भी खुले नहीं थे। मैं अक्षय तृतीया वृन्दावन ही करके चला था। मार्ग में तीन-चार दिन तो ऋषिकेश तक में ही रुकते-रुकाते लगे थे और तब मोटर बस केवल देवप्रयाग तक जाती थी। आगे का मार्ग

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
5 - स्वस्थ समाज

आज की घटना नहीं है, लगभग 35 वर्ष हो चुके इसे। उस वर्ष हिमालय में हिमपात अधिक हुआ था। श्रीबद्रीनाथजी के मन्दिर के पट वैसे सामान्य स्थिति में अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल 3) को खुल जाया करते हैं, किन्तु मैं जब जोशीमठ पहुँचा तो यात्री वहीं रुके थे। पट तब तक भी खुले नहीं थे। मैं अक्षय तृतीया वृन्दावन ही करके चला था। मार्ग में तीन-चार दिन तो ऋषिकेश तक में ही रुकते-रुकाते लगे थे और तब मोटर बस केवल देवप्रयाग तक जाती थी। आगे का मार्ग

Rajeshwar Singh Raju

"आश्वस्त" मोक्ष की तलाश में वो सन्यासी, पहाड़ों में भटकता रहा , मैदानों में खपता रहा , बारिश में भीगता रहा ,

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 "आश्वस्त"

मोक्ष
की तलाश में 
वो सन्यासी, 
पहाड़ों में भटकता रहा ,
मैदानों में खपता रहा ,
बारिश में भीगता रहा ,

Arvind "azaan"

है ईश्वर
मुझे नारी देह से मुक्त करो
खुद से अब संयुक्त करो
मन को यूँ आश्वस्त करो
जीवन को अब सशक्त करो

हे ईश्वर मुझे नारी देह से मुक्त करो।

ये देह मुझे लज्जित करती
यौवन को मेरे रंजीत करती
मन मे घृणा संचित करती
आशा से वंचित करती
मत मुझको निर्लज्ज करो

हे ईश्वर मुझे नारी देह से मुक्त करो।


मैं कन्या हुँ मैं कुमारी हुँ
मा की ममता सारी  हुँ
मैं देवी हुँ सबको प्यारी हुँ
हर रूप में सबसे न्यारी हुँ
पर खुद ही से हारी हुँ
जोहर का अब यज्ञ करो

हे ईश्वर मुझे नारी देह से मुक्त करो।

वात्सल्य की मेरे लाज करो
भोग विलास से दूर करो
विनती ये कुबूल करो
मत अब ये भूल करो

है ईश्वर मुझे नारी देह से मुक्त करो।

मैं जीवन की अवनी हुँ
सृष्टि की मैं जननी हुँ
मन मे  कुछ सुविचार करो 
मत मुझको लाचार करो

हे ईश्वर मुझे नारी देह से मुक्त करो।
खुद से अब संयुक्त करो
मन को यूं आश्वस्त करो
जीवन को अब सशक्त करो

हे ईश्वर मुझे नारी देह से मुक्त करो।

                                   अरविन्द शर्मा #nari
#rape
#vytha
#antrman

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 7 - शरीर अनित्य है लोग पागल कहते हैं वैद्यराज चिन्तामणिजी को, यद्यपि सबको यह स्वीकार है कि उनके हाथ में यश है। नाड़ीज्ञान में अद्वितीय हैं और उनके निदान में भूल नहीं हुआ करती। वे जब चिकित्सा करते हैं, मरते को जीवन दे देते हैं; किंतु अपने पागलपन से उन्हें जब अवकाश मिले चिकित्सा करने का। इतना निपुण चिकित्सक - उसके हाथ में लोहे को सोना करने वाली विद्या थी। वह अपना व्यवसाय किये जाता - तो लक्ष्मी पैर तोड़ उसके घर में बैठने को प्रस्तुत कब नहीं थ

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
7 - शरीर अनित्य है

लोग पागल कहते हैं वैद्यराज चिन्तामणिजी को, यद्यपि सबको यह स्वीकार है कि उनके हाथ में यश है। नाड़ीज्ञान में अद्वितीय हैं और उनके निदान में भूल नहीं हुआ करती। वे जब चिकित्सा करते हैं, मरते को जीवन दे देते हैं; किंतु अपने पागलपन से उन्हें जब अवकाश मिले चिकित्सा करने का।

इतना निपुण चिकित्सक - उसके हाथ में लोहे को सोना करने वाली विद्या थी। वह अपना व्यवसाय किये जाता - तो लक्ष्मी पैर तोड़ उसके घर में बैठने को प्रस्तुत कब नहीं थ

Mukesh Poonia

Story of Sanjay Sinha कल दफ्तर से छुट्टी थी। पत्नी ने सुबह ही पूछ लिया था कि संजय, तुम्हारा कोई प्रोग्राम तो नहीं है न? मैंने बिना कुछ सोचे समझे कह दिया था कि आज मैं एकदम फ्री हूं। कोई काम नहीं। मेरे मुंह से इतना निकलना था कि पत्नी खुश हो गई। कहने लगी कि आज तुम मेरा एक काम कर दो। तुम मेरे साथ शाम को मेरी सहेली अर्चना के घर चलना। “अर्चना के घर? मेरा क्या काम?” “अर्चना की शादी की बात करने। अर्चना दुविधा में है कि शादी करे या न करे। तुम उसे समझा सकते हो। तुम उसे समझा सकते हो कि उसे अब

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Story of Sanjay Sinha 
 कल दफ्तर से छुट्टी थी। पत्नी ने सुबह ही पूछ लिया था कि संजय, तुम्हारा कोई प्रोग्राम तो नहीं है न? मैंने बिना कुछ सोचे समझे कह दिया था कि आज मैं एकदम फ्री हूं। कोई काम नहीं। मेरे मुंह से इतना निकलना था कि पत्नी खुश हो गई। कहने लगी कि आज तुम मेरा एक काम कर दो। तुम मेरे साथ शाम को मेरी सहेली अर्चना के घर चलना। “अर्चना के घर? मेरा क्या काम?”

“अर्चना की शादी की बात करने। अर्चना दुविधा में है कि शादी करे या न करे। तुम उसे समझा सकते हो। तुम उसे समझा सकते हो कि उसे अब


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