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Ashish Kumar Verma
#अखण्ड भारत हिमालय के पश्चिम में कुछ गीदड़ पहले से ही टहलते थे अब सुना है, पूरब से सियारों की एक टोली नई आयी है वे क्या आँख दिखाएँगे जिनकी आँखें ही नहीं खुलती हैं उधर कायरता है, जड़ता है, इधर पराक्रम है, तरुणाई है। जो छिप-छिप कर लड़ते हैं,वे सच है कि मरने से डरते हैं जहाँ मृत्यु का भय है मन में,वहाँ विजय नहीं,उत्साह नहीं जो पत्थर से टकराते हैं, वे पल भर में चूर-चूर हो जाते हैं उन्होंने पथ विनाश का ढूँढ़ा है,अब इनकी कोई राह नहीं। भारत माता के वृहद आँचल से कुछ नग पहले ही टूटे हैं सिंध, बलूच, काबुल,नेपाल, तिब्बत, सिलहट हैं याद हमें अभी ये कल की ही तो बातें हैं, इनसे अपने पुराने नाते हैं माँ भारती के पूज्य आँचल को फिर करना है आबाद हमें। छेड़े हो तो छोड़ेंगे नहीं, छू लिए हो हमें तो अब डँस लेंगे सोए हुए सिंहों को इसीलिए कभी भी चूहे नहीं जगाते हैं बहुत हुई अब तक कपोतबाजी,सीमा रक्षा और संप्रभुता चलो, भूगोल बदलने को अब अपनी सीमा को बढ़ाते हैं ! कविता
कविता
read moreAnurag Surana
"एक आवाज़" मैं दर्द में हूँ लिपटा, दर्द में ही सिमटा, है दर्द कितना मुझकों आज दर्द हूँ मैं लिखता, खालीपन के चोचलों पर राज दुनियाँ करती, बेबसी की आढ़ मे मैं बेहिसाब बिकता, हो अगर इंसान तों इंसान की पहचान करों, यहाँ इंसान की शक्ल में शैतान क्यों है दिखता, हर मुखटें मिलावटी, सब फैसलें सियासती, इन फैसलों में क्यों हर बार मैं ही पिसता, मर रही इंसानियत, और मर रहा इंसान है, राजनीति के हाथों इंसाफ भी है बिकता, हैं ऊँच-नीच, भेद-भाव, जात-पात...और भी... ना जाने कितनी कुरीतियों में देश मेरा लिपटा, अखण्ड था जों देश पहले मेरा........…. वो देश आज मुझकों अखण्ड क्यों नहीं दिखता, धर्म के आधार पर बांट दिया जों देश मेरा, इंसानियत का धर्म इनकों धर्म क्यों नहीं दिखता।। #एक_आवाज़ #क्रांति #humanbeing #humanity #religion #justice #caste #discrimination #poltical #polticalquotes #nojoto #hindiquotes #unbrokencountry #hindiwriting #hindiwords #hindiquotes #hindipoetry #hindiwritten #nojotohindi #nojotohindiwriting #humanity #nojotoquotes #nojotopoetry #notopoet #hindipoet. mukesh poonia Internet Jockey Pratibha Tiwari(smile)🙂 Kiran malav Dilwala© Sambhav jain(महफूज़_जनाब)
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read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते
read moreBramhan Ashish Upadhyay
हे आदि अनादि अखण्ड अनन्ता । तोहे पुकारन लगे हैं नर नारी अरु सब संता।१। कौन सो पाप कियो है प्रभू जी। जो इतना दुख सब पाय रहे हैं।२। दीनन की आय सहाय करो भगवन । कभो इत, कभो उत धाय रहे हैं।३। हे शंकर भोले नाथ सुनो। अधीर होत जाय रहे हैं।४। देर बहुत हुई जाय रही है । मोसो न रूठो तुम भगवंता।५। हे आदि अनादि अखण्ड अनन्ता। विद्रोही आन पड़ा है चरण तिहारो । चलो तुम मोरे साथ तुरंता ।६। मेरे सर पर अपने हाथ धरो । नन्दीगण को ले साथ बढ़ो ।७ हे कैलाशी सुनो तोहरे बिन। सबको घेरे जाय व्याकुलता ।8। देवन के तुम देव महाप्रभु । काम लोभ मोह अरु विकार के हंता।९। दुष्ट संघारण को शोक निवारण को । चाहे बनो वीरभद्र तुम चाहे बनो तुम हनुमन्ता।१०। हे आदि अनादि अखण्ड अनन्ता । #NojotoQuote हे आदि अनादि अखण्ड अनन्ता । तोहे पुकारन लगे हैं नर नारी अरु सब संता।१। कौन सो पाप कियो है प्रभू जी। जो इतना दुख सब पाय रहे हैं।२। दीनन की आय सहाय करो भगवन । कभो इत, कभो उत धाय रहे हैं।३। हे शंकर भोले नाथ सुनो। अधीर होत जाय रहे हैं।४।
हे आदि अनादि अखण्ड अनन्ता । तोहे पुकारन लगे हैं नर नारी अरु सब संता।१। कौन सो पाप कियो है प्रभू जी। जो इतना दुख सब पाय रहे हैं।२। दीनन की आय सहाय करो भगवन । कभो इत, कभो उत धाय रहे हैं।३। हे शंकर भोले नाथ सुनो। अधीर होत जाय रहे हैं।४।
read moreSatyapal Yadav vir yadav
💕खूबसूरत #चेहरे पर,, #निखार आ रहा है❤️ ❤️तुमको #देखकर हमको #प्यार आ रहा है💕 💕कैसे संभालूं अपने इस, #बैचैन #दिल को❤️ ❤️जो तेरी इस #अदा पर ही #मिटे जा रहा है💕 #अखण्ड #कुँआरा #समिति,,,,,
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 18 - वर्षा में श्याम को जल से सहज प्रेम है और वर्षा हो रही हो, तब तो पूछना ही क्या? सभी बालक प्राय: वर्षा में भीगकर स्नान करने के व्यसनी होते हैं। कन्हाई को कोई रोकनेवाला न हो तो यह तो शरत्कालिन वर्षा में भी भीग-भीगकर स्नान करता, उछलता-कूदता फिरे। यह तो पावस की वर्षा है। इसमें तो पशु भी नीचे छिपने नहीं जाते। उन्हें भी भीगने में आनन्द आता है। प्रातःकाल बालक गोचारण के लिए चलते थे, तब आकाश में थोड़े ही मेघ थे; किन्तु पावस में घटा घिरते देर कितनी लगती है। आकाश प्रथम प्रहर बीतते ही मे
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