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Raj Shekhar Kumar
कोई मिट्टी में मिल जाता हैं बनके यहाँ खाक़ महीन कोई गंगा में बह जाता हैं बनके यहाँ राख महीन #महीन#YQdidi
Satish Chandra
चाँद सा है रूप तेरा महीन सी मेरी जुस्तजू जो कर गुजरना चाहूँ बातें कर जाती हो ऑंखों से गुफ़्तगु, उनमुक्त सी अदाएँ तेरी महीन सी मेरी चाहत जो कर गुजरना चाहूँ इश़्क दे जाती हो बस ग़म-ए-उल्फ़त। #महीन #YQdidi #FreakySatty #हिन्दी #ऊर्दू #इश़्क #चाहत #मोहब्बत़
Juhi Grover
ये महीन से प्रेम से धागे, ज़रा सी बात पर बस टूटे, यों टूटते ही अब चले गये, फिर कभी जुड़ नही पाये। लाख कोशिशें भी की गई, गाँठे ही यों बढ़ती चली गईं, कि कोई धागा रहा ही नहीं, राई ही पहाड़ होती चली गई। #महीन #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqchallenge
CalmKazi
कुछ बातों के प्रहार होते हैं महीन इतने । काट जाए इक बार, तो लहू, कतरा हो बहे । जज़्बे की पकड़ से, भींच दो अगर तुम ! तो अंगुली के पोरों में, क्षण में विलीन हो चले ।। #महीन #पोर #CalmKaziWrites #YQDidi #YQBaba #Words #Social #Norms #Judge #Moments #हिंदी #कविता #Poetry #Small #Cuts #Cut
CalmKazi
ये जो वक़्त की चादर, ओढ़ी है मेरे नसीब ने । नज़रों की सूई से, पलों के धागों को, कसीदा किया है । महीन लम्हों की कढ़ाई, सब देखते हैं ।। #महीन #CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi #Time #Thread #Blanket #हिंदी #कविता #वक़्त #धागा #कढ़ाई #कंबल #चादर Click on #WaqtKiDosti for more
Roohi Bhargava
रिश्ते धागों से महीन होते हैं उन्हे प्यार से सींचना पड़ता है ज़रा सा खिंचाव रिश्तों में गांठ लगा सकता है ताउम्र का दर्द दे सकता है। #महीन #YQBaba
Shashi Aswal
वाह! क्या महीन कारीगरी की हुए हैं इस दुपट्टे में। आपकी बेटी ने किया हैं वर्मा जी? बहुत अच्छा किया हैं। वर्मा जी हिचकिचाते हुए जी हाँ, पूजा ने की हैं। नालायक क्या जरूरत थी इसे वहाँ रखने की? लड़के वाले शौक भी रख लिया कर कभी। पापा ये मेरा शौक नहीं, कला हैं। जो सबको नहीं आती। अब तू मुझे सिखाएगा कि क्या सही हैं या गलत? और जोर के एक तमाचा जड़ दिया उसके गालों पर। आखिरकार दुनियादारी की आँच पर एक और हुनर स्वाहा हो गई..... #YQbaba #YQDidi #महीन #talent #inequality #दुनियादारी
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read moreपरवाज़ हाज़िर ........
फिरता हूँ में आवारा तेरी चाहत से मात होकर ' रात नही चाहत मेरी में चाँद जो हासिल नही ! तू लखीर हे - पाषाण पर जो कभी मिटती नही ख्याल मेरे मे ' तू हसिन राहत मेरी मे ' तू महीन खोया हे दिल तो ओर सब पा लिया इश्क रब से मिला खेरात का हिस्सा नही ये इश्क खुदा की रज़ा का किस्सा हे #ishq फिरता हूँ में #आवारा तेरी चाहत से #मात होकर ' रात नही चाहत मेरी में चाँद जो #हासिल नही ! तू #लखीर हे -
Pravin Kumar
बचपन और मिठाई की चोरी बचपन के समय...... त्योहारों में भले ही माँ और बाबूजी भर पेट मिठाई खिला दें लेकिन जब तक चोरी करके नहीं खाया तो क्या मजा आया ? न जाने कितने काठ के अलमारी की महीन जाली तोड़कर मिठाई उड़ा लेता था मैं....न जाने कितनी बार उस महीन जाली से कलाई से रिश्ते हुए खून की परवाह न कर, मिठाई का आनंद लिया था मैंने.....चोरी करने में सफाई इस कदर अपनाता था की लकड़ी के अलमारी की जाली साबुत खोल लेता था लकड़ी की बीटिंग को उकसा कर के....... बस उतना ही जाली हटाया जाता, जितने में कलाई मिठाई के बड़े मर्तबान तक पहुँच सके....उसके बाद काम पूरा हो जाने के बाद फिर से जाली सहेज कर लगाई जाती और लकड़ी की बीटिंग उसके ऊपर ठोंक दी जाती.......आज सोचता हूँ......बचपन में कितना शातिर चोर था मैं ? है न ? ;)
Rajesh Raana
रेशम ये जो रेशम की महीन , संगमरमरी डोर है न , ये किसी की साँसों की घुटन से बुना तानाबाना है , ये जो झक सफ़ाक़ सा महीन तानाबाना है न , ये बुनकर की सांसो की माला है , याद रहे , एक-एक साँस को लपेटा है कफ़न की तरह , बदलने खुद के वजूद को, फ़ना होना पड़ता है , कुछ यूं ही है जिंदगी का फ़लसफ़ा । #रेशम ये जो रेशम की #महीन , #संगमरमरी #डोर है न , ये किसी की #साँसों की #घुटन से #बुना #तानाबाना है , ये जो झक #सफ़ाक़ सा महीन #तानाबाना है न , ये #बुनकर की #सांसो