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shuny manthan
जिस स्वरुप में परमात्मा को याद करते हैं स्वयं को भी उसी चोले में अर्थात स्वरुप में देखना है परन्तु चाहे कोई भी चोला हो या सम्बन्ध हो उस चोले में उपस्थित चैतन्य आत्मा की स्मृति नहीं भूलनी चाहिए नहीं तो आत्मा का पक्का कनेक्शन परमात्मा से नहीं जुड़ेगा और याद का बल भी जैसा और जितना मिलना चाहिए वैसा और उतना नहीं मिलेगा । #better
mishraharsh
नारी" ईश्वर की अद्वितीय रचना है विश्व के उद्भव की कल्पना है। सृष्टि के आरम्भ का प्रतिरूप है, इस धरा पर ब्रह्म का वह रूप है।। कई स्वरूपों में इसका ही वर्णन है, देवों के द्वारा भी "माँ" का महिमामंडन है। माँ के लिये कुछ भी नहीं लिखूंगा मैं, माँ के द्वारा ही स्वयं मेरा उदगम है।। पत्नी स्वरूप में वह किरदार सभी अपनाती है, माँ के जैसी ममता और एक कुशल मित्र बन जाती है।। बेटी स्वरुप में हो जब तो वह माँ की झलक दिखाती है, बहन स्वरुप में आकर वह जीवन का मर्म बताती है।।।। कवि, शायरों ने नारी का वर्णन तो खूब बताया है, उनने बस केवल उसके सौंदर्य रूप को ही दिखाया है।। किसी ने उसकी ममता, वात्सल्य,प्रेमभाव का चित्र नहीं खींचा होगा, किसी ने उसकी भौतिक सौंदर्य से हो विरक्त भावस्थल को शब्दों से नहीं सींचा होगा।।।।। मिश्रा हर्षित मिश्रा #first step in Nojoto's world😊😊😊😊
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read moreBhaskar Anand
"माँ कह के बुलाता है" क्या वहां पर भी आपको कोई माँ कहके बुलाता है पुत्र स्नेह का माया क्या वहां पर भी धाता है जब ईश्वर आपसे पूछते होंगे, कुछ बतलाओ अपने बारे में आप जरूर निःशब्द हो जाती होगी, संतति स्नेह के साये में चर्चा वहां भी होती होगी, आपके वात्सल्य की गाथा की प्रेम, स्नेह और ममत्व के आश्चर्यजनक परिभाषा की
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